कालाधन-बेनामी सम्पत्ति के खिलाफ जंग: क्या पीएम मोदी को फॉलो कर रहे हैं इमरान खान?
By विकास कुमार | Published: June 12, 2019 05:33 PM2019-06-12T17:33:19+5:302019-06-12T18:25:02+5:30
सऊदी अरब, चीन, यूएई और आईएमएफ से कुल 15 बिलियन डॉलर के कर्ज लेने के बाद भी राहत नहीं मिलने की स्थिति में अब इमरान खान ने पैसा जुटाने के लिए मोदी मॉडल को फॉलो करने का फैसला किया है.
10 जून को राष्ट्र को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा- पाकिस्तान के आवाम से अनुरोध है कि वो देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 30 जून तक अपनी संपत्ति की घोषणा कर दें ताकि वैध और बेनामी संपत्ति का पता चल सके. उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 साल में पाकिस्तान का कर्ज छह हजार अरब से 30 हज़ार अरब रुपए तक पहुंच गया है. जो हम चार हज़ार अरब रुपए का सालाना टैक्स इकट्ठा करते हैं जिसमें आधी रकम कर्जों की किस्त अदा करने में चल जाती है.
इमरान खान ने जब पाकिस्तान की सत्ता की बागडोर संभाली तो हालात अर्थव्यवस्था के स्तर पर दयनीय स्थिति में थी. जीडीपी अपने न्यूनतम स्तर पर सरकार को खुलेआम चिढ़ा रही थी. विदेशी कर्ज दोनों बाहें फैला कर स्वागत करने को तैयार खड़े थे. चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर उनकी तेज गेंदबाजी की तरह रफ्तार के तलाश में थी. जनता महंगाई के कारण इतनी त्रस्त थी कि उसे देश के राजकोषीय घाटे से कोई मतलब नहीं था. इमरान खान ने चुनाव में पाकिस्तान को उत्कृष्ट बनाने के अनेकों दावे किए थे लेकिन जब तिजोरी की चाभी मिली तो वादों का समंदर सिरदर्द बन गया. कुल मिला कर हालात इमरान खान की सत्ता संभालने के पहले से ज्यादा खराब हो गए हैं. जब भी सरकारों के पास पैसों की कमी होती है तो उन्हें अचानक अपने देश में छिपे खजानों की याद आती है.
पैसा जुटाने का मोदी मॉडल
सऊदी अरब, चीन, यूएई और आईएमएफ से कुल 15 बिलियन डॉलर के कर्ज लेने के बाद भी राहत नहीं मिलने की स्थिति में अब इमरान खान ने पैसा जुटाने के लिए मोदी मॉडल को फॉलो करने का फैसला किया है. मोदी सरकार ने इनकम डिस्क्लोजर स्कीम के तहत 69,350 करोड़ रुपये को अपनी सरकार की तिजोरी में डाला था. इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भी 5 हजार करोड़ सरकार को मिला था. ऐसे स्विस बैंक से लाखों करोड़ हासिल करने का लक्ष्य अभी भी डिले चल रहा है. इमरान खान ने फिलहाल मोदी के इस मॉडल को अपनाने का फैसला किया है. नवाज शरीफ और आसिफ अली ज़रदारी को जेल भेज कर उन्होंने देश की जनता को अपने अडिग इरादों से परिचय करा दिया है.
नोटबंदी से 'तौबा-तौबा'
पीएम मोदी ने काला धन के वजूद को मिटाने के इरादे से नोटबंदी की थी लेकिन लक्ष्य उलटी दिशा में बह गए. 99 प्रतिशत से ज्यादा करेंसी बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए और ऊपर से नौकरियों का अकाल गैरजरूरी फैसले के रिटर्न गिफ्ट के रूप में मिला. अपने पड़ोसी देश में हुए नोटबंदी की विकराल विफलता से भयभीत इमरान खान फिलहाल इस फैसले को लेने से शायद बचेंगे. ऐसे पाकिस्तान में आज भी 5 और 10 हजार के नोट वहां के गरीबों को मुंह चिढ़ाते हैं.
कितनी खराब है पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
वर्ल्ड बैंक ने अनुमान जताया है कि पाकिस्तान का जीडीपी इस वित्त वर्ष में 3.3 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर पहुंच सकता है. पाकिस्तानी मुद्रा एक डॉलर के मुकाबले 150 रुपये के पार पहुंच गई है. विदेशी मुद्रा भंडार 8 अरब डॉलर से भी कम हो गया है. देश की आर्मी को पहली बार अपना रक्षा बजट घटाना पड़ा है. पाकिस्तान का कूल रक्षा बजट 2018 में 11.4 अरब डॉलर था. महंगाई दर फिलहाल 9 प्रतिशत से ज्यादा है जिसके 14 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. विदेशी कर्ज कूल अर्थव्यवस्था के मुकाबले 32 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है. पाकिस्तान की कूल अर्थव्यवस्था 300 अरब डॉलर है. आईएमएफ ने 6 अरब डॉलर का कर्ज देने से पहले कई कड़ी शर्तें रखी थी. जिसमें 800 करोड़ डॉलर के नए टैक्स लगाना भी शामिल था. इसके कारण भी आम जनता पर टैक्स की मार बढ़ गई है.