ईरान में हिजाब पर बढ़ता जन-आक्रोश...फीफा वर्ल्ड कप में भी दिखा असर जब टीम ने राष्ट्रगीत को गाने से मना कर दिया
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 23, 2022 08:01 AM2022-11-23T08:01:04+5:302022-11-23T08:02:34+5:30
ईरान में हिजाब के मामले ने जबर्दस्त तूल पकड़ लिया है. पिछले दो माह में 400 लोग मारे गए हैं, जिनमें 58 बच्चे भी हैं. ईरान के गांव-गांव और शहर-शहर में आजकल वैसे ही हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, जैसे कि अब से लगभग 50 साल पहले शहंशाहे-ईरान के खिलाफ होते थे. इसके कारण तो कई हैं लेकिन यह मामला इसलिए भड़क उठा है कि 16 सितंबर को महसा अमीनी नामक एक युवती की जेल में मौत हो गई.
उसे कुछ दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में उसकी बुरी तरह से पिटाई हुई थी. उसका दोष सिर्फ इतना था कि उसने हिजाब ठीक से नहीं पहन रखा था. हिजाब नहीं पहनने के कारण पहले भी कई ईरानी स्त्रियों को बेइज्जती और सजा भुगतनी पड़ी है. कई युवतियों ने तो टीवी चैनलों पर माफी मांग कर अपनी जान बचाई है.
यह जन-आक्रोश तीव्रतर रूप धारण करता जा रहा है. अब लोग न तो आयतुल्लाह के फरमानों को मान रहे हैं और न ही राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के धमकियों की परवाह कर रहे हैं. ईरानी फौज के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने पिछले दिनों एक बयान में कहा है कि यह जन-आक्रोश स्वाभाविक नहीं है और अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और इजराइल जैसे ईरान-विरोधी देशों ने ईरानी जनता को भड़का दिया है. लेकिन पिछले 50-55 साल में मुझे ईरान में कई बार रहकर पढ़ने और पढ़ाने का मौका मिला है.
शहंशाह के जमाने में ईरान की महिलाएं अपनी वेशभूषा और व्यवहार में यूरोपीय महिलाओं से भी आधुनिक लगती थीं. अमीनी का मामला इतना तूल पकड़ लेगा, इसका किसी को अंदाज नहीं था. फुटबॉल के विश्व कप टूर्नामेंट में ईरान की टीम ने अपने राष्ट्रगीत को गाने से भी मना कर दिया. ईरानी लोग अपनी इस टीम को राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक मानते हैं. हिजाब के विरोध ने आर्थिक कठिनाइयों में फंसे ईरान की समस्याओं को और गंभीर कर दिया है.