वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: दलाई लामा से खौफजदा चीन

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 8, 2019 08:06 AM2019-07-08T08:06:30+5:302019-07-08T08:06:30+5:30

नेपाल में जब से पुष्पकमल दहल प्रचंड और के.पी. ओली की कम्युनिस्ट सरकारें बनी हैं, चीन का दबाव बढ़  गया है. चीन और नेपाल की सीमा 1236 किमी तक फैली हुई है.

Blog of Ved Pratap Vaidik: China from the Dalai Lama feared | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: दलाई लामा से खौफजदा चीन

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: दलाई लामा से खौफजदा चीन

नेपाल में लगभग 20 हजार तिब्बती शरणार्थी रहते हैं. इस बार 6 जुलाई को उन्हें नेपाली सरकार ने दलाई लामा का जन्मोत्सव नहीं मनाने दिया. दलाई लामा का यह 84वां जन्मदिन था. नेपाल में बरसों से रह रहे हजारों तिब्बतियों को इसलिए निराश होना पड़ा कि उस पर चीन का भारी दबाव है. चीन बिल्कुल नहीं चाहता कि तिब्बती नेपाल या भारत में रहकर कोई चीन-विरोधी आंदोलन चलाएं.  

नेपाल में जब से पुष्पकमल दहल प्रचंड और के.पी. ओली की कम्युनिस्ट सरकारें बनी हैं, चीन का दबाव बढ़  गया है. चीन और नेपाल की सीमा 1236 किमी तक फैली हुई है. इस सीमा पर कड़ी सुरक्षा के बावजूद इतने रास्ते बने हुए हैं कि तिब्बत से भागकर आनेवाले लोगों को रोकना दोनों देशों के लिए कठिन होता है. जब से (1950 में) तिब्बत पर चीन का कब्जा हुआ है और दलाई लामा (1959 में)  भारत आए हैं, हर साल तिब्बत से निकलकर हजारों लोग दुनिया के कई देशों में शरण लेते हैं.

लेकिन नेपाल सबसे निकट पड़ोसी होने के कारण चीन को बार-बार भरोसा दिलाता है कि वह अपने देश की जमीन का इस्तेमाल चीन-विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा. बदले में चीन नेपाल में आंख मींचकर पैसा बहा रहा है.

यह ठीक है कि नेपाली भूमि से तिब्बत की आजादी का आंदोलन चलाने देना या वहां हिंसक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने देना अंतर्राष्ट्रीय कानून के खिलाफ है लेकिन दलाई लामा के जन्मदिन पर  तिब्बतियों की सभा और जुलूस पर रोक लगाना और शरणार्थियों को प्रमाण-पत्न नहीं देना भी तो अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के नियमों का सरासर उल्लंघन है. 

जहां तक तिब्बत की आजादी का सवाल है, कुछ साल पहले दलाई लामा ने आस्ट्रिया में साफ-साफ कहा था कि तिब्बत को वे चीन का अभिन्न अंग मानते हैं. वे तिब्बत को चीन से अलग नहीं करना चाहते हैं लेकिन वे तिब्बती सभ्यता और धर्म के मामले में स्वायत्तता चाहते हैं. भारत और नेपाल भी तिब्बत को चीन का अभिन्न अंग बता चुके हैं. फिर भी चीन के शासक पता नहीं क्यों इतने डरे हुए हैं? समझ में नहीं आता कि वे दलाई लामा से सीधे बात क्यों नहीं करते? 15-20 साल पहले वे दलाई लामा के भाई के साथ संपर्क में थे लेकिन वह भी अब खत्म हो चुका है. मैं सोचता हूं कि हमारे विदेश मंत्नी डॉ. जयशंकर इस संबंध में कुछ पहल करें तो उसके अच्छे नतीजे निकल सकते हैं.
 

Web Title: Blog of Ved Pratap Vaidik: China from the Dalai Lama feared

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे