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ब्लॉग: ईरान में सुधारों की सुखद बयार बहने की उम्मीद

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 8, 2024 10:55 IST

दुनिया में टकरावों का हश्र देख चुकी ईरानी जनता अब शांति के साथ तरक्की के रास्ते पर चलना चाहती है.  साथ ही पेजेश्कियान ने वादा किया है कि वह इंटरनेट पर लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंध घटाएंगे और महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब लागू कराने वाली पुलिस का विरोध करेंगे. 

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ठळक मुद्देईरान में माना जा रहा था कि अगर कट्टरपंथी जलीली जीतते हैं तो ईरान का पश्चिम के साथ टकराव बढ़ जाएगा.मसूद की जीत ने दिखा दिया है कि ईरान में खुलापन लाने का युवाओं का आंदोलन कामयाब रहा है. 2022 में पुलिस हिरासत में महसा अमीनी की मौत के बाद से यह ईरान में बड़ा मुद्दा है.

ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान की जीत ने साबित कर दिया है कि वहां के लोग अब दुनिया से अलग-थलग नहीं रहना चाहते. कट्टरपंथी सईद जलीली को हराने वाले मसूद ने आर्थिक प्रतिबंधों से जूझ रहे ईरान के पश्चिमी देशों के साथ संबंध बेहतर करने और देश में अनिवार्य हिजाब कानून में ढील देने का वादा किया है. 

उल्लेखनीय है कि पेशे से हार्ट सर्जन मसूद ईरान में मोरल पुलिसिंग के कठोर आलोचक रहे हैं और उन्होंने ईरान में एकता व सद्भाव लाने का वादा किया है. हालांकि उनकी राह आसान नहीं होगी और उनके सुधारवादी फैसलों पर ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई की सुप्रीम काउंसिल के 12 सदस्य वीटो कर सकते हैं. इसके बावजूद मसूद की जीत ने दिखा दिया है कि ईरान में खुलापन लाने का युवाओं का आंदोलन कामयाब रहा है. 

मसूद को युवाओं के समर्थन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनको मिले एक करोड़ 64 लाख वोटों में से 50 प्रतिशत वोट 30 साल से कम उम्र वालों के हैं. हालांकि इब्राहिम रईसी की मौत के बाद हुए राष्ट्रपति चुनाव में ईरान में इस बार बहुत कम मतदान हुआ है. ईरान के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चुनाव में वहां पहले राउंड में 40 प्रतिशत, जबकि दूसरे राउंड में 49.8  फीसदी मतदान हुआ है.

जबकि वहां के सर्वोच्च धार्मिक नेता खामेनेई ने सभी लोगों से मतदान में हिस्सा लेने की अपील की थी. कम मतदान दर्शाता है कि वहां के युवाओं में राजनीतिक व्यवस्था को लेकर असंतोष कितना गहरा है. इसके अलावा परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए तमाम प्रतिबंधों के कारण वहां की अर्थव्यवस्था बदहाल हो चुकी है. 

ईरान में माना जा रहा था कि अगर कट्टरपंथी जलीली जीतते हैं तो ईरान का पश्चिम के साथ टकराव बढ़ जाएगा. दुनिया में टकरावों का हश्र देख चुकी ईरानी जनता अब शांति के साथ तरक्की के रास्ते पर चलना चाहती है.  साथ ही पेजेश्कियान ने वादा किया है कि वह इंटरनेट पर लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंध घटाएंगे और महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब लागू कराने वाली पुलिस का विरोध करेंगे. 

2022 में पुलिस हिरासत में महसा अमीनी की मौत के बाद से यह ईरान में बड़ा मुद्दा है. उल्लेखनीय है कि 22 साल की कुर्द-ईरानी अमीनी को ड्रेस कोड के उल्लंघन में हिरासत में लिया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी. उम्मीद की जानी चाहिए कि पेजेश्कियान अपने देश की जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे और ईरान तरक्की के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा.

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