भारत के लिए सुखद है भारतवंशियों का दबदबा, शोभना जैन का ब्लॉग
By शोभना जैन | Published: January 22, 2021 12:19 PM2021-01-22T12:19:20+5:302021-01-22T12:20:40+5:30
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की पत्नी जिल बाइडन ने भारतीय मूल की गरिमा वर्मा को अपने कार्यालय में डिजिटल निदेशक और माइकल लारोसा को प्रेस सचिव के तौर पर नामित किया है.
दुनिया की तरह भारत की भी नजरें बाइडन प्रशासन में उनके साथ आगामी रिश्तों के स्वरूप पर टिकी हैं.
नई सरकार में भारतीय मूल की उपराष्ट्रपति कमला देवी हैरिस का होना, बाइडन प्रशासन में लगभग बीस भारतीय मूल के व्यक्तियों का होना निश्चय ही भारतीयों के लिए अच्छी बात है, लेकिन सच्चाई यह भी है वे अब अमेरिकी नागरिक हैं, भारत के प्रति उनकी भावनाएं अपनेपन से भरी हैं और इस नाते बेहतर समझ होगी.
भारत-अमेरिकी रिश्तों के शुरुआती संकेत सकारात्मक माने जा सकते
वैसे पहले दिन की बात करें तो भारत-अमेरिकी रिश्तों के शुरुआती संकेत सकारात्मक माने जा सकते हैं. ट्रम्प प्रशासन के विवादास्पद आव्रजन विधेयक में रद्दोबदल कर उसे सीनेट में विचारार्थ भेजे जाने का फैसला निश्चय ही अन्य विदेशियों के साथ अमेरिका में ग्रीन कार्ड, स्थायी निवास के इच्छुक भारतीयों के लिए भी अच्छी खबर है.
संकेत है कि बाइडन प्रशासन एच1बी वीजा पर रोक लगाने का ट्रम्प सरकार का फैसला वापस ले लेगा, जिसका भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को अर्से से इंतजार है. लेकिन अमेरिका में जारी आर्थिक संकट और बेरोजगारी के चलते इतनी जल्दी इसे वापस लेना कठिन लगता है.
हालांकि कोविड की भयावहता के सबसे बड़े शिकार और उसमें अपने लगभग चार लाख लोगों की जान से हाथ धो बैठने वाले अमेरिका की नई सरकार के लिए कोविड और आर्थिक संकट से निबटना सर्वोपरि है, लेकिन भारत अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ विशेष कर विश्वव्यापी घटनाक्र म के मद्देनजर दोनों के संबंध अहम हैं.
जलवायु परिवर्तन, आईटी जैसे क्षेत्नों में सहयोग बढ़ने पर रहेगी
इसी क्रम में देखें तो भारत की निगाहें सामरिक संबंधों को नई गति देने के साथ ही आर्थिक, पर्यावरण, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, आईटी जैसे क्षेत्नों में सहयोग बढ़ने पर रहेगी. आतंकवाद से निबटने में दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ी है. अमेरिका आतंकवाद का शिकार होने के साथ-साथ पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ सीमा पार के आतंकवाद पर भारत की चिंताएं और सरोकार समझता है.
हालांकि यह भी कहा जाता है कि डेमोक्रेट्स का पाकिस्तान के प्रति रवैया कभी-कभी नरम हो जाता है. फिलहाल अफगानिस्तान और ईरान को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर अमेरिका की नजरें कैसी होंगी, यह देखना है. भारत अमेरिका दोनों अहम सामरिक साझीदार हैं.
संकेत यही बताते हैं कि बाइडन दौर में सहमति के बिंदु अधिक रहेंगे, हालांकि फिलहाल लगता है व्यापार संबंधी मुद्दों पर व्याप्त असहमति, जो दोनों देशों के प्रगाढ़ संबंधों में बड़ी अड़चन बन कर उभरी है, के जल्द सुलझने के आसार नहीं हैं.
चीन को लेकर दोनों के बीच आपसी समझ बनी रहेगी
सामरिक संबंधों की बात करें तो चीन को लेकर दोनों के बीच आपसी समझ बनी रहेगी. बाइडेन ने यही संकेत दिए हैं वह अमेरिका के पुराने सहयोगियों के साथ नजदीकी से काम करने के इच्छुक हैं. हालांकि ट्रम्प के दौर में वॉशिंगटन के प्रति सहयोगियों में बढ़े अविश्वास के कारण उन्हें इस दिशा में अतिरिक्त प्रयास करने होंगे. बाइडेन के तमाम संकेतों के बावजूद यूरोपीय देशों ने उन्हें अनदेखा कर हाल में चीन के साथ समझौते पर अंतिम मुहर लगा ही दी.
अमेरिका के रक्षा मंत्नी के पद के लिए नामांकित लॉयड ऑस्टिन ने भी कहा है कि जो बाइडेन प्रशासन का उद्देश्य भारत के साथ अमेरिका की रक्षा साङोदारी को बढ़ाना रहेगा. वे कह चुके हैं कि भारत के साथ हमारे रक्षा संबंधों के मामले में उनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझेदारी और सहयोग को और मजबूत करना रहेगा, ताकि भारत और अमेरिका, दोनों देशों के सैन्य हित सुरक्षित रह सकें.
बाइडन प्रशासन ने घरेलू मुद्दों से जुड़े फैसलों के अलावा शपथ ग्रहण करते ही विदेशी मामलों से जुड़े ट्रम्प प्रशासन के ‘कुछ निहायत ही विवादित फैसले’ बदले, उससे बाइडेन प्रशासन की आगे की राह के संकेत तो मिलने शुरू हो ही गए. पहले दिन ही जलवायु संकट, अप्रवासन संबंधी ट्रम्प प्रशासन की नीतियों को बदलने के आदेश के साथ ही 13 मुस्लिम और अफ्रीकी मुस्लिम देशों से यात्ना पाबंदियां हटाने, अमेरिका की विश्व स्वास्थ्य संगठन में वापसी, ट्रम्प प्रशासन के उन 17 सर्वाधिक विवादास्पद फैसलों को पलटे जाने में ये संकेत शामिल हैं.
भारत अमेरिकी रिश्तों में गर्मजोशी और निरंतरता का प्रवाह कायम रहने के संकेत
वैसे ट्रम्प प्रशासन के विवादास्पद आव्रजन विधेयक में रद्दोबदल कर कल उसे सीनेट में विचारार्थ भेजे जाने का फैसला निश्चय ही अन्य विदेशियों के साथ अमेरिका में ग्रीन कार्ड, स्थायी निवास के इच्छुक भारतीयों के लिए भी अच्छी खबर है. भारत अमेरिकी रिश्तों में गर्मजोशी और निरंतरता का प्रवाह कायम रहने के संकेत हैं.
एक पूर्व राजनयिक के अनुसार पिछले दो दशकों में यदि किसी बड़े देश के साथ अमेरिका के रिश्तों में सिर्फ सुधार ही हुआ है तो वह देश भारत है. साथ ही बाइडेन प्रशासन में कई प्रमुख पदों पर ऐसे लोगों को जगह दी गई है जिनकी न केवल भारत के साथ घनिष्ठता रही, बल्कि उन्होंने कई अहम मसलों पर नई दिल्ली के साथ खासे तालमेल के साथ काम भी किया है.
अब भी कुछ मसलों पर दोनों देशों के बीच गतिरोध कायम
हालांकि अब भी कुछ मसलों पर दोनों देशों के बीच गतिरोध कायम हैं, लेकिन हमें आशा बनाए रखनी होगी. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने बाइडन को बधाई देते हुए कहा कि ‘भारत-अमेरिका साङोदारी को और मजबूत करने के लिए बाइडेन के साथ काम करने को उत्सुक हैं.’
उम्मीद है कि आगामी जून में ब्रिटेन में होने वाले जी 7 शिखर बैठक में दोनों देशों के शिखर नेताओं के बीच मुलाकात संभव हो सकती है. ट्रम्प के कार्यकाल में संबंधों में ट्रम्प का बड़बोलापन ज्यादा देखने को मिला. अब उम्मीद की जानी चाहिए कि बदलती दुनिया में दोनों देशों के संबंधों में सहमति के बिंदु ज्यादा उभरेंगे.