गियाकोमिनो निकोलाजो का ब्लॉग: जिंदादिल इटली में मुर्दानगी का दोषी कौन?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 16, 2020 02:01 PM2020-04-16T14:01:34+5:302020-04-16T14:01:34+5:30
गियाकोमिनो निकोलाजो
मैं जबकि बिना किसी इच्छा के सेल्फ-आइसोलेशन में बैठा हुआ हूं, इटली के कोने-कोने से लोगों की कोविड-19 से मौत की खबरों का तांता लगा हुआ है. पर्यटन, कारोबार और रोजमर्रा की जिंदगी में इटली की जिंदादिली के प्रतीक शहर, कस्बों में मुर्दानगी छाई हुई है. यह भयावह सन्नाटा आल्प्स पर्वतों की ऊंचाइयों से लेकर सिसिलिया, सार्डिर्निया के तटों तक पसरा हुआ है. दुकानें, रेस्तरां, स्कूल, विश्वविद्यालय, खेल के मैदान, म्यूजियम, थिएटर्स सबकुछ बंद. यहां तक कि 20 फुट ऊंची दीवार से सुरक्षित वेटिकन सिटी भी.
सड़कों पर बिखरे हुए और दीवानगी भरे अंदाज में कार-स्कूटर्स चलाने वाले भी गायब हैं. कई जगह तो इंसानों से ज्यादा परिंदे दिखाई दे रहे हैं. हम सभी की पहचान का कोई न कोई या तो संक्रमित है या ठीक हो चुका है. कुछ ऐसे भी हैं जो दुनिया से विदा हो चुके हैं. किसी महायुद्ध जैसी परिस्थितियों में हम छह करोड़ लोग लॉकडाउन हैं. एक अनजान दुश्मन ने हमें घरों में कैद कर दिया है. तो आखिर जिंदादिल इटली पर छाई इस मुर्दानगी का दोषी कौन है? मेरी साफ राय में इसके दोषी वामपंथी हैं.
शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी. फ्लोरेंस के पूर्व मेयर मेतियो रेंजी ने पार्तितो डेमोक्रेतिको (इटली की कम्युनिस्ट पार्टी) से जोड़-तोड़ के साथ इटली के प्रधानमंत्री पद पर कब्जा जमा लिया. रेंजी इटली को अंधकार की ओर ले जा रहे थे. अर्थव्यवस्था के साथ अजीबोगरीब बातें हो रही थीं. बैंक नाकाम तो हो रहे थे, लेकिन बंद नहीं हो रहे थे. सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ रही थी, लेकिन पेंशन फंड गायब हो रहे थे.
राष्ट्रीय सेल्स टैक्स 18 फीसदी से 20 फीसदी, फिर 21 और 22 फीसदी हो गया. और इस तमाम वित्तीय हेराफेरी के बीच चीन ने उत्तरी इटली में रियल इस्टेट और कारोबार खरीदने की झड़ी सी लगा दी. रेंजी और चीनियों का जिक्र एक साथ करने की वजह कुछ अजीबोगरीब बातें थीं, जो इटली और चीन की सरकारों के बीच हो रही थीं.
इटली की अर्थव्यवस्था के संबल माने जाने वाले वित्तीय, टेलीकम्युनिकेशंस, औद्योगिक, फैशन सेक्टर में चीन की लगातार खरीद की अनदेखी की जा रही थी. और यह सब हुआ मिलानो में. 2014 में कंपनियों की खरीद के साथ चीन ने इटली की अर्थव्यवस्था में 5 अरब यूरो का निवेश किया. 2016 तक रेंजी के प्रधानमंत्री पद से हटने तक चीनी अधिग्रहण 52 अरब यूरो से ज्यादा हो चुका था और इटली के बड़े उद्योगों का 27 फीसदी यानी तकरीबन 300 से ज्यादा कंपनियां चीन की हो चुकी थीं. इटली की पांच बड़ी बैंक्स का मालिकाना हक अब द बैंक ऑफ चाइना के पास था. चाइना मिलानो इक्विटी एक्सचेंज के बाद इटली का सारा धन चीन में वापस जाने लगा. अब इटली का प्रमुख टेलीकम्युनिकेशन कार्पोरेशन (टेलीकॉम) चीन के अधीन था. टेलीकम्युनिकेशन बाजार में कदम रखते ही हुआवेई ने मिलानो के उपनगर सेग्रेट में पहला रिसर्च सेंटर स्थापित कर दिया. वहां माइक्रोवेव्स पर अनुसंधान हुआ, जिसका परिणाम संभवतया नुकसानदेह प्रौद्योगिकी 5-जी के रूप में मिला.
फिएट-क्राइसलर, प्रिस्मियन और तेरना में भी चीन की नियंत्रण करने जितनी हिस्सेदारी है. जानकर हैरानी होगी कि पिरेली टायर्स की बिक्री का लाभ सीधे चीन जाता है. केमचाइना ने उसे भी खरीद लिया है. यूरोप का सबसे प्रतिष्ठित याट बिल्डर्स फेरेती याट्स भी अब चीन के अधीन है. चीन ने सबसे ज्यादा निवेश किया इटली के सबसे फायदेमंद फैशन उद्योग में. द पिंको पैलिनो, मिस सिक्स्टी, सर्जियो टेशिनी, रॉबर्ता डी केमेरिनो और मेरिया बुरानी ब्रांड्स की 100 फीसदी हिस्सेदारी चीन के पास है. डिजाइनर साल्वातोर फेरागामो 16 फीसदी, करुसो 35 फीसदी हिस्सेदारी बेच चुके हैं.
जब यह खरीददारी का खेल धड़ल्ले से चल रहा था तो रेंजी सरकार ने इटली के दरवाजे चीनियों के लिए पूरी तरह से खोल दिए थे. इसके साथ ही हजारों-लाखों चीनी मिलानो के जरिये (अवैध तरीके से) इटली में पहुंचे और धन, प्रौद्योगिकी, कार्पोरेट सीक्रेट्स लेकर स्वदेश लौट गए. अनगिनत चीनियों के आने का सिलसिला जारी रहा. मिलानो के बाद लोम्बार्डी जैसे बड़े उत्पादक शहरों में कुकुरमुत्ते की तरह चीनियों के अवैध सिलाई केंद्र उग आए, जिन्होंने मेड इन इटली के ठप्पे लगाकर बड़े-बड़े ब्रांड्स का धंधा चौपट कर दिया.
फिर सत्ता के बदलाव का दौर चला. समाजवादी सरकार ने अवैध धंधों पर रोक लगाई, लेकिन फिर तख्तापलट हुआ और साम्यवादियों ने फिर बंदरगाहों के दरवाजे खोल दिए गए और अप्रवासियों का सैलाब आ गया. हजारों चीनी फिर मिलानो आने लगे और सबसे बड़ा हिस्सा था वुहान का.वुहान जो दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने का दोषी है. दिसंबर 2019 में लोम्बार्डी के चीनी बहुल इलाके में कोरोना की पहली कड़ी मिली. वामपंथी सरकारों की ओपन बॉर्डर नीति और सामाजिक न्याय कार्यक्रम ने इटली के लोगों के साथ दगाबाजी की है. कोरोना के खिलाफ इटली की हार की सबसे बड़ी वजह वामपंथी सरकारों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तय रकम को इटली आ रहे अनगनित अप्रवासियों पर खर्च किया जाना रहा. निष्कर्ष यह कि जिंदादिल इटली में छाई मुर्दानगी के दोषी वामपंथी सरकार और चीन हैं.