साइकिल: एक स्वस्थ और स्वच्छ भविष्य की सवारी, अवनि सिर्सिकर का ब्लॉग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 3, 2021 05:04 PM2021-06-03T17:04:28+5:302021-06-03T17:05:41+5:30
दुनिया की कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने साइकिल चलाने को विभिन्न तरीकों से प्रोत्साहित किया है. साइकिल-फ्रेंडली शहर एम्सटर्डम में लोगों की तुलना में अधिक साइकिल हैं.
एक बच्चा अपनी जिंदगी का पहला सबक साइकिल से ही सीखता है. यह आपको संतुलन बनाना सिखाती है. समझ पैदा करती है कि आप बिना असफल हुए सफल नहीं हो सकते.
आप दस बार गिरते हैं और ग्यारहवीं बार में सफल होते है. और सबसे महत्वपूर्ण है आगे बढ़ना. अन्य वाहनों के विपरीत, यह सिर्फ परिवहन का एक साधन ही नहीं है. अधिकांश लोगों के लिए यह एक अराजक दुनिया में शांतिपूर्ण शरण है, दूसरों के लिए यह उनकी पहचान है. जब मैं आठवीं क्लास में थी, हमारी हिंदी की किताब में एक सुंदर अध्याय था, ‘जहां पहिया है’.
कहानी ग्रामीण भारत में एक दूरदराज के भीतरी इलाकों की महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उस समाज के पितृसत्तात्मक नियमों के बोझ तले दब जाती हैं, जिसमें वे रहती हैं. यहां तक कि बुनियादी आवागमन के लिए, जैसे कि अपनी उपज को बाजार में बेचने के लिए, ये महिलाएं पुरुषों पर निर्भर हैं. उनके लिए साइकिल उनकी आजादी और सशक्तिकरण का साधन है.
आज भी काम पर जाने वाली नौकरानी का साइकिल चलाना आत्मनिर्भरता का प्रतीक लगता है. अलग-अलग लोगों के लिए साइकिल चलाने का उद्देश्य अलग-अलग हो सकता है; शांति पाने के लिए, फिट रहने के लिए या आजीविका के लिए, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह प्रोत्साहित किए जाने लायक काम है.
फिर भी, आज अधिकांश भारतीय साइकिल चलाने को गरीबी के कारण थोपी गई एक मजबूरी के रूप में देखते हैं, न कि एक जागरूक नागरिक द्वारा चुने गए एक सचेत विकल्प के रूप में. निश्चित रूप से सीढ़ी के बजाय लिफ्ट और साइकिल के बजाय कार के इस्तेमाल से हम अपना अधिक समय बचाते हैं, लेकिन मोटापा और आलसीपन बढ़ने की कीमत पर.
दुनिया की कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने साइकिल चलाने को विभिन्न तरीकों से प्रोत्साहित किया है. साइकिल-फ्रेंडली शहर एम्सटर्डम में लोगों की तुलना में अधिक साइकिल हैं. डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन, जिसे आमतौर पर ‘साइकिलों का शहर’ कहा जाता है, की आधी से अधिक आबादी प्रतिदिन साइकिल से अपने कार्यस्थल पर जाती है.
वास्तव में, कोपेनहेगन में साइकिल चलाना गाड़ी चलाने से आसान है. लेकिन साइकिल को बढ़ावा देने का कर्तव्य सिर्फ अधिकारियों का ही नहीं है. यह स्पष्ट रूप से दोतरफा काम है; आप साइकिल चलाते हैं और प्रशासन प्रोत्साहित करता है, प्रशासन प्रोत्साहित करता है और आप और अधिक साइकिल चलाते हैं. ग्रेटर कोपेनहेगन में अब एक ‘साइकिल सुपर हाईवे’ है जो शहर को कस्बे से जोड़ता है.
यह भारतीयों के लिए एक विदेशी और मनोरंजक अवधारणा है, जो अधीरता के साथ हॉर्न बजाते हुए कारें और मोटरसाइकिल चलाने के अभ्यस्त हैं, जो साइकिल चालकों के साथ सहयोग करने या उन्हें रास्ता देने के लिए तैयार नहीं होते. सड़कों के गड्ढे साइकिल सवारों के संकट को और बढ़ाते हैं, जो उनकी रीढ़ की हड्डी को भले ही चोट न पहुंचाएं लेकिन पीठ दर्द अवश्य देते हैं.
ऐसी परिस्थितियों में, यह स्पष्ट है कि अधिकांश भारतीय अपनी जंग लगी साइकिलों को सड़कों पर उतारने के लिए अनिच्छुक क्यों रहते हैं. लेकिन वैश्विक पेट्रोलियम भंडार घटने और वैश्विक तापमान बढ़ने के साथ, यह बहाना अब नहीं चलेगा. जीवन के स्थायी तरीकों को प्राथमिकता देने का अब कोई विकल्प नहीं है, और साइकिल चलाना एक अच्छी शुरुआत हो सकती है.
साइकिल की सवारी करने में सक्षम होने का मतलब यह नहीं कि हमें उसका मालिक ही होना चाहिए. साइकिल किराए पर ली जा सकती है और उसे शहर में मौजूद अनेक स्टेशनों में से कहीं से भी लिया या छोड़ा जा सकता है. भारत में अभी यह ज्यादा प्रचलन में नहीं है, लेकिन कई यूरोपीय देशों में यह एक सामान्य प्रणाली है. अलग साइकिल लेन बनाई जा सकती है.
साइकिल पार्किग भी एक महत्वपूर्ण कारक है जो साइकिल से चलने को प्रोत्साहित करता है. वास्तव में, साइकिल पार्किगक्षेत्र में कुछ निवेश की जरूरत है. बदले में वे साइकिलिंग की आदत विकसित करने में प्रत्यक्ष प्रोत्साहन प्रदान करेंगे. आपके कार्बन फुटप्रिंट के साथ-साथ आपकी अतिरिक्त चर्बी को कम करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है? एक स्वस्थ दुनिया और स्वस्थ शरीर के लिए साइकिल की सवारी सबसे बेहतर है. तो देर किस बात की, आज से ही अपनी साइकिल यात्र शुरू करें!