जानिए क्या है ऐतिहासिक और धार्मिक नगर ओरछा का इतिहास, जुड़ी है ये पौराणिक कहानी
By सर्वेश | Published: February 6, 2020 03:14 PM2020-02-06T15:14:34+5:302020-02-06T15:14:34+5:30
ओरछा को राजा राम की पावन भूमि कहा जाता है. बेतवा नदी के घाट पर नहाने को सबसे अधिक पवित्र मन गया है.
भारत में अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग शासकों का शासन रहा. नतीजन भारत में समय-दर-समय नायाब नक्काशी और अद्भुत कलाकारी बनती चली गईं. भारत के हर राज्य में कुछ न कुछ देखने योग्य मिल जाता है. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है ओरछा. ओरछा ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है. ओरछा सुन्दर और शांत है. यह जगह झाब्सि से केवल 16 की.मी. की दुरी पर है.
ओरछा को राजा राम की पावन भूमि कहा जाता है. बेतवा नदी के घाट पर नहाने को सबसे अधिक पवित्र मन गया है. मान्यता के अनुसार कोई व्यक्ति सैंकड़ों पाप करले, यहाँ स्नान करने से पाप का बोझ उतर जाता है. ओरछा को भगवान राम का शहर बोलै जाता है जहां राम की तुलना भगवान के बजाए राजा से की जाती है.
ओरछा से जुड़ी है ये पौराणिक कहानी
कहा जाता है बुन्देल के तीसरे राजा मधुकर शाह की पत्नी रानी कुंवरी भगवान श्री राम की परम भक्त थीं. उन्होंने आयोध्या जाकर श्री राम को ओरछा लाने का मन बना लिया. आयोध्या जाकर सरयू नदी के लक्ष्मण घाट पर जाकर तपस्या करने लगीं. कहा जाता है भगवान राम उनकी तपस्या से खुश हुए. वे बाल रूप में आकर रानी कुंवरी की गोद में आ गए. रानी ने उन्हें पहचान लिया और ओरछा चलने को कहा.
ओरछा आएं तो जहांगीर महल ज़रूर जाएं. ये महल बुंदेला और मुग़ल शासक जहांगीर की दोस्ती की निशानी है. महल के मुख्य द्वार पर दो झुके हुए हाथी बने हुए हैं. इस महल को मुगल शासक जहांगीर की याद में राजा वीर सिंह देओ ने 17 वीं शताब्दी में बनवाया था. महल पर सुन्दर नकाशी देखने को मिलती है. जहांगीर महल के प्रवेश द्वार पर अद्भुत कलाकारी मन लुभा लेती है.
ओरछा का राज महल सबसे ज़्यादा घूमने वाली जगहों में से एक है. इसका निर्माण मधुकर शाह ने 17 वीं शताब्दी में करवाया था. महल में धार्मिक ग्रंथों से जुड़ी तस्वीरें देखी जा सकती हैं. राज महल को ओरछा किले में स्थित सबसे पौराणिक माना जाता है.
इकलौते मंदिर में राजा के रूप में पूजे जाते हैं श्री राम
राजा राम मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है जहां श्री राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. मंदिर में श्री राम पद्मासन में बैठे हैं. हर दिन पूजा के बाद श्री राम के बाएं पैर के अंगूठे पर चन्दन का तिलक लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यदि श्रद्धालु उनके इस पैर के बाएं अंगूठे तो देख पाता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
राय परवीन महल हर तरफ बगीचे से घिरा है.राय परवीन बेहतरीन कवयित्री और नृतिका थीं. राजा इंद्रमणि ने उनसे प्रभावित होकर इस महल का निर्माण करवाया. बुन्देल राजपूत राजा ने 17 वीं शताब्दी के दौरान चतुर्भुज मंदिर की नीव डाली. इस महल के सबसे ऊपर की मंज़िल से कई अद्भुत दृश्य दिखाई पड़ते हैं.
झांसी किले की रचना 400 साल पूर्व राजा बियर सिंह ने कि थी. किले के अंदर म्यूजियम बना है जो बुंदेलखंड के इतिहास को प्रदर्शित करता है. इसे रानी झांसी किला भी कहा जाता है.
पर्यटकों को खूब लुभाएगी ये जगह
ओरछा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी देखने लायक स्थान है. इसका निर्माण सन् 1994 में किया गया. अब ये पर्यटकों द्वारा एक चर्चित और सबसे ज़्यादा घुमा जाने वाले स्थान है. यहां बाग़, तेंदुआ, लंगूर, सियार, भालू, सांड, बन्दर और मोर दिख जाएंगे. साथ ही पक्षियों की 200 भिन्न प्रजातियां भी यहाँ जाती हैं.
पराक्रमी बुंदेलखंड के शासकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए छतरी का निर्माण किया गया था.छतरी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है.बेतवा नदी के किनारे 14 छतरी स्थित हैं. साल 1662 में लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण किया गया. यह मंदिर अद्भुत कलाकारी और नक्काशी का जीता-जाता उदाहरण है. मंदिर में माँ लक्ष्मी को पूजा जाता है. दीवारों पर लगी तस्वीरें बहुत सुन्दर हैं.