ब्लॉग: गणित को लेकर क्यों बना रहता है छात्रों में 'आतंक' का माहौल?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 24, 2021 01:35 PM2021-12-24T13:35:21+5:302021-12-24T13:38:30+5:30

गणित के अध्यापकों के ऊपर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने अध्यापक धर्म का निर्वाह करते हुए धैर्य से पढ़ाएं. याद रख लें कि गणित पर बिना प्रैक्टिस के महारत हासिल करना नामुमकिन है.

Why there an atmosphere of 'panic' among students regarding mathematics | ब्लॉग: गणित को लेकर क्यों बना रहता है छात्रों में 'आतंक' का माहौल?

गणित को लेकर क्यों बना रहता है छात्रों में 'आतंक' का माहौल?

आर.के. सिन्हा

एक तरह से रस्मी तौर पर 22 दिसंबर को देश ने हर साल की तरह राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया. यह हर साल इसी तरह से एक रूटीन की तरह मनाया जाता है. सिर्फ इस एक दिन को छोड़ दें तो हमारे यहां गणित जैसे अहम और जरूरी विषय को लेकर सारे समाज में एक तरह से सदा आतंक का माहौल ही बना रहता है. 

एक राय सी बन गई है कि गणित को आसानी से समझना असंभव सा है. देश में गणित के प्रति नई पीढ़ी का रुझान कोई खास नहीं है. दुर्भाग्यवश जो इंजीनियरिंग या आईटी सेक्टर में जाने की चाहत में मजबूरीवश गणित पढ़ भी रहे हैं, उनमें से ज्यादातर की गणित को लेकर समझ सीमित ही होती है. इसके पीछे कई कारण हैं. 

पहला तो यही कि गणित दूसरे विषयों से हटकर एक निश्चित रीति और सूत्रों पर आधारित विषय है. फिर  देश की लचर शिक्षा व्यवस्था और अर्धशिक्षित अध्यापकों के कारण गणित विषय से नौजवान दूर ही होते रहे हैं. यानी हमारे यहां गणित को पढ़ने-पढ़ाने का माहौल सही ढंग से कभी नहीं बना. गणित और छात्रों का कोई संबंध ही नहीं बन पाता. 

कोचिंग संस्थानों में भी बच्चों को सवाल हल करने के जो तरीके बताए जाते हैं वे समस्या को गहराई से समझने और उसे हल करने के नए तरीके खोजने के लिए प्रेरित नहीं करते. यह बहुत चिंताजनक
स्थिति है.

समझ नहीं आता कि महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के भारत में गणित जैसे रोचक विषय को लेकर इतनी मिथ्या धारणा किसलिए बन गई है कि यह जटिल विषय है. उनके जन्मदिन को ही राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह जरूरी है कि रामानुजनजी के जीवन से प्रेरित होकर ही सही, हमारे यहां गणित पढ़ने का माहौल बने.

आजकल सर्वाधिक नौकरियां सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी सेक्टर में ही हैं. इस क्षेत्र में सफल होने के लिए इंसान का गणित का बेहतर विद्यार्थी होना निहायत जरूरी है. आईटी में काम करना गणित के बगैर संभव ही नहीं है. हमें अपने स्कूलों-कॉलेजों में गणित के बहुत ही होनहार अध्यापकों को नियुक्त करना होगा जिन्हें गणित से प्रेम हो और वे गणित अपने छात्रों को प्रेम से पढ़ाएं-सिखाएं. गणित को आप इतिहास या राजनीति शास्त्र की तरह से नहीं पढ़ा सकते. 

गणित के अध्यापकों के ऊपर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने अध्यापक धर्म का निर्वाह करते हुए धैर्य से पढ़ाएं. याद रख लें कि गणित पर बिना प्रैक्टिस के महारत हासिल करना नामुमकिन है. गणित में महारत हासिल करने के लिए आपको लगातार साधना करनी होगी. गणित के प्रति समाज की सोच भी बेहद निराश करने वाली है. इसका एक उदाहरण लें. 

कोलकाता स्थित इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (आईएसआई) की गणित की प्रोफेसर नीना गुप्ता को अल्जेब्रिक जियोमेट्रो और कम्युटेटिव अल्जेब्रा में शानदार कार्य के लिए विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का 2021  का ‘डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार’ दिया गया है. खास बात ये है कि नीना गुप्ता रामानुजन पुरस्कार जीतने वाली दुनिया की तीसरी महिला हैं. लेकिन इस महत्वपूर्ण समाचार की कहीं कोई चर्चा तक नहीं हुई. 

पूरे देश का सारा ध्यान मिस यूनिवर्स खिताब की विजेता पर ही केंद्रित रहा. यह ठीक है कि मिस यूनिवर्स खिताब की विजेता ने भी देश को सम्मान दिलाया है लेकिन, अध्यापन के क्षेत्न में कार्यरत प्रोफेसर नीना गुप्ता की उपलब्धि को पूरी तरह नजरंदाज करना सही नहीं माना जा सकता. सबकुछ पैसे के तराजू पर तौलने की यह प्रवृत्ति हमें कहां ले जाएगी?

बहरहाल, एक बात हरेक विद्यार्थी और अभिभावक को पता है कि जिसका गणित अच्छा है उसके लिए आगे चलकर मेडिसिन, इंजीनियरिंग, चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के अनेक अवसर बने रहते हैं. इससे बेहतर कुछ भी नहीं है. गणित के बिना बहुत सारे कोर्स को करना संभव नहीं है. गणित में महारत हासित किए बगैर बहुत से महत्वपूर्ण विषयों को आप जान तक नहीं पाते हैं. 

कहते हैं कि गणित जीव विज्ञान की प्राण और आत्मा है. अगर गणित आता है तो जीव विज्ञान को समझना आसान होगा. इसी प्रकार गणित को समझे बगैर मनोविज्ञान को भी न तो समझा जा सकता है और न ही पढ़ाया जा सकता है. अब किसी भी बड़ी स्पर्धा को जीतने के लिए प्रतिस्पर्धी टीम की क्षमताओं का गहराई से अध्ययन किया जाता है.

यह तब ही संभव है जब आप गणित को जानते हों. यह समझने वाली बात है कि गणित विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक जरूरी उपकरण है. इसके साथ ही भौतिकी, रसायन विज्ञान, खगोल विज्ञान आदि गणित के बिना नहीं समङो जा सकते. भारत को इस धारणा को गलत सिद्ध करना ही होगा कि उसे गणित से डर लगता है. गणित के प्रति जिज्ञासा का भाव देश में पैदा करने की जरूरत है. गणित को लेकर हमारी अभी तक की सोच  नकारात्मक और निराशाजनक रही है. इसे बदलना ही होगा.

Web Title: Why there an atmosphere of 'panic' among students regarding mathematics

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