जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: तेल की बढ़ती कीमतें फिर बढ़ाएंगी मुश्किलें

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 26, 2019 07:55 AM2019-04-26T07:55:41+5:302019-04-26T07:55:41+5:30

गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका ने कहा है कि वह 2 मई के बाद किसी भी देश को ईरान से कच्चा तेल आयात करने की छूट नहीं देगा. अगर कोई देश ऐसा करता है तो अमेरिका उस देश पर भी प्रतिबंध लगाएगा.

Blog of Jayantilal Bhandari: Difficulties to increase the rising oil prices | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: तेल की बढ़ती कीमतें फिर बढ़ाएंगी मुश्किलें

ईरान से कच्चा तेल लेना भारत के लिए फायदेमंद होता है.

हाल ही में 24 अप्रैल को विश्व बैंक ने कहा है कि ईरान से भारत सहित आठ देशों को कच्चा तेल आयात करने की अमेरिका की छूट खत्म किए जाने के ट्रम्प प्रशासन के ऐलान के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है. यह कीमत 74 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई है. विश्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम और बढ़ने के जोखिम का संकेत दिया है. जहां सऊदी अरब ने कहा है कि वह कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाएगा वहीं तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के द्वारा भी तेल उत्पादन में बढ़ोत्तरी की कोई संभावना नहीं है. 

गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका ने कहा है कि वह 2 मई के बाद किसी भी देश को ईरान से कच्चा तेल आयात करने की छूट नहीं देगा. अगर कोई देश ऐसा करता है तो अमेरिका उस देश पर भी प्रतिबंध लगाएगा. ट्रम्प प्रशासन ने 4 नवंबर, 2018 को ईरान के कच्चे तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. लेकिन भारत सहित आठ देशों को तेल के विकल्प तलाशने के लिए 180 दिनों की मोहलत दी गई थी. ईरान से सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात चीन और भारत करते हैं. अर्थ विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल के दाम आगामी छह महीनों में बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं. चूंकि भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है तथा  अपनी जरूरत का 10 फीसदी कच्चा तेल ईरान से आयात करता है, अतएव कच्चे तेल की कीमतों के मामले में भारत की मुश्किलें  बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं. ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति बंद होने से चालू वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का चालू खाते का घाटा बढ़ेगा. रुपया कमजोर होगा. तेल के दाम 10 फीसदी बढ़े तो खुदरा महंगाई 0.24 फीसदी तक बढ़ सकती है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में भारत का तेल आयात बिल 125 अरब डॉलर का था जो वर्ष 2017-18 के मुकाबले 42 फीसदी ज्यादा था. यदि कच्चा तेल चालू वित्त वर्ष 2019-20 में महंगा हुआ तो तेल आयात बिल और बढ़ जाएगा.   

उल्लेखनीय है कि ईरान से कच्चा तेल लेना भारत के लिए फायदेमंद होता है. ईरान भारत को 60 दिनों के लिए उधार देता है. सऊदी अरब सहित अन्य देश भारत को यह सुविधा नहीं देते हैं. ईरान तेल के बदले भारत से कई वस्तुएं भी खरीदता है. यदि ईरान की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाएगी तो हमारे निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा. साथ ही भारत को लाभान्वित करने वाली ईरान में चाबहार बंदरगाह के निर्माण जैसी कई दूरगामी परियोजनाएं भी प्रभावित होंगी. ऐसे में एक ओर भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए मेक्सिको से सात लाख टन अतिरिक्त कच्चा तेल लेने के विकल्प को ध्यान में रखना होगा, वहीं संयुक्त अरब अमीरात से 10 लाख टन, कुवैत से 15 लाख टन और सऊदी अरब से 20 लाख टन कच्चा तेल आयात करने के विकल्पों पर ध्यान देना होगा. साथ ही भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति के उपयुक्त और लाभप्रद विकल्पों की रणनीति पर भी आगे बढ़ना होगा. वैश्विक अर्थ-विशेषज्ञों का  कहना है कि महंगे होते हुए कच्चे तेल के मद्देनजर डॉलर की बढ़ती हुए चिंताओं से बचने के लिए भारत को ईरान के साथ-साथ रूस और वेनेजुएला के साथ रुपए में कारोबार की संभावनाओं को साकार करने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा. 

अब ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद होने की आशंका के बीच कच्चे तेल की कीमतें घटाने के लिए निश्चित रूप से दुनिया के तीन में से दो सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश चीन और भारत हाथ मिलाकर तेल उत्पादक देशों पर कच्चे तेल की कीमत वाजिब किए जाने का दबाव बनाने हेतु संयुक्त रणनीति को अंतिम रूप दे सकते हैं. अब चूंकि ईरान से भारत की तेल आपूर्ति बंद होने के कारण भारत और चीन में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ेंगी, ऐसे में जरूरी है कि भारत और चीन तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक पर तेल की कीमतें कम करने के लिए दबाव बनाएं. चूंकि चीन और भारत दुनिया में बड़े तेल आयातक देश हैं अतएव उनसे कोई एशियाई प्रीमियम वसूल करने की बजाय उन्हें बड़ी मात्ना में तेल खरीदी का विशेष डिस्काउंट दिया जाए. 

 निश्चित रूप से ट्रम्प के ऐलान के बाद ईरान से तेल आपूर्ति में कमी होगी और उससे अर्थव्यवस्था से लेकर आम आदमी तक प्रभावित होगा. अतएव पेट्रोल और डीजल के बढ़ते उपभोग से बचने के लिए नीति आयोग ने सार्वजनिक परिवहन की नई रणनीति पेश करने की जो बात कही है, उसे शीघ्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जाना होगा. जैव ईंधन का उपयोग बढ़ाना होगा. अभी पेट्रोल और डीजल में 10 फीसदी एथनॉल का मिश्रण किया जाता है. 2030 तक इसे बढ़ाकर 20 फीसदी किए जाने  का जो लक्ष्य रखा गया है, उसकी दिशा में तेज कदम उठाए जाने होंगे. इससे पेट्रोल-डीजल की कीमत में 4 से 5 रु पए प्रति लीटर की कमी लाई जा सकेगी.

Web Title: Blog of Jayantilal Bhandari: Difficulties to increase the rising oil prices

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे