Blog नेताओं के सेक्स स्कैंडल 1: जगजीवन राम के बेटे की सेक्स करते तस्वीर और मेनका गांधी की रिपोर्टिंग
By खबरीलाल जनार्दन | Published: March 26, 2018 06:00 PM2018-03-26T18:00:07+5:302018-04-02T05:03:38+5:30
मेनका गांधी ने जगजीवन राम के बेटे के सेक्स स्कैंडल पर बढ़-चढ़कर रिपोर्टिंग की थीं। तब वह पत्रकार थीं।
कहते हैं, सत्ता का सुंदरी से संबंध देवताओं के समय से है। जब इंद्र स्वर्ग के राजा हुआ करते थे तब उनकी महफिल परियों से सजती थी। राजे-रजवाड़ों के जमाने में सैकड़ों पटरानियां रखने का चलन रहा। लेकिन आजाद भारत में राजनीति करने वालों के ऐसे मामले पर्दे के सामने आने पर बड़ी थू-थू होती है।
साल 2018 आते-आते युवा नेता हार्दिक पटेल खुद की कथित सेक्स सीडी पर कहते हैं, यह विरोधियों की चाल थी। यानी कि सेक्स स्कैंडल या सेक्स सीडी अब राजनीति का एक हिस्सा हो चली हैं। अब सेक्स सीडी या सेक्स टेप ऐसे वक्त सामने आती हैं जब आगामी चुनावों को इनसे प्रभावित किया जा सके। कुछ राजनेताओं के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे राजनीति में इसीलिए जिंदा हैं कि उनके पास दूसरे बड़े नेताओं की सेक्स सीडीज रखी हुई हैं।
मैं इसी इर्द-गिर्द यह श्रृंखला शुरू कर रहा हूं। इसमें राजनीति और सेक्स स्कैंडल व सेक्स सीडीज की एक-एक कहानियों को ढूंढ़-ढूंढ कर आपके सामने पेश करूंगा। उनकी पूरी तहकीकात करूंगा। साथ ही सिरीज के आखिर में कुछ ऐसे मामलों के खुलासे भी करूंगा-
कहानी सुरेश राम के सेक्स स्कैंडल की
साल 1977 से 1979 के बीच हचकोले खाती जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में रक्षा मंत्री जगजीवन राम के लिए ऐसा माना जा रहा था कि वे स्वतंत्र भारत के पहले दलित प्रधानमंत्री बन सकते हैं। सभी परिस्थितियां उनके पक्ष में बन रही थीं, सिवाय सूर्या मैगजीन के साल 1978 के एक अंक में छपी उनके बेटे सुरेश राम की एक तस्वीर। (इसे भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़ सेक्स सीडी कांड: पत्रकार विनोद वर्मा को जमानत मिली जमानत)
इस तस्वीर में जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के एक गांव की महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए आपत्तिजनक हालात में दिख रहे थे। आजाद भारतीय राजनीति का यह पहला मौका था जब किसी राजनेता या राजनेता से जुड़े किसी शख्स ऐसी तस्वीर किसी पत्र-पत्रिका में इस तरह से प्रकाशित हुई थी।
वह दौर राजनैतिक तूफान का था। इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने के बाद पूरे देश में जनता पार्टी की सरकार आना। फिर जनता पार्टी के रक्षा मंत्री के बेटे की ऐसी तस्वीर बाहर आते ही विपक्ष ने धावा बोल दिया। उस समय की पत्र-पत्रिकाओं में बवंडर आ गया।
उससे भी ज्यादा बवंडर मचाया मेनका गांधी की रिपोर्टिंग और कांग्रेसी नेशनल हेराल्ड के प्रधान संपादक खुशवंत सिंह ने। वह सूर्या के कंसल्टिंग एडिटर भी थे। बताया जाता है कि खुशवंत ने मामले को जबर्दस्त तरीके उछाला। नेशनल हेराल्ड और सूर्या मैगजीन ने इस मामले की जमकर रिपोर्टिंग की। मामले पर तब तक खबरें-लेख प्रकाशित करते रहे, जब तक वे मामले की सच्चाई के करीब नहीं पहुंच गए। (जरूर पढ़ेंः नेताओं के सेक्स स्कैंडल 2: जब एक जाली सेक्स सीडी ने खत्म कर दिया नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंद्वी का राजनीतिक करियर)
तब सामने आई जानकारी के अनुसार, स्कैंडल में दिखी युवती दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज की छात्रा थी। बाद में आई जानकारियों के मुताबिक सुरेश राम को उस छात्रा से शादी करनी पड़ी। लेकिन उनके परिवार ने युवती को नहीं स्वीकारा। बल्कि सुरेश राम की मौत के बाद युवती को पूरी तरह से घर से निकाल दिया।
सुरेश राम के सेक्स स्कैंडल का राजनैतिक पक्ष
इस सेक्स स्कैंडल के सामने आने से एक तरह जगजीवन राम के राजनैतिक करियर को करारा झटका लगा। दूसरी ओर बताया गया कि इस खुलासे के पीछे उनकी अपनी पार्टी के लोग थे। कुछ मैगजीनों का दावा था कि जगजीवन राम के करियर को समाप्त कराने के लिए इस स्कैंडल का खुलासा केसी त्यागी, ओमपाल सिंह और एपी सिंह आदि ने कराया था।
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