नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉगः नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्यों को भी समझना जरूरी

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: October 17, 2020 12:37 PM2020-10-17T12:37:37+5:302020-10-17T12:37:37+5:30

देवियों की पूजा हमारे देश में सदियों से होती चली आ रही है. इन देवियों को शिवशिक्त कहा जाता है क्योंकि इन्हें ईश्वर से सभी शक्तियां प्राप्त थीं. इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने भीतर के सभी दुर्गुणों पर विजय पाई.

Narendra Kaur Chhabras blog: It is important to understand the spiritual secrets of Navratri | नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉगः नवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्यों को भी समझना जरूरी

navratri 2020

देवियों की पूजा हमारे देश में सदियों से होती चली आ रही है. इन देवियों को शिवशिक्त कहा जाता है क्योंकि इन्हें ईश्वर से सभी शक्तियां प्राप्त थीं. इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिए उन्होंने अपने भीतर के सभी दुर्गुणों पर विजय पाई. इसके लिए उन्होंने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार रूपी महिषासुर जैसे असुरों का नाश किया. पौराणिक कथाओं में देवियों के एक से अधिक भुजाएं दिखाई जाती हैं, जिसका अर्थ होता है उनमें अपार शक्ति थी. भुजाएं शक्ति का प्रतीक होती हैं. दो से अधिक भुजाएं अर्थात उनमें शारीरिक व मानसिक शक्तियां भरपूर थीं. आज मनुष्य आसुरी विकारों से त्नस्त है जिसे केवल आध्यात्मिकता द्वारा ही दूर किया जा सकता है अत: वह देवियों की पूजा-अर्चना से शक्तियों का आह्वान करता है. आठ देवियों को अष्ट शक्ति के रूप में पूजा जाता है. आइए देखते हैं इन आठ देवियों की क्या विशेषता थी, किस तरह उन्होंने विकारों, दुर्गुणों पर विजय प्राप्त की.

मां पार्वती
देवी पार्वती अंतर्मुखता की प्रतीक हैं. स्वयं को हर परिस्थिति में स्थिरता के साथ ही परिवर्तन करने को तैयार. जब शंकरजी दस वर्ष की तपस्या के लिए गए तो वे पीछे से अपने कार्यक्षेत्न में जुटी रहीं. मां पार्वती के साथ दो गायें भी दिखाते हैं. गाय पवित्नता की प्रतीक है साथ ही जीवनदायिनी है. पार्वती भी दु:खी व हताश मनुष्यों के अंदर उत्साह भरती हैं इसलिए उन्हें उमा भी कहते हैं.

मां दुर्गा
समेटने की शक्ति का प्रतीक हैं मां दुर्गा. इस शक्ति के लिए अपने भीतर के विस्तार को समेटना आवश्यक है. देवी दुर्गा को महिषासुर तथा अन्य असुरों का वध करते हुए दिखाया जाता है. उनकी भुजाओं में विभिन्न अस्त्न-शस्त्न दिखाते हैं जिससे वे असुरों का वध करती हैं. यह इस बात का प्रतीक है कि वह संपूर्ण शक्तिशाली हैं. सभी बुराइयों, विकारों पर विजय प्राप्त कर ली है इसलिए शेर पर सवार हैं.

मां जगदंबा
सहनशीलता की शक्ति की प्रतीक मां जगदंबा प्रेम से भरी, बिना विचलित हुए विरोधियों को भी माफ करती हैं. दु:खी तथा अशांत लोगों को सुख-शांति का वरदान देकर उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं इसलिए तो वे जगत की मां हैं.

मां संतोषी
मां संतोषी सबको संतुष्ट रखती हैं. निर्मल मन, सभी ईश्वरीय शक्तियों से संपन्न, असंतुष्ट आत्माओं को संतोष प्रदान करने वाली देवी हैं जो केवल गुड़-चने के प्रसाद में ही संतुष्ट हो जाती हैं.

मां गायत्नी
बुद्धि की देवी, परखने की शक्ति, सबके जीवन में खुशी, आनंद लुटाने वाली मां गायत्नी को सफेद वस्त्नों में कमल के फूल पर बैठी दिखाया जाता है. ये दोनों ही पवित्नता के प्रतीक हैं.

मां सरस्वती
निर्णय शक्ति की प्रतीक मां सरस्वती के साथ हंस दिखाया जाता है जो मोती चुगता है, पत्थर छोड़ देता है. नीर-क्षीर को अलग करता है. उसके पास सही निर्णय लेने की शक्ति है. उनके हाथ में वीणा इस बात का प्रतीक है कि वे ज्ञान को संगीत के साथ सुनाती हैं. वे सृजन और ज्ञान की देवी हैं.

मां काली
मां काली सामना करने की शक्ति की प्रतीक हैं जो विकार रूपी असुरों का नाश करती हैं. उनका रौद्र रूप इस बात का प्रतीक है कि पुराने, गहरे आसुरी संस्कारों का सामना करने के लिए, उन्हें खत्म करने के लिए दृढ़ निश्चय व हिम्मत चाहिए.

मां लक्ष्मी
सहयोग की शक्ति की प्रतीक देवी लक्ष्मी ज्ञान धन रूपी हीरे मोतियों से सुख समृद्धि का भंडार देने वाली, सबको प्रेम, शक्ति का सहयोग देने वाली हैं.
नवरात्रि में जोत जलाने का अर्थ है आत्मा रूपी ज्योति के स्मरण में रहना, व्रत करना अर्थात अपने भीतर की कमियों, अवगुणों का त्याग करना. जागरण करने का अर्थ है अपनी विवेक बुद्धि को जगाए रखकर सही कार्य करना. इन सभी शक्तियों को पाकर जीवन में खुशी, सुख-शांति, समृद्धि, प्रेम सभी कुछ पाया जा सकता है.

Web Title: Narendra Kaur Chhabras blog: It is important to understand the spiritual secrets of Navratri

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