ब्लॉग: ताइवान को लेकर इस यूरोपीय देश को सताने लगा चीन, यूरोपीय संघ मौन

By रुस्तम राणा | Published: January 9, 2022 05:33 PM2022-01-09T17:33:52+5:302022-01-10T08:28:17+5:30

चीन इस छोटे से यूरोपीय देश को अपनी ताकत से परेशान कर रहा है। वो यहां से होने वाले आयात को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है। चीन ने अपनी कूटनीति से यहां वैश्विक सप्लाई चेन को रोक दिया है।

China targets Lithuania over Taiwan, hits global supply chains | ब्लॉग: ताइवान को लेकर इस यूरोपीय देश को सताने लगा चीन, यूरोपीय संघ मौन

ब्लॉग: ताइवान को लेकर इस यूरोपीय देश को सताने लगा चीन, यूरोपीय संघ मौन

ताइवान को विनियस में एक प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की अनुमति देने के पर लिथुआनिया चीन अब चीन के निशाने पर है। चीन इस छोटे से यूरोपीय देश को अपनी ताकत से परेशान कर रहा है। वो यहां से होने वाले आयात को रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है। चीन ने अपनी कूटनीति से यहां वैश्विक सप्लाई चेन को रोक दिया है। 

बता दें कि इससे पहले जब कैनबरा ने कोरोनावायरस महामारी की उत्पत्ति की जांच को लेकर चीन को घेरा तो इसके जवाब में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से शराब का आयात रोक दिया गया था। इसके अलावा नॉर्वे से सैल्मन के आयात को भी चीन ने रोका था। यानी चीन लगातार इस तरह के हथकंडे अपने विरोधियों के खिलाफ उठाता रहता है। चीनी इस कार्रवाई के तहत, लिथुआनिया पर विनियस में ताइवान के कार्यालय का नाम बदलने के लिए दबाव डाल रहा हैं। 

वहीं यूरोपीय संघ के शक्तिशाली देश जर्मनी और फ्रांस के साथ चीन के अच्छे आर्थिक संबंध है। यही वजह है कि लिथुआनिया के खिलाफ चीन द्वारा की जा रही इस कार्रवाई पर दोनों देश मौन हैं। जर्मनी में कंपनियों के सीईओ अपनी सरकार से चीन के साथ टकराव वाली विदेश नीति से दूर रहने को कह रहे हैं।

लेकिन इस बीच अमेरिकी कांग्रेस मानवाधिकारों को लेकर चीन पर शिकंजा कसने लगा है। हाल ही में यूएस कांग्रेस ने 'उइगर जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम' पारित किया है, जो शिंजियांग क्षेत्र में जबरन श्रम करके बनाए गए सामान के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाता है।
 
चीन को लिथुआनिया का कुल निर्यात 2020 में केवल 350 मिलियन अमेरिकी डालर था, जिसमें व्यापार संतुलन बीजिंग के पक्ष में था, लेकिन शी जिनपिंग (Xi Jinping) शासन ने लिथुआनिया को निशाना बनाने के लिए वैश्विक सप्लाई चेन को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रतिबंधों का विस्तार कर किया है।

लिथुआनिया, ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे जैसे देशों के साथ चीन ने जो कुछ भी किया है, वो दिखाता है कि चीन अपनी बुराई नहीं सुन सकता। साल 1959 में 14वें दलाई लामा को धर्मशाला में शरण दिए जाने के बाद सबसे पहले भारत को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी।

चीनी नेता माओत्से तुंग ने 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 1962 के युद्ध की शुरुआत कर दी थी। तब से चीन के साथ भारत का सीमा विवाद कभी नहीं सुलझ सका है।

Web Title: China targets Lithuania over Taiwan, hits global supply chains

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