Blog: अंतरिक्ष से जंग लड़ेगा चीन!
By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 13, 2018 01:37 AM2018-10-13T01:37:47+5:302018-10-13T01:37:47+5:30
चीन एक ऐसे उपग्रह (सैटेलाइट) का निर्माण कर रहा है, जो लेजर टेक्नोलॉजी से लैस होगा। वह अंतरिक्ष में और समुद्री पनडुब्बियों पर हमला कर सकेगा।
(निरंकार सिंह)
चीन एक ऐसे उपग्रह (सैटेलाइट) का निर्माण कर रहा है, जो लेजर टेक्नोलॉजी से लैस होगा। वह अंतरिक्ष में और समुद्री पनडुब्बियों पर हमला कर सकेगा। हालांकि इस तरह के उपग्रहों के निर्माण की कोशिश अमेरिका और रूस पहले ही कर चुके हैं। पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली।
पर अब खुद को सशक्त बनाने के लिए चीन इन दिनों दोतरफा तैयारी में जुटा है। वह एक ऐसे लेजरयुक्त सैटेलाइट पर काम कर रहा है जो अंतरिक्ष और महासागर दोनों के लिए काम करेगा। इसके जरिए चीन का उद्देश्य महासागर में होने वाली हर हरकत पर निगरानी रखना और प्रतिद्वंद्वी देशों के नौसैनिक बलों की पनडुब्बियों पर हमला करना है। चीन की पायलट नेशनल लेबोरेटरी फॉर मरीन साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इस डिवाइस को तैयार किया जा रहा है।
चीनी वैज्ञानिकों ने पिछले साल सरकार को इस तकनीक की जानकारी दी और इस साल मई में सरकारी धन के साथ इस योजना पर काम शुरू हुआ। इस डिवाइस को विमान के साथ-साथ सैटेलाइट पर लगाकर चीन अंतरिक्ष से निगरानी भी कर सकेगा। यदि चीन का प्रोजेक्ट सफल होता है तो यह भारत के लिए चिंता की बात है। भारत के साथ उत्तर में चीन की तीन हजार किमी तक सीमा जुड़ी है। उसकी नजरें भारत के आसपास के समुद्री क्षेत्रों को घेरने पर भी हैं। पिछले कुछ वर्षो में चीन ने हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। म्यांमार, श्रीलंका और पाकिस्तान के बाद मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव भी भारत के लिए एक इशारा है।
भारत समुद्र के रास्ते अधिकांश व्यापार करता है। जहाजरानी मंत्रलय के अनुसार, मात्र के आधार पर 95 फीसदी और मूल्य के आधार पर 70 प्रतिशत व्यापार समुद्री परिवहन से होता है। ऐसे में सैटेलाइट और जासूसी विमानों से निगरानी भारत और उन सभी देशों की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकती है जिन्हें चीन मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता है