जर्मनी और फ्रांस बनाएंगे ज्वाइंट आर्मी, भारत की तरफ बढ़ाया दोस्ती का हाथ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 22, 2019 08:00 PM2019-01-22T20:00:31+5:302019-01-22T20:09:06+5:30

यूरोपीय संघ में कुल 28 देश हैं। ब्रिटेन को 29 मार्च को यूरोपीय संघ से अलग होना है। इस फैसले के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे का संसद के अंदर और बाहर काफी विरोध हो रहा है।

French President Emmanuel Macron and German Chancellor Angela Merkel singed pact for joint military industry | जर्मनी और फ्रांस बनाएंगे ज्वाइंट आर्मी, भारत की तरफ बढ़ाया दोस्ती का हाथ

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (बाएं) और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल (तस्वीर- एएफपी)

Highlightsयूरोपीय संघ में कुल 28 देश हैं जिनमें जर्मनी और फ्रांस शामिल हैं।जर्मनी और फ्रांस सैन्य संगठन नाटो का भी हिस्सा हैं। अमेरिका भी नाटो का सदस्य है।जर्मनी और फ्रांस के राजनयिकों के बयान में दुनिया के बहुध्रुवीय होने की बात कही गयी है।

मंगलवार को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि फ्रांस के संग उनके देश की दोस्ती एक "साझा यूरोपीय सेना" बनाने की पहला कदम बढ़ा चुकी है। इस बयान से पहले ही मर्केल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ 'एलीसी संधि' पर हस्ताक्षर किये थे।

मर्केल ने फ्रांस के साथ संधि के बाद कहा दोनों देश राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक एकता की तरफ बढ़ रहे हैं और 'साझा सैन्य उद्योग' तैयार करने तरफ बढ़ रहे हैं।

मंगलवार सुबह भारत के सबसे ज्यादा बिकने वाले अंग्रेजी अखबार में एक अभूतपूर्व घटना घटी। अखबार के संपादकीय पृष्ठ पर फ्रांस के भारत में राजदूत अलेक्जेंडर ज़िगलर और जर्मनी के भारत में राजदूत जैस्पर विएक ने संयुक्त रूप से एक लेख लिखा। 

लेख की पहले पैराग्राफ में कहा गया, "एलीसी संधि के 56 सालों बाद जर्मनी और फ्रांस भारत के प्रमुख साझीदार बन चुके हैं और वो भारत की सरकार और उसकी अवाम की तरफ सहयोग भरा हाथ बढ़ाने के लिए तैयार हैं।"

जर्मनी और फ्रांस की इस घोषणा के साथ यूरोपीय देशों के सामरिक संगठन नाटो का प्रारूप आने वाले समय में एक क्षेत्रीय सैन्य गठबंधन के तौर पर और मजबूत होने वाला है। पिछले कुछ सालों में चीन दुनिया की बड़ी सामरिक बनकर उभरा है। व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में रूस फिर से विश्व शक्ति की तरह पेश आने लगा है। रूस और चीन पहले ही ईरान और उत्तर कोरिया के साथ मिलकर एक शक्तिशाली ब्लॉक बना चुके हैं।

डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस और जर्मनी पर कटाक्ष

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीरिया और इराक जैसों देशों से सेना बुलाने के समर्थक रहे हैं। (फाइल फोटो)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीरिया और इराक जैसों देशों से सेना बुलाने के समर्थक रहे हैं। (फाइल फोटो)
दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत किया है कि वो नाटो से अलग हो सकते हैं। ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी सेना ऐसे देशों में मौजूद है जिनका नाम भी आम अमेरिकी को नहीं पता। ट्रंप उन देशों से अपनी सेनाएँ वापस बुलाना चाहते हैं। पिछले साल ट्रंप ने जर्मनी का यह कहकर मजाक उड़ाया था कि जर्मनी पहले और दूसरे विश्व युद्ध में शामिल था तो उसकी फ्रांस से दोस्ती कैसे होगी?

ट्रंप केवल जर्मनी और फ्रांस के खिलाफ बयानबाजी नहीं करते। पश्चिम एशियाई देशों इराक और सीरिया को लेकर भी ट्रंप की नीति अपने पूर्ववर्ती बराक ओबामा से अलग है। ट्रंप चाहते हैं कि इन देशों से अमेरिकी सेना वापस आये। लम्बे समय तक अमेरिका नाटो का अगुआ रहा है। सभी यूरोपीय देश अमेरिका को कमोबेश अपना सैन्य रक्षक समझते रहे हैं।

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे का यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के मुद्दे पर देश के अंदर विरोध हो रहा है।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे का यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने के मुद्दे पर देश के अंदर विरोध हो रहा है।
ट्रंप के रुख को देखते हुए जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों को सामरिक रूप से आत्मनिर्भर होने की जरूरत महसूस होने लगी है। यूरोपीय संघ में कुल 28 देश हैं। ब्रिटेन को 29 मार्च को यूरोपीय संघ से अलग होना है। इस फैसले के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे का संसद के अंदर और बाहर काफी विरोध हो रहा है। दूसरी तरफ जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल अघोषित रूप से यूरोपीय संघ की सर्वस्वीकार्य नेता बन चुकी हैं।

कूटनीतिक रूप से भारत को अभी तक अमेरिका-ब्रिटेन और रूस-चीन के धड़े के बीच संतुलन साधना पड़ रहा था। फ्रांस और जर्मनी के हाथ मिलकार एक मजबूत तीसरे धड़े के रूप में उभरने का साथ ही भारत की दुविधा बढ़ जाएगी। अब उसे दो नहीं तीन शक्तिशाली गठबंधनों के बीच अपनी जगह बनानी होगी।  जर्मनी और फ्रांस के राजनयिकों ने अपने साझा लेख में इसकी तरफ संकेत करते हुए लिखा है, "भारत के साथ हम बहुध्रवीय व्यवस्था के मुहाने पर हैं जो लोकतांत्रिक मूल्यों और मूल्यआधारित सिद्धांतों पर आधारित है।"

Web Title: French President Emmanuel Macron and German Chancellor Angela Merkel singed pact for joint military industry

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे