राजेश कुमार यादव का ब्लॉगः परिवर्तन का पर्व बसंत पंचमी 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 10, 2019 07:01 AM2019-02-10T07:01:33+5:302019-02-10T07:01:33+5:30

बसंत पंचमी का पीले रंग से विशेष संबंध है. इस दिन पीले वस्त्न धारण करने की परंपरा है, पीला भोजन बनता है, मां सरस्वती को पीले फूल अर्पण किए जाते हैं.

Rajesh Kumar's blog: The Festival of Change Basant Panchami | राजेश कुमार यादव का ब्लॉगः परिवर्तन का पर्व बसंत पंचमी 

फाइल फोटो

बसंत पंचमी एक ऐसा विशिष्ट त्यौहार है जो हमारे समाज में ज्ञान और काम के अद्भुत संगम के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व समृद्धि का संकेत करते हुए बौद्धिकता को उत्कृष्ट करने का शुभ अवसर है. भारत में छह ऋतुएं- ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत और बसंत होती हैं. लेकिन इनमें बसंत ऋतु को ही ऋतुराज कहा जाता है. 

ऋतु के अनुसार मनुष्य के जीवन में नाना प्रकार के परिवर्तन आते हैं. मस्तिष्क पर ऋतु का सीधा असर दिखाई देता है. वसंत ऋतु परिवर्तन का आभास कराती है. सतत सुंदर लगने वाली प्रकृति सोलह कलाओं से खिल उठती है. यौवन हमारे जीवन का बसंत है तो बसंत इस सृष्टि का यौवन है. महर्षि वाल्मीकि ने भी रामायण में बसंत का अति सुंदर व मनोहारी चित्नण प्रस्तुत किया है. भगवान कृष्ण ने गीता में ‘ऋतुनां कुसुमाकर:’ कहकर ऋतुराज बसंत का बखान किया है. कविवर जयदेव तो बसंत का वर्णन करते थकते नहीं है.

ऐसी मान्यता है कि ब्रrाजी ने इसी दिन सरस्वती को प्रकट किया था. सरस्वती शब्द का अर्थ है - सरस अवती अर्थात एक गति में ज्ञान देने वाली; जो ब्रrा-विष्णु और महेश तीनों को गति दे. सरस्वती शुभ्र-वस्त्न धारण करने वाली हैं जिनसे सत्य, अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, करु णा प्रेम व परोपकार बढ़ता है तथा क्र ोध, मद, मोह, लोभ, अहंकार आदि दुर्गुणों का नाश होता है. मां सरस्वती के चारों हाथ हमारे मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार रूपी अंत:करण चतुष्टय का प्रतीक हैं. पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है, अक्षरमाला हमें अध्यात्म की ओर प्रेरित करती है तथा वीणा ललित-कलाओं में निपुण होने की प्रेरणा देती है. जिस प्रकार वीणा के सभी तारों में सामंजस्य होने से लयबद्ध संगीत निकलता है उसी प्रकार यदि हम मन और बुद्धि का सही तालमेल रखें तो अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं.

मां सरस्वती का वाहन हंस विवेक का प्रतीक है; अर्थात बिना विवेक के ज्ञान और ललित कलाओं का कोई अर्थ नहीं. बसंत पंचमी का पीले रंग से विशेष संबंध है. इस दिन पीले वस्त्न धारण करने की परंपरा है, पीला भोजन बनता है, मां सरस्वती को पीले फूल अर्पण किए जाते हैं. लेकिन क्यों? इसका कारण है कि पीतांबरधारी भगवान विष्णु को बसंत ऋतु अत्यधिक प्रिय है; वे इसमें विराजते हैं. बसंत पंचमी के दिन ही बच्चों को अक्षराभ्यास कराया जाता है. विद्यारंभ संस्कार इसी दिन होता है. संगीतकार अपने वाद्ययंत्नों का पूजन इसी दिन करते हैं. वसंत ऋतु के आगमन से संपूर्ण प्रकृति में नव-चेतना, नव-उमंग व नव-स्फूर्ति का संचार होता है. होली का आरंभ भी बसंत पंचमी से ही होता है. इस दिन प्रथम बार गुलाल उड़ाते हैं. ब्रज में भी बसंत के दिन से होली का उत्सव शुरू हो जाता है तथा गोविंद के आनंद विनोद का उत्सव मनाया जाता है. यह उत्सव फाल्गुन पूर्णिमा तक चलता है. 

Web Title: Rajesh Kumar's blog: The Festival of Change Basant Panchami

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