नेताओं के सेक्स स्कैंडल 2: जब एक जाली सेक्स सीडी ने खत्म कर दिया नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंद्वी का राजनीतिक करियर

By खबरीलाल जनार्दन | Published: March 28, 2018 07:35 AM2018-03-28T07:35:37+5:302018-03-28T14:19:50+5:30

संजय जोशी को भारतीय जनता पार्टी के दूसरी कतार के उन नेताओं में शुमार किया जाता था जो आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकते थे।

Politician sex scandal: Sanjay Joshi Sex CD provides ground to play Narendra Modi political game | नेताओं के सेक्स स्कैंडल 2: जब एक जाली सेक्स सीडी ने खत्म कर दिया नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंद्वी का राजनीतिक करियर

नेताओं के सेक्स स्कैंडल 2: जब एक जाली सेक्स सीडी ने खत्म कर दिया नरेंद्र मोदी के प्रतिद्वंद्वी का राजनीतिक करियर

नरेंद्र मोदी का राष्ट्रीय राजनीति में आज कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन एक वक्त था जब गुजरात में उन्हें अपनी ही एक पार्टी के नेता की वजह से मुंह की खानी पड़ी थी। साल 1988 में गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उत्थान के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने दो स्वयं सेवकों को राजनीति में उतारा। पहले थे प्रभारी संजय जोशी और दूसरे महासचिव नरेंद्र मोदी। दोनों मिलकर गुजरात में संगठन को मजबूत किया। साल 1995 में गुजरात में बीजेपी के सरकार बनी। 

लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल और पार्टी के दूसरे नेता शंकर सिंह वाघेला में टसल हो गई। पार्टी दो फाड़ में बंट गई। बाद में वाघेला कांग्रेस में चले गए। और केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री की गद्दी से उतार दिया गया। लेकिन साल 1998 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की और केशुभाई पटेल एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। इस जीत का श्रेय उन्होंने संजय जोशी को दिया। इसके बाद संजय जोशी के राजनैतिक कौशल और संगठन की समझदारी की खूब वाह-वाही होने लगी। और नरेंद्र मोदी और संजय जोशी में दूरियां बढ़ गईं। (जरूर देखेंः त्र‌िपुरा: 'पन्ना प्रमुख' की चाल से BJP ने ढहाया लेफ्ट का 'लाल किला')

गुजरात में चुनाव जीतने के बाद भी बीजेपी आला कमान ने मोदी उठाकर गुजरात से बाहर फेंक दिया। बीजेपी मुख्यालय नरेंद्र मोदी को दिल्ली भेज दिया। और गुजरात में केशुभाई पटेल और संजय जोशी की जोड़ी सफलता के कदम चूमने लगी। साल 2004 के आम चुनावों में बीजेपी की हार के बाद संघ का सानिध्य प्राप्त संजय जोशी राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से उभरने लगे। लेकिन पार्टी के भीतर ही उनके प्रतिद्वंदियों खासतौर पर नरेंद्र मोदी को बिल्कुल नहीं भा रहा था।

तभी साल 2005 में बीजेपी का अधिवेशन रखा गया। इसमें कुछ बहुत बड़ी घोषणाओं के आसार जताए गए। लेकिन उसके पहले ही तेजी से बीजेपी में सीढ़िया चढ़ने वाले नेता संजय जोशी का एक वीडियो के चलते राजनैतिक ग्राफ जमींदोज हो गया। आज हम नेताओं के सेक्स स्‍कैंडल कड़ी में पूर्व बीजेपी संगठन महामंत्री संजय जोशी के सेक्स स्कैंडल की। इससे पहले हमने कभी पीएम बनने का सपना देखने वाले मोरारजी देसाई सरकार के रक्षामंत्री जगजीवन राम का यह सपना एक सेक्स स्‍कैंडल से कैसे टूटा, इसका जिक्र किया था।

पूर्व बीजेपी संगठन महासचिव संजय जोशी ऐसे फँसे सेक्स स्‍कैंडल में

देश के सर्वोत्तम प्रधानमंत्रियों में से एक गिने जाने के बावजूद अटल बिहारी सरकार के बाद बीजेपी को 10 साल सत्ता नसीब नहीं हुई। इसमें सत्ता पक्ष के कामों अलावा विपक्षी दल बीजेपी के पास कोई धारदार नेता ना होना भी प्रमुख वजह रही। दूसरी पीढ़ी के नेता नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में वक्त लगा। लेकिन एक नेता थे जो बड़ी तेजी से उभर रहे थे, संजय जोशी। कहते हैं संजय जोशी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि से आने वाले दूसरे नेताओं की राह के रोड़ा भी थे। क्योंकि वे इतने तेज-तर्रार नेता थे इस खास पृष्ठभूमि से आए दूसरे नेता उनकी छवि में दब जाते। (जरूर पढ़ेंः इस वक्‍त BJP के लिए सबसे बड़े जोखिम अमित मालवीय हैं?)

तभी साल 2005 के मई महीने में एक कथ‌ित सेक्स सीडी और ऑडियो टेप आया। इस वक्त देश में 24 घंटे चलने वाले न्यूज चैनल्स और हर घंटे समाचार देने वाले रेडियो चैनलों जमाना आ गया। खबर तैर गई। इससे पहले भारतीय राजनीति के इतिहास में किसी सेक्स सीडी या सेक्स स्कैंडल का इस तरह का लाइव विजुअल विश्लेषण पहले कभी देश नहीं देखा था।

बार-बार टीवी चैनलों, रेडियो चैनलों और अखबारों तक में उस सीडी का जिक्र हुआ, जिसमें संजय जोशी जैसा एक आदमी, एक महिला के साथ आपत्तिजनक हालत में दिख रहा था। यह सीडी मध्‍य प्रदेश से ही जारी हुई थी। इसलिए महिला के मध्य प्रदेश के होने बात कही गई। लेकिन उस महिला की पहचान कभी नहीं हो सकी कि मामले की असलियत की तह तक जाया जाए। लेकिन संजय जोशी को सभी पदों से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी राजनीति हाशिए पर क्या बल्कि खत्म हो गई।

संजय जोशी ने दोबारा की वापसी, नरेंद्र मोदी फिर अड़ गए

संजय जोशी सेक्स सीडी कांड में एक अहम मोड़ आया, जब साल 2006 तक राज्य पुलिस ने सीडी दिखाई देने वाले शख्स की पहचान नहीं कर पाई। इसलिए पुलिस ने साक्ष्यों की कमी के चलते फाइल बंद कर दी। साथ ही संजय जोशी से बाइज्जत केस हटा लिया गया। (जरूर देखेंः क्या FAKE NEWS फैलाने का काम करती है BJP IT cell?)

बाद में जब संघ से आए नितिन गडकरी पार्टी अध्यक्ष बने तो उन्होंने फिर से संजय जोशी को साल 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनजर प्रभारी महासचिव बनाया गया। पार्टी वहां चुनाव हार गई। संजय जोशी फिर कभी नहीं उठ पाए।

रही सही कसर जब नरेंद्र मोदी पार्टी के चेहरे के रूप में उभरने लगे तब पूरी कर दी गई। अंदरखाने मिली जानकारी के अनुसार मुंबई में आयोजित साल 2012 के बीजेपी अधिवेशन के समय नरेद्र मोदी बच्चे की तरह अड़ गए कि अगर संजय जोशी का वारा-न्यारा नहीं किया गया तो वे इसमें शामिल नहीं होंगे। तब तक नरेंद्र मोदी देश को विकास का गुजरात मॉडल दे चुके थे। इसलिए बिना लाग लपेट के उनकी बात पार्टी ने सुन ली। संजय जोशी एक जाली सेक्स सीडी की वजह से राजनीतिक रंगमंच के नेपथ्य में चले गये।

Web Title: Politician sex scandal: Sanjay Joshi Sex CD provides ground to play Narendra Modi political game

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