अवधेश कुमार का ब्लॉग: लंदन के आतंकी हमले के संकेत
By अवधेश कुमार | Published: December 7, 2019 04:23 PM2019-12-07T16:23:19+5:302019-12-07T16:23:19+5:30
प्रधानमंत्नी जॉनसन की यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, क्योंकि हमलावर ने जिस तरह चाकुओं से वार करके अपनी कमर में बंधे नकली आत्मघाती बेल्ट से आतंक पैदा कर दिया था
ब्रिटेन की राजधानी में लंदन ब्रिज पर चाकूबाजी की घटना को ब्रिटिश सरकार तथा पुलिस ने आतंकवादी घटना मानकर गंभीरता से इसकी छानबीन आरंभ कर दी है. चूंकि इस घटना में केवल दो लोग मारे गए तथा कुछ घायल हुए इसलिए हमारे यहां इसे ज्यादा महत्व नहीं मिला, लेकिन स्वयं ब्रिटेन एवं यूरोप के प्रमुख देशों में इस पर गहन विमर्श चल रहा है. हमले का तरीका, उसके पीछे की विचारधारा, छानबीन से सामने आते तथ्य, हमलावर की पृष्ठभूमि एवं संगठन की प्रेरणा इसे गंभीर घटना साबित करते हैं.
आतंकवादी ने जो स्थिति पैदा कर दी थी उसमें उसको ढेर करना ही मेट्रोपॉलिटन पुलिस और सिटी ऑफ लंदन पुलिस के सामने विकल्प बचा था. लंदन पुलिस के ऑम्र्ड स्पेशलिस्ट ऑफिसर्स द्वारा मौके पर आतंकवादी को ढेर कर दिया गया. ब्रिटिश प्रधानमंत्नी बोरिस जॉनसन ने कहा कि मैं उन लोगों की असाधारण बहादुरी को भी श्रद्धांजलि देना चाहता हूं जिन्होंने दूसरों के जीवन को बचाने के लिए खुद की जान की परवाह किए बिना हमलावर को रोकने की कोशिश की.
प्रधानमंत्नी जॉनसन की यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक थी, क्योंकि हमलावर ने जिस तरह चाकुओं से वार करके अपनी कमर में बंधे नकली आत्मघाती बेल्ट से आतंक पैदा कर दिया था उसमें अपनी जान जोखिम में डालने वाले सभी सम्मान के पात्न हैं. इस हमले के बाद ऐसी मांग उठी है कि न्याय मंत्नालय ब्रिटेन की जेलों में आतंकवाद के मामलों में बंद तथा रिहा किए गए लोगों की तत्काल समीक्षा करे. ब्रिटिश प्रधानमंत्नी बोरिस जॉनसन ने स्पष्ट कहा है कि ऐसे खतरनाक कैदियों की जल्द रिहाई को रद्द करके लंदन के पुल पर हुए हमले को रोका जा सकता था.
प्रधानमंत्नी से लेकर पुलिस तक को अब यह अहसास हो रहा है कि हमला करने वाले उस्मान की रिहाई एक बड़ी गलती थी. बहरहाल, जांच के साथ ब्रिटेन में आत्मविश्लेषण का दौर आरंभ हो गया है. ब्रिटेन में मानवाधिकार के नाम पर जिस तरह की छूट आरोपियों को मिलती है उस पर भी पुनर्विचार होने लगा है.