अवधेश कुमार का ब्लॉग: दुनिया में बढ़ रही है चीन से प्रतिशोध की भावना
By अवधेश कुमार | Published: June 16, 2020 11:31 AM2020-06-16T11:31:16+5:302020-06-16T11:31:16+5:30
ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, इटली, स्पेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि कह रहे हैं कि अगर उसने पहले बता दिया होता तो इतने संक्रमणों और मौतों का सामना दुनिया को नहीं करना पड़ता.
चीन अपनी ओर से जो भी कोशिश करे, भारत के खिलाफ सीमा पर स्वयं, पाकिस्तान एवं नेपाल तक से गतिविधियां करा ले, इस समय उसके खिलाफ विश्व समुदाय में इतनी नाराजगी है जो शायद आधुनिक विश्व में पहले किसी एक राष्ट्र के खिलाफ कभी नहीं देखी गई. चीन को भी ऐसी स्थिति का सामना पहली बार करना पड़ रहा है.
दुनिया की एकमात्र सर्वाधिक दबदबे वाली सामरिक और आर्थिक महाशक्ति का सपना लिए आगे बढ़ने वाले चीन के जीवन में यह असाधारण चुनौती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक के पूर्व भी साफ दिख रहा था कि कोविड-19 पर उसके व्यवहार को लेकर प्रतिशोध का भाव दुनिया में प्रबल है.
हाल ही में इजराइल की कंपनी लाइट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि कोविड-19 के कहर के बाद चीन और चीनियों के प्रति ट्विटर पर हेट स्पीट 900 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्विटर पर चाइनीजवायरस, कम्युनिस्टवायरस और कुंगफ्लू जैसे हैशटैग का इस्तेमाल हो रहा है.
दुनिया के ज्यादातर देशों का मानना है कि आज दुनिया में इतनी संख्या में लोग संक्रमित होकर मौत का शिकार हो रहे हैं, इसके लिए चीन ही दोषी है क्योंकि उसने पहले वायरस की जानकारी छिपाई, संक्रमण की वास्तविकता से देशों को अवगत नहीं कराया, विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी अंधेरे में रखा.
ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, इटली, स्पेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि कह रहे हैं कि अगर उसने पहले बता दिया होता तो इतने संक्रमणों और मौतों का सामना दुनिया को नहीं करना पड़ता. साफ है कि चीन को कई स्तरों पर दुनिया के गुस्से और प्रतिशोध का सामना करना पड़ेगा. इसकी पहली बानगी जर्मनी से आई.
कोविड-19 फैलाने पर चीन से खफा जर्मनी के सबसे बड़े अखबार बिल्ड ने उस पर 13 हजार करोड़ पाउंड (करीब 12.41 लाख करोड़ रुपए) का दावा किया. यह दावा कोविड-19 की वजह से देश को हुए नुकसान की भरपाई के एवज में किया गया. उधर ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका कोविड-19 वैश्विक महामारी के संबंध में चीन के खिलाफ बेहद गंभीरता से जांच कर रहा है.
जापान सहित 10 देशों ने चीन से अपनी कंपनियों को वापस हटाने का ऐलान कर दिया है. अमेरिकी संसद में एक विधेयक पेश किया गया है जिसमें वहां से सारी उत्पादन इकाइयों को देश वापस लाने की बात है.
कई देशों ने उसके यहां से आवागमन संपूर्ण रूप से खत्म कर दिया है. नीदरलैंड उनमें एक है. यह चीन के लिए असाधारण झटका होगा. दुनिया की एकमात्र महाशक्ति बनने तथा रोड एंड बेल्ट इनीशिएटिव से समूची दुनिया तक अपना सीधा संपर्क कर प्रभुत्व बनाए रखने का उसका सपना चकनाचूर होगा.