पीयूष पांडे का ब्लॉग: नेकी कर, फेसबुक पर डाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 4, 2020 03:12 PM2020-04-04T15:12:57+5:302020-04-04T15:12:57+5:30

piysuh pandey blog on facebook | पीयूष पांडे का ब्लॉग: नेकी कर, फेसबुक पर डाल

पीयूष पांडे का ब्लॉग: नेकी कर, फेसबुक पर डाल

Highlightsआप खूब महान हैं, लेकिन स्वयं के महान होने का मजा तब तक नहीं आता, जब तक फेसबुक-ट्विटर पर सौ-दो सौ कमेंट न आ जाएं बड़ी बात ये कि दानवीर होने का ठप्पा लगते ही बंदा राष्ट्रभक्त ऑटोमेटिकली हो जाता है.

पीयूष पांडे

हिंदुस्तान दानवीरों का देश है. राजा हरिश्चंद्र से लेकर महादानी कर्ण तक इसी धरती पर हुए. कभी-कभी सोचता हूं कि कुंती ने आज कर्ण से कवच मांगा होता तो क्या होता? अव्वल तो कर्ण साहब ऐसा ‘लॉस मेकिंग’ सौदा कभी करते नहीं. खुदा न खास्ता पूर्वजन्म के किसी लफड़े अथवा किसी दबाव में सौदा कर भी लेते तो एक मिनट बाद ही अपनी महानता का ऐलान फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर कर देते.

आप खूब महान हैं, लेकिन स्वयं के महान होने का मजा तब तक नहीं आता, जब तक फेसबुक-ट्विटर पर सौ-दो सौ कमेंट न आ जाएं कि आप महान हैं. एक जमाना था, जब लाला कल्लूमल टाइप के सेठ मंदिर के बाहर प्याऊ बनवाकर पुण्य लूटा करते थे. सेठजी भले ही खूब कालाबाजारी करें, भले हद से ज्यादा ऊंची दर पर गरीबों को कर्ज दें, भले दुकान पर गरीब को एक कौड़ी का सामान मुफ्त न दें, लेकिन प्याऊ पर चकाचक महानता की नामपट्टी लगाकर अपने 100 पापों को पुण्य से एक्सचेंज किया करते थे. हद ये कि उसी चंगू से प्याऊ के सामने खड़े होकर सेठजी का लड़का भी पुण्य का दावा ठोंक दिया करता था. अब दावा सोशल मीडिया पर ठोंका जाता है.

वो वक्त और था, जब कहा जाता था कि एक हाथ से ऐसे दान करो कि दूसरे हाथ को भी पता न चले. लेकिन महानता किसी को पता ही नहीं चली तो काहे की महानता? धरे रहो फिर ऐसी महानता! दान अब एक निवेश है. जिस तरह सयाना ग्राहक जानता है कि बाजार में किस प्रोडक्ट पर कौन सा ऑफर है, वैसा ही सयाना दानी जानता है किस आपदा के दान में कितना रिटर्न है. नेकी अब कुएं में डालने की चीज नहीं है. नेकी अब फेसबुक-ट्विटर पर डालने की चीज है. चेक पर कई जीरो वाली एक रकम लिखो और फेसबुक पर पोस्ट कर दो. चेक क्लीयर हो या न हो, दानवीरता चमक जाती है? दरअसल, नेकी अब हल्ला मचाने की चीज है. दो-चार चंगू-मंगू साथ हों तो फिर हल्ला मचवाने की चीज है.

सेठ कल्लूमल के जमाने में महानता का सर्टिफिकेट पाने के लिए प्याऊ बनवाना पड़ता था, लेकिन अब उसकी भी जरूरत नहीं. अब सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए एक अदद चेक चाहिए. बड़ी बात ये कि दानवीर होने का ठप्पा लगते ही बंदा राष्ट्रभक्त ऑटोमेटिकली हो जाता है. क्या कहते हैं आप?

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