वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: जनता ने दिखा दी अपनी ताकत
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 6, 2018 07:33 AM2018-12-06T07:33:48+5:302018-12-06T07:33:48+5:30
फ्रांस की जनता के आगे इमेन्युएल मैक्रों सरकार ने घुटने टेके और घोषणा की कि वह अगले छह माह तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाएगी।
फ्रांस की जागरूक जनता ने इमेन्युएल मैक्रों जैसे नेता के तेवर ढीले कर दिए हैं। उन्होंने पेट्रोल और डीजल के दाम मुश्किल से सिर्फ तीन रु. लीटर बढ़ाए थे कि उनके खिलाफ फ्रांस के सारे शहरों में आंदोलन की आग भड़कने लगी। जनता के आगे मैक्रों सरकार ने घुटने टेके और घोषणा की कि वह अगले छह माह तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें नहीं बढ़ाएगी।
हम भारतीय नागरिक इन फ्रांसीसी नागरिक के सामने कैसे लगते हैं ? हमारे मुंह में जुबान ही नहीं है। हमारे यहां देखते-देखते पेट्रोल और डीजल की कीमतें 50 रु. से कूदकर 80 रु. लीटर तक हो गईं और हम कुछ बोलते ही नहीं हैं. मामला सिर्फ पेट्रोल का ही नहीं है, हर चीज का है. चाहे राफेल-सौदे का हो या सीबीआई अफसरों की रिश्वतखोरी का हो या गोरक्षा के नाम पर हत्याओं का हो, बैंकों में चल रही लूटपाट का हो, अदालतों में चल रही धांधलियों का हो, हमारे नेताओं की मर्यादाहीनता का हो, हमारी जनता के मुंह पर ताला जड़ा रहता है. डॉ. लोहिया कहा करते थे कि जिंदा कौमें पांच साल इंतजार नहीं करतीं।
वे तुरंत कार्रवाई करती हैं। तो क्या हम मुर्दा कौम हैं ? नहीं. अगर मुर्दा होते तो अंग्रेज को कैसे भगाते ? अपने नेताओं पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करते हैं. फ्रांस की जागरूक जनता ने डेढ़ साल में ही मैक्रों को बता दिया कि यदि आप धन्ना-सेठों के दलाल की तरह काम करोगे तो आपको हम नाकों चने चबवा देंगे।
मई में हजारों नौजवानों ने मैक्रों के विरु द्ध इसलिए प्रदर्शन किए थे कि उन्होंने एक लाख बीस हजार मजदूर विरोधी कानून बना दिए थे। महंगाई और बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही थी। ग्रामीण फ्रांसीसी ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि वे मेट्रो, रेल और बसों का बहुत कम इस्तेमाल करते हैं। उन्हें अपने पहाड़ी इलाकों में कारें ही चलानी पड़ती हैं. इसीलिए पेट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों पर उन्होंने पेरिस जैसे शहरों पर घेरा डाला है। हमारे किसानों ने भी मुंबई और दिल्ली को घेरा जरूर लेकिन उनके नेता भी वही लोग हैं, जो 60-70 साल से उन्हें छल रहे थे।