नरेंद्र कौर छाबड़ा ब्लॉग: मानवीय गुणों को धारण करने का संदेश देते गणेशजी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 7, 2024 10:42 AM2024-09-07T10:42:16+5:302024-09-07T11:28:32+5:30

उसके बड़े-बड़े कान सूप के समान होते हैं। सूप का कार्य है कचरे को बाहर फेंकना और सार को भीतर रखना। ऐसे ही हमें व्यर्थ बातों को बाहर ही रहने देना है, भीतर नहीं जाने देना है।

Ganeshji giving the message of imbibing human qualities | नरेंद्र कौर छाबड़ा ब्लॉग: मानवीय गुणों को धारण करने का संदेश देते गणेशजी

नरेंद्र कौर छाबड़ा ब्लॉग: मानवीय गुणों को धारण करने का संदेश देते गणेशजी

गणेशजी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले उनकी आरती की जाती है। उन्हें बुद्धि का देवता भी कहा जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार जब शिवजी तपस्या से वापस लौटे और द्वार पर बालक को पहरा देते देखा तो उसे हटने के लिए कहा। बालक नहीं हटा तो उन्होंने क्रोध में उसका सिर त्रिशूल से काट दिया।

जब पार्वतीजी ने उसे फिर से जीवित करने के लिए गुहार लगाई तो शिवजी ने हाथी के बच्चे का सिर उस बालक के सिर पर रखकर उसे जीवित कर दिया। पार्वतीजी बोलीं इस अजीब बालक को देखकर लोग मजाक उड़ाएंगे तो शिवजी ने कहा मैं वरदान देता हूं कि यह बालक सबसे अधिक पूजनीय देवता के रूप में प्रसिद्ध होगा। यह रिद्धि-सिद्धि का देवता होगा तथा हर शुभ कार्य करने से पहले इसकी पूजा की जाएगी। उस बालक को गणेश नाम दिया।

शिवजी ने बालक के सिर पर हाथी का सिर ही क्यों लगाया? दरअसल इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक रहस्य छुपा है। ईश्वर ने गणेशजी की रचना मनुष्य को बहुत बड़ा संदेश देने के लिए की है। मनुष्य जब भी गणेशजी के चित्र के सामने जाता है तो सबसे पहले दर्शन हाथी का ही करता है। इस स्वरूप का रहस्य इस प्रकार है- हाथी जहां बहुत शक्तिशाली और सतर्क होता है वहीं बहुत समझदार भी होता है। अपनी लंबी सूंड से हर चीज को पहले वह फूंक कर परखता है। यह सतर्कता का प्रतीक है। उसके बड़े-बड़े कान सूप के समान होते हैं। सूप का कार्य है कचरे को बाहर फेंकना और सार को भीतर रखना। ऐसे ही हमें व्यर्थ बातों को बाहर ही रहने देना है, भीतर नहीं जाने देना है।

गणेशजी का बड़ा सिर जो हाथी का है, बुद्धिमता तथा विवेकशीलता का प्रतीक है। सभी जानवरों में हाथी को सबसे अधिक बुद्धिमान माना जाता है। छोटी आंखें दूरदर्शिता तथा एकाग्रता का प्रतीक हैं। हाथी के बड़े पेट का भी गूढ़ रहस्य है। बड़े पेट का मतलब सभी तरह की बातों को अपने भीतर समा लेना, समेटना, उनका प्रचार-प्रसार नहीं करना। वरना जीवन बहुत दुखदाई हो सकता है। चूहे को गणेशजी की सवारी बनाने के पीछे अर्थ है हमारा मन चूहे के समान चंचल है।

चूहा जब काटता है उससे पहले फूंक मारकर उस स्थान को सुन्न कर देता है जिससे दर्द नहीं होता। इसी प्रकार मन भी बुद्धि को सुन्न कर देता है जिससे नकारात्मक विचार, विकार सब मन में प्रवेश कर जाते हैं। चूहे पर सवार होना अर्थात मन पर नियंत्रण रखना।

गणेशजी के बैठने की मुद्रा भी विशेष तरह की है। उनका एक पैर मुड़ा होता है और दूसरा धरती को छूता है जो यह दर्शाता है कि संसार में रहते हुए भी उससे ऊपर उठकर रहो।

गणेशजी के सर्वगुण संपन्न, संपूर्ण व्यक्तित्व से जीवन जीने की कला के दर्शन होते हैं। आज आवश्यकता है उनके स्वरूप को सही अर्थों में जानकर उनके गुणों का अनुसरण किया जाए।

Web Title: Ganeshji giving the message of imbibing human qualities

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