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भक्ति के अनुपम उदाहरण हैं हनुमान

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 19, 2019 07:38 IST

इंसान के सफलता और संघर्ष के दौर के मित्न अलग होते हैं. राम उन साथियों का सम्मान करते हैं, जो उनके साथ आड़े वक्त में खड़े थे. इसका एक बेजोड़ उदाहरण रामचरित मानस में मिलता है.

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( लेखक-विवेक शुक्ला)

इंसान के सफलता और संघर्ष के दौर के मित्न अलग होते हैं. राम उन साथियों का सम्मान करते हैं, जो उनके साथ आड़े वक्त में खड़े थे. इसका एक बेजोड़ उदाहरण रामचरित मानस में मिलता है. 

राम अपनी सेना के साथ वापस अयोध्या लौटते हैं. एक दिन राम एक कार्यक्रम आयोजित करते हैं. उसमें वे उन सभी साथियों के प्रति आभार जताते हैं, जो रणभूमि में उनके साथ थे. सब योद्धा खड़े हैं. राम सबके पास जाकर उन्हें उपहार देते हैं. उनके प्रति कृतज्ञता दर्शाते हैं, साथ ही उनसे विदा लेते हैं. एक प्रकार से कहते हैं कि अब चलिए अपने घरों की तरफ. अपने कामकाज में लग जाइए. अंत में वे हनुमानजी के पास पहुंचते हैं. पर राम यहां पर ठिठकते हैं. हनुमानजी उनके चरणस्पर्श करते हैं.

उन्हें गले लगाते हुए राम कहते हैं कि मैं आपके ऋण से मुक्त नहीं होना चाहता. आपको मेरे साथ यहां पर रहना होगा. हनुमानजी तो यही सुनना चाहते थे. वे राम से दूर जाने को तैयार कहां थे! आप पाएंगे कि सफल से सफल इंसान के जीवन में भी वह दौर आता है, जैसा राम को वनवास के रूप में ङोलना पड़ा था. दरअसल, इस दौर में जो व्यक्ति राम की तरह विपरीत हालातों का सामना जुझारू प्रतिबद्धता से  करता है, वह सफलता पा लेता है. एक बात और कि आड़े वक्त में हर इंसान को हनुमानजी के गुणों वाला कोई मिल ही जाता है.  

किसी भी शख्स के जीवन में आए निराशा के दौर का मतलब जीवन समाप्ति नहीं माना जा सकता. राम को भी 14 वर्षो का वनवास भोगना पड़ा था. उस दौर में उन्हें हनुमानजी मिलते हैं. ये उदाहरण निराशा में डूबे किसी भी शख्स के लिए संजीवनी का काम कर सकता है.

टॅग्स :हनुमान जयंती
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