डॉ कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का ब्लॉग: भारत के खिलाफ चीन और नेपाल की षड्यंत्रकारी जुगलबंदी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 27, 2020 09:35 AM2020-05-27T09:35:43+5:302020-05-27T09:35:43+5:30
चीन ने अपने आधिकारिक बयान में इस पूरे विवाद को नेपाल और भारत का आपसी मुद्दा बताया है, लेकिन सच्चाई यही है कि परदे के पीछे से पूरा खेल चीन ही खेल रहा है.
नेपाल के प्रधानमंत्नी के.पी. शर्मा ओली ने हाल ही में संसद में अपने जहरीले भाषण में भारत पर हमला करते हुए कहा है कि भारत का वायरस चीन और इटली की तुलना में अधिक घातक है. ओली ने यह भी कहा कि कालापानी-लिपुलेख और लिंपियाधुरा त्रिपक्षीय नेपाल-भारत-चीन में हैं और किसी भी कीमत पर नेपाल के नक्शे में शामिल होंगे.
8 मई को जब भारत के रक्षा मंत्नी राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर रोड का उद्घाटन किया था तो नेपाल ने इस पर आपत्ति जताई थी. नेपाल ने अब एक नया नक्शा तैयार किया है, जिसमें इन तीन क्षेत्नों को शामिल किया गया है.
चालबाज एवं तानाशाह चीन को दुनिया में अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है और चीन जब दुनिया के तमाम देशों को देखता है तो उसे भारत में ही वे सभी खूबियां नजर आती हैं जो उसे आर्थिक और रणनीतिक मोर्चे पर मात देकर उसकी जगह ले सकता है. तो क्या ये ही वजह है कि चीन अब भारत को सीमा विवाद में उलझाने की कोशिश कर रहा है?
कोरोना के इस संकट के दौर में चीन के बहिष्कार के बाद भारत ही दुनिया की बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन सकता है. चीन की साजिशों की कहानी की एक लंबी फेहरिस्त है. फिलहाल चीन भारत को सीमा विवाद में उलझाने की कोशिश कर रहा है.
लद्दाख में चीन ने खुद घुसपैठ की और भारत के सैनिकों पर झूठे इल्जाम लगाए. फिलहाल यहां पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं और खुद को मजबूत कर रहे हैं. नेपाल ने भी नया नक्शा जारी करके भारत के साथ सीमा विवाद खड़ा करने की कोशिश की है, लेकिन नेपाल की इस हरकत का मास्टरमाइंड चीन को ही माना जा रहा है. इसके अलावा भारत के क्षेत्न गिलगित बाल्टिस्तान, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया है, में भी चीन की कंपनियां निर्माण कार्य की तैयारी करके विवाद पैदा कर रही हैं.
चीन ने अपने आधिकारिक बयान में इस पूरे विवाद को नेपाल और भारत का आपसी मुद्दा बताया है, लेकिन सच्चाई यही है कि परदे के पीछे से पूरा खेल चीन ही खेल रहा है. भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणो ने भी इसके संकेत दिए थे. कुछ दिनों पहले, जनरल नरवणो ने संकेत दिया कि नेपाल मानसरोवर के रास्ते पर लिपुलेख को लेकर नेपाल किसी और के इशारे पर विरोध कर रहा है.
ओली ने भारतीय सेना प्रमुख नरवणो के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. ओली ने कहा, ‘हम जो कुछ भी करते हैं, अपने मन से करते हैं.’ ओली ने कहा कि वह भारत के साथ मधुर संबंध चाहते हैं लेकिन वह पूछना चाहते हैं कि वे सत्यमेव जयते मानते हैं या सिंहमेव जयते. ओली का ये तंज भारत की सैन्य ताकत को लेकर था.
चीन की शह पर नेपाल क्या ये साबित करने की साजिश कर रहा है कि सिर्फ उसके ही नहीं भारत के भी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद हैं? इसके अलावा चीन लद्दाख में भी अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है और भारत के इलाकों को दबाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत ने चीन की दादागीरी पर अपना स्टैंड बहुत पहले साफ कर दिया था. चीन अब भारत से कुछ ले नहीं सकता.
पाकिस्तान सरकार के साथ मिलकर चीन गिलगित-बाल्टिस्तान में भी साजिशें कर रहा है. यहां पर एक बांध के निर्माण के लिए चीन की एक सरकारी कंपनी ने 442 अरब रु. का अनुबंध साइन किया है जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है.
चीन ने भारत के साथ-साथ जापान, वियतनाम, फिलीपींस, ताइवान जैसे देशों से विवाद बढ़ा रखा है. कोरोना कांड के बाद अमेरिका और यूरोप के देश भी चीन से नाराज हैं. कोरोना पर जांच की मांग करने और चीन से सामान न खरीदने की बात करने पर चीन ने ऑस्ट्रेलिया को भी धमकी दी है. इसका मतलब साफ है कि दुनिया भर से चीन की ये दुश्मनी भारत को ही फायदा पहुंचाएगी.
चीन की गर्दन कोरोना मामले में बुरी तरह फंसी हुई है और तमाम बड़े देश उस पर जांच के लिए दबाव बनाये हुए हैं. ऐसे में चीन ध्यान भटकाने के लिए विवाद पैदा कर रहा है और नेपाल को सीमा विवाद के लिए उकसा रहा है. चीन छल एवं षड्यंत्न में महारत हासिल कर चुका है, लेकिन भारत के साथ विवाद उत्पन्न करने का खामियाजा चीन एवं नेपाल दोनों को भुगतना होगा और इसमें नेपाल का बहुत ज्यादा नुकसान होने की आशंका है.