वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: राजस्थान में तुरंत शक्ति परीक्षण जरूरी
By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 29, 2020 05:53 AM2020-07-29T05:53:51+5:302020-07-29T05:53:51+5:30
ऐसा लग रहा है कि राजस्थान की राजनीति पटरी पर शीघ्र ही आ जाएगी. राज्यपाल कलराज मिश्र का यह बयान स्वागत योग्य है कि वे विधानसभा का सत्न बुलाने के विरु द्ध नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो तीन शर्ते रखी हैं, वे तर्कसम्मत हैं और उन तीनों का संतोषजनक उत्तर मुख्यमंत्नी अशोक गहलोत दे ही रहे हैं. यों भी अदालतों के पिछले फैसलों और संविधान की धारा-174 के मुताबिक विधानसभा सत्न को सामान्यत: राज्यपाल आहूत होने से रोक नहीं सकते. मंत्रिमंडल की सलाह मानना उनके लिए जरूरी है. हालांकि गहलोत ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्नी तक गुहार लगा दी है और राजभवन के घेरे जाने की आशंका भी व्यक्त की है लेकिन वे यदि चाहते और उनमें दम होता तो वे खुद ही सारे विधायकों को विधानसभा भवन या किसी अन्य भवन में इकट्ठे कर अपना बहुमत देश को दिखा देते.
यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही दु:खद बात है कि कोविड-19 के संकट के दौरान राजस्थान जैसे राज्य की सरकार अधर में लटकी रहे. कलराजजी यों तो अपनी विवेकशीलता और सज्जनता के लिए जाने जाते हैं लेकिन राज्यपाल का यह पूछना कि आप विधानसभा का सत्र क्यों बुलाना चाहते हैं, बहुत ही आश्चर्यजनक है. विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए 21 दिन के नोटिस की बात भी समझ के बाहर है. 15 दिन पहले ही बर्बाद हो गए, अब 21 दिन तक जयपुर घोड़ों की मंडी बना रहे, यह क्या बात हुई?
कलराज मिश्रजी को मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे स्वर्गीय लालजी टंडन का उदाहरण सामने रखना चाहिए. उन्होंने 21 दिन नहीं, 21 घंटों की भी देर नहीं लगाई. क्या 21 दिन तक इसे इसीलिए लंबा खींचा जा रहा है कि सचिन पायलट के गुट की रक्षा की जा सके? यदि सचिन-गुट कांग्रेस के पक्ष में वोट करेगा तो जीते-जी मरेगा और विरोध में वोट करेगा तो विधानसभा से बाहर हो जाएगा. जो भी होना है, वह विधानसभा के सदन में हो. राजभवन और अदालतों में नहीं. यदि गहलोत सरकार को गिरना है तो वह विधानसभा में गिर जाए. राज्यपाल खुद को कलंकित क्यों करें?
राज्यपाल का यह पूछना बिल्कुल जायज है कि विधानसभा भवन में विधायकों के बीच शारीरिक दूरी का क्या होगा. उसका हल निकालना कठिन नहीं है. यदि अयोध्या में 5 अगस्त के जमावड़े को संभाला जा सकता है तो यह कोई बड़ी बात नहीं है. यदि इस मुद्दे को बहाना बनाया जाएगा तो लोग यह भी पूछेंगे कि आपने कमलनाथ- सरकार को गिराने के लिए ही तालाबंदी (लॉकडाउन) की घोषणा में देरी की थी या नहीं? भाजपा और केंद्र सरकार की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है कि राजस्थान की विधानसभा का सत्न जल्दी से जल्दी बुलाया जाए.