ब्लॉगः पाकिस्तान पर मंडराने लगा है तालिबानी शासन का खतरा, वह दिन दूर नहीं जब...
By अवधेश कुमार | Published: January 10, 2023 12:33 PM2023-01-10T12:33:03+5:302023-01-10T12:33:34+5:30
टीटीपी अफगानिस्तान में प्राप्त प्रश्रय एवं सहयोग के कारण पाकिस्तान में जाकर हमले करता है और वापस आ जाता है। टीटीपी पाकिस्तान के संघ शासित जनजातीय क्षेत्र पर प्रभुत्व कायम कर चुका है और स्वात घाटी कभी भी उसके नियंत्रण में आ सकती है।

ब्लॉगः पाकिस्तान पर मंडराने लगा है तालिबानी शासन का खतरा, वह दिन दूर नहीं जब...
अफगानिस्तान की तरह पाकिस्तान में तालिबान के वर्चस्व का प्रत्यक्ष खतरा दिखने लगा है। तहरीक-ए-तालिबानपाकिस्तान यानी टीटीपी अफगानिस्तान को केंद्र बनाकर सत्ता पर कब्जा करने की जंग छेड़ चुका है। उसने बलूचिस्तान, वजीरिस्तान आदि में अपनी समानांतर सरकारें गठित कर इसकी घोषणा भी कर दी है। टीटीपी को लेकर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ चुका है। अफगानिस्तान के उपप्रधानमंत्री तालिबानी अहमद यासिर ने ट्विटर पर 1971 में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की ऐतिहासिक तस्वीर साझा करते हुए लिखा है कि पाकिस्तान ने उन पर हमला किया तो उसे ऐसी ही शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने तालिबान को धमकी दी थी कि टीटीपी ने उनके देश पर हमले नहीं रोके तो पाकिस्तानी फौज अफगानिस्तान में घुसकर उन आतंकवादियों के ठिकानों को खत्म करेगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी अफगानिस्तान सरकार से कहा कि टीटीपी पर लगाम लगाएं, अगर वह इसमें विफल रहते हैं तो आतंकवादियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई की जाएगी। इसकी प्रतिक्रिया में राणा सनाउल्लाह ने यह ट्वीट किया है।
इस एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान इस समय टीटीपी के खतरे को लेकर किस स्थिति से गुजर रहा है। दरअसल, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करना शुरू किया तो पाकिस्तान ने हर तरीके से न केवल उसकी मदद की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इमरान खान और उनके साथियों ने उनका पूरी तरह बचाव किया। उनको लगता था कि तालिबान का शासन स्थापित होने के बाद वे पहले की तरह फिर से एक उपनिवेश की भांति इसका उपयोग करेंगे और भारत जैसे देश के लिए परेशानियां बढ़ेंगी। पाकिस्तान ने तालिबान से अपने संबंधों का उपयोग कर चीन के लिए वहां काम करने के आधार भी तैयार किए। किंतु तालिबान ने सत्ता में आने के साथ धीरे-धीरे स्वतंत्र स्वायत्त व्यवहार करना शुरू किया और इस समय वे सबसे बड़े दुश्मन और सिरदर्द किसी के लिए बने हुए हैं तो वह पाकिस्तान है।
टीटीपी अफगानिस्तान में प्राप्त प्रश्रय एवं सहयोग के कारण पाकिस्तान में जाकर हमले करता है और वापस आ जाता है। टीटीपी पाकिस्तान के संघ शासित जनजातीय क्षेत्र पर प्रभुत्व कायम कर चुका है और स्वात घाटी कभी भी उसके नियंत्रण में आ सकती है। टीटीपी ने पाकिस्तानी सेना के साथ शांति संधि को पहले से तोड़ना आरंभ कर दिया था। वास्तव में आज शांति संधि केवल कागजों पर है और टीटीपी से पाकिस्तानी सेना का सीधा युद्ध चल रहा है।