जयंतीलाल भंडारी का नजरियाः बढ़ते बाजार में उपभोक्ता का संरक्षण जरूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 23, 2019 07:37 AM2019-03-23T07:37:03+5:302019-03-23T07:37:03+5:30
उपभोक्ता बाजार की यह वृद्धि देश में बढ़ती आबादी, तेज शहरीकरण, मध्यम वर्ग और इंटरनेट व स्मार्टफोन के तेजी से बढ़ने से हो रही है.
जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में प्रकाशित प्रसिद्ध कंसल्टेंसी फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि भारत का उपभोक्ता बाजार दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रहा है. वर्ष 2018 में भारत का उपभोक्ता बाजार 110 लाख करोड़ रु. का हो गया है. यह 2028 तक तीन गुना बढ़कर 335 लाख करोड़ रु. का हो जाएगा. उपभोक्ता बाजार की यह वृद्धि देश में बढ़ती आबादी, तेज शहरीकरण, मध्यम वर्ग और इंटरनेट व स्मार्टफोन के तेजी से बढ़ने से हो रही है.
यकीनन छलांगें लगाकर आगे बढ़ रहे भारत के विशालकाय उपभोक्ता बाजार की आंखों में उपभोग और खुशहाली के जो सपने हैं, उनको पूरा करने के लिए देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी नई रणनीतियां बना रही हैं. निश्चित रूप से उपभोक्ता बाजार की अपनी जोरदार शक्ति के कारण दुनिया की नजरों में कल तक बहुत पीछे रहने वाला भारत आज दुनिया की आंखों का तारा बन गया है. जहां अपनी उपभोक्ता शक्ति के कारण भारत आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना लेकर आगे बढ़ रहा है, वहीं वह अपनी खरीदारी क्षमता के कारण पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित भी कर रहा है. भारत के ऊंचाई पर पहुंच रहे उपभोक्ता बाजारों के कारण भी अंतर्राष्ट्रीय मंचों और वैश्विक संगठनों में भारत की चमकीली अहमियत दिख रही है.
निश्चित रूप से देश की बढ़ती जनसंख्या का उपभोक्ता बाजार के तेजी से बढ़ने से सीधा संबंध है. वर्तमान में भारत की आबादी 134 करोड़ और चीन की आबादी 141 करोड़ है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक जनसंख्या पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में भारत की जनसंख्या चीन से अधिक हो जाएगी. दुनिया के अन्य सभी देशों की तुलना में भारत की जनसंख्या सबसे अधिक बढ़ेगी. भारत की यह जनसंख्या सबसे बड़े वैश्विक उपभोक्ता बाजार का आधार भी होगी. यह बात भी महत्वपूर्ण है कि शहरों का तेजी से विकास भारत में उपभोक्ता बाजार को तेजी से आगे बढ़ा रहा है.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत में उपभोक्ता बाजार के बढ़ने में मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है. शहरों में रहने वाले मध्यम वर्ग के लोग अपने उद्यम-कारोबार, सेवाओं तथा अपनी पेशेवर योग्यताओं से न केवल अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं, वरन अपनी क्रय शक्ति से उपभोक्ता बाजार को भी चमकीला बना रहे हैं. हाल ही में ख्याति प्राप्त ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी ने कहा है कि इस वर्ष 2019 में भारत फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा.
निस्संदेह देश के उपभोक्ता बाजार को गति देने में इंटरनेट का अहम योगदान है. देश के 62 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट उपभोक्ता हैं. दुनियाभर में डेटा आधारित व्यवस्थाओं में बढ़ोत्तरी की तुलना में भारत में डेटा उपभोग में वृद्धि सबसे अधिक हो रही है. भारत में डेटा और वायस कॉल की लागत विश्व में सबसे कम है. देश के 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग स्मार्टफोन चला रहे हैं. ऑनलाइन माध्यमों से लेन-देन आसान हुआ है. मोबाइल से व्यवसायों का संचालन हो रहा है.
ऐसे में, जब देश का उपभोक्ता बाजार छलांगें लगाकर बढ़ रहा है, तब उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की ठगी से बचाने और उनके हितों के संरक्षण की चुनौतियां सामने हैं. जो उपभोक्ता आज बाजार की आत्मा कहा जाता है वह कई बार बाजार में मिलावट, बिना मानक की वस्तुओं की बिक्र ी, अधिक दाम, कम नापतौल जैसे शोषण से पीड़ित होते हुए दिखाई दे रहा है. उपभोक्ता संरक्षण के वर्तमान कानून पर्याप्त नहीं दिखाई दे रहे हैं. उत्पादों की गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के संतोषजनक समाधान के लिए नए नियामक भी सुनिश्चित किए जाने जरूरी हैं. चूंकि आने वाली दुनिया उपभोक्ताओं के डेटा पर आधारित होगी, अतएव उपभोक्ताओं के उपयुक्त संरक्षण तथा मोबाइल डेटा उपभोग मामले में सबसे पहले भारत को डेटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा. जिस देश के पास जितना ज्यादा डेटा संरक्षण होगा, वह देश आर्थिक रूप से उतना मजबूत होगा.
चूंकि आर्थिक संदर्भ में डेटा एक ऐसा क्षेत्न है जहां कोई नियम-कानून नहीं है, अतएव इससे संबंधित उपयुक्त नियम-कानून जरूरी हैं. यह सुनिश्चित करना होगा कि डेटा पर देश का ही नियंत्नण हो और खास डेटा को भारत में ही रखा जाए. डेटा के देश में ही भंडारण की जरूरत इसलिए है, ताकि उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी का संरक्षण हो सके और अपनी व्यक्तिगत जानकारी पर उपभोक्ताओं का ही नियंत्नण रहे. ग्राहकों के डेटा की सुरक्षा और उसके व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर तमाम पाबंदी लगाना जरूरी है.