सारंग थत्ते का ब्लॉग: आतंकवाद अब दूसरे दरवाजे से हमारे करीब!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 23, 2019 09:30 AM2019-04-23T09:30:17+5:302019-04-23T09:30:17+5:30

तमिल लड़ाई के खात्मे की दसवीं बरसी से 25 दिन पहले इस किस्म के आत्मघाती हमले को अंजाम देकर कहीं न कहीं कट्टरपंथी गुटों ने सरकार को ललकारा है - उम्मीद की जानी चाहिए कि  श्रीलंका में मौजूद शांति में आने वाले दिनों में एक नया मोड़ नजर आएगा.

Blog of Sarang Thatta: Terrorism is now closer to us than the other door! | सारंग थत्ते का ब्लॉग: आतंकवाद अब दूसरे दरवाजे से हमारे करीब!

सारंग थत्ते का ब्लॉग: आतंकवाद अब दूसरे दरवाजे से हमारे करीब!

श्रीलंका में इस रविवार को हुए बम धमाकों के पीछे किसका हाथ है? कौन है जिसकी वजह से इस द्वीप में इतनी बड़ी तादाद में लोगों को मार दिया गया है? अब तक किसी भी संगठन ने इस बाबत कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन पुलिस ने शक के आधार पर 24 लोगों को पकड़ा है. कौन हो सकते हैं इस घटना को अंजाम देने वाले? 

श्रीलंका के प्रवक्ता ने सोमवार को इस बात का खुलासा किया कि हादसे से पहले 4 अप्रैल को इस बारे में कुछ जानकारी प्राप्त हुई थी. 9 अप्रैल को ख़ु़फिया विभाग के प्रमुख ने एक खत लिखकर कई नामों के बारे में जिक्र किया था जो आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए हैं.   लेकिन कब और कहां यह हमला होगा, इसके बारे में कोई विश्वस्त जानकारी नहीं दी गई थी.

सूचना के आधार पर खतरा होने के आसार नजर आ रहे थे. इसलिए कई सवाल श्रीलंका की सरकार पर उठ रहे हैं - जब इस किस्म की खतरनाक जानकारी थी तब उस पर पुलिस और सरकार की गुप्तचर सेवाओं ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? 2016 में सरकार ने यह भी माना था कि 32 श्रीलंकाई बाशिंदों ने आईएस  में शामिल होने की पहल की है. लेकिन अब इस गुट के कितने लोग देश में वापस आए हुए हैं, इसका कोई ब्योरा अब तक साझा नहीं हुआ है. क्या इस  विस्फोट और हत्या के पीछे चरमपंथी गुट के सदस्यों का हाथ है? 

सरकार ने स्थानीय गुट को इस हमले के लिए जिम्मेवार बताया है.  सरकारी अध्यादेश में आतंकवाद से निपटने के प्रावधानों को सरकारी गजट में प्रकाशित किया जाएगा. सरकारी प्रवक्ता ने इस बात को भी जोर देकर कहा है कि सूचना की स्वतंत्नता पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन आतंकवाद को किस तरह काबू करना है, यह इस अध्यादेश का उद्देश्य रहेगा. यह एक बड़े असरदार तरीके को अंजाम देने की पहल नजर आती है.

विस्फोटों में आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी वजह से सही जगह पर सही समय पर आईईडी को ब्लास्ट में तब्दील करने के लिए तैयारी की गई थी. इस सब में कहीं न कहीं कट्टरपंथी गुटों को बाहर से सहायता मिली होगी, ऐसा माना जा रहा है.

तमिल लड़ाई के खात्मे की दसवीं बरसी से 25 दिन पहले इस किस्म के आत्मघाती हमले को अंजाम देकर कहीं न कहीं कट्टरपंथी गुटों ने सरकार को ललकारा है - उम्मीद की जानी चाहिए कि  श्रीलंका में मौजूद शांति में आने वाले दिनों में एक नया मोड़ नजर आएगा.

इसका अंतर्राष्ट्रीय असर श्रीलंका के पर्यटन पर पड़ेगा एवं सीधे- सीधे देश की अर्थव्यवस्था इसके घेरे में आएगी. भारत के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि श्रीलंका से हमारी दूरी बेहद कम है. भारत सरकार को इस दायरे में भी सोचना पड़ेगा- क्या आतंकवाद अब दूसरे दरवाजे से हमारे करीब आ रहा है? 

Web Title: Blog of Sarang Thatta: Terrorism is now closer to us than the other door!

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