इमरान से भारत की आशाएं
By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 19, 2018 08:00 AM2018-08-19T08:00:03+5:302018-08-19T08:00:03+5:30
आज दिन भर कई टीवी चैनल मुझसे पूछते रहे कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्नी इमरान खान भारत-पाक संबंधों की क्या नई इबारत लिखेंगे?
आज दिन भर कई टीवी चैनल मुझसे पूछते रहे कि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्नी इमरान खान भारत-पाक संबंधों की क्या नई इबारत लिखेंगे? हर चैनल पर जो दूसरे वक्ता बैठे थे, उनमें कई बड़े फौजी, अनुभवी कूटनीतिज्ञ और नेता टाइप लोग भी थे। लगभग सबकी राय निराशाजनक थी। लगभग सबका कहना था कि इमरान पाक सेना की कठपुतली हैं। वे सेना के इशारे के बिना एक कदम भी नहीं उठा सकते। उनके इस बयान पर कोई भरोसा न करे कि भारत एक कदम आगे बढ़ाएगा तो हम दोस्ती के लिए दो कदम बढ़ाएंगे।
फौजी जनरल और हमारे कूटनीतिज्ञ पूरी तरह से निराश थे लेकिन उनसे मैंने विनम्र शैली में निवेदन किया कि क्या उन्होंने पाकिस्तान के वर्तमान हालात पर गौर किया है? पाकिस्तान इस समय आर्थिक आपातकाल में फंसा हुआ है। महंगाई, बेरोजगारी, विदेशी कर्ज और भ्रष्टाचार ने पाकिस्तान की जनता को तबाही के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
ऐसी हालत में भी अमेरिका ने हाथ ऊंचे कर दिए हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान को दी जानेवाली अरबों डॉलर की मदद पर रोक लगा दी है। उसे उसने विश्व आतंकवाद का गढ़ करार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से वह 21 बार कर्ज ले चुका है। इस संकट में उसे चीन का बहुत सहारा था लेकिन चीन की रेशम पथ (ओबोर) की योजना भी खटाई में पड़ रही है। उसमें हुए खर्च का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
इमरान के भारत में जितने दोस्त आज हैं, उतने किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्नी के नहीं रहे। यह भी एक कारण हो सकता है, दोनों देशों के बीच एक सार्थक संवाद शुरू करने का। अटलजी के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सूचना मंत्नी के आने से भी कुछ अच्छा संकेत उभरा है। मोदी ने इमरान को बधाई देकर और हमारे राजदूत अजय बिसारिया ने इमरान को क्रि केट के बैट का तोहफा देकर अच्छी शुरु आत की है।