ब्लॉग: दृष्टिबाधितों के लिए वरदान है ब्रेल लिपि, जानें कब, कैसे और किसने तैयार की यह लिपी
By योगेश कुमार गोयल | Published: January 4, 2023 09:58 AM2023-01-04T09:58:25+5:302023-01-04T10:07:32+5:30
ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्वभर में करीब 3.9 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते जबकि 25.3 करोड़ लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। इनमें से करीब 10 करोड़ लोगों को नजर की ऐसी कमजोरी अथवा विकलांगता है, जिसे रोका जा सकता था या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।

फोटो सोर्स: Wikipedia CC (https://en.wikipedia.org/wiki/File:English_braille_sample.jpg)
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 6 नवंबर 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें प्रतिवर्ष 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल के जन्मदिवस को उनके सम्मान में ‘विश्व ब्रेल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था।
वैश्विक स्तर पर इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत का उद्देश्य संचार के साधन के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना, दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करना तथा ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है।
बचपन में ही लुई ब्रेल की खो गई थी आंखों की रौशनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में करीब 3.9 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते जबकि 25.3 करोड़ लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। इनमें से करीब 10 करोड़ लोगों को नजर की ऐसी कमजोरी अथवा विकलांगता है, जिसे रोका जा सकता था या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।
लुई ब्रेल ने केवल तीन साल की उम्र में ही एक दुर्घटना के कारण अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी थी. आंखें संक्रमित होने के कारण उनकी आंखों की दृष्टि पूरी तरह चली गई थी लेकिन दृष्टिहीनता के बावजूद उन्होंने न केवल अकादमिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया बल्कि छात्रवृत्ति पर ‘रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ’ चले गए।
कैसे तैयार हुआ ब्रेल लिपि
1821 में फ्रांसीसी सेना के एक कैप्टन चार्ल्स बार्बियर लुई ब्रेल के स्कूल के दौरे पर आए थे, जिन्होंने सेना के लिए एक विशेष क्रिप्टोग्राफी लिपि का विकास किया था, जिसकी मदद से सैनिक रात के अंधेरे में भी संदेशों को पढ़ सकते हैं।
चार्ल्स ने स्कूल में बच्चों के साथ ‘नाइट राइटिंग’ नामक यही तकनीक साझा की, जिसका उपयोग सैनिक दुश्मनों से बचने के लिए किया करते थे। ब्रेल ने इसी आइडिया के आधार पर अपनी लिपि पर कार्य शुरू किया और उन्होंने 1824 में अपनी लिपि को तैयार कर लिया, जो काफी सरल थी। इसी को ब्रेल लिपि के नाम से जाना गया।