भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: बाढ़ का कारण इंसान खुद ही है
By भरत झुनझुनवाला | Published: September 16, 2018 05:12 PM2018-09-16T17:12:36+5:302018-09-16T17:12:36+5:30
जाहिर है कि ग्लोबल वार्मिग के चलते नदी की पानी वहन करने की क्षमता को बढ़ाना होगा। लेकिन हमने इसके विपरीत नदी की वहन शक्ति को कई तरह से कमजोर किया है जिससे बाढ़ का प्रकोप ज्यादा हो गया है।
इस मानसून के मौसम में देश के तमाम शहर बाढ़ की चपेट में आए हैं। बाढ़ का तात्कालिक कारण ग्लोबल वार्मिग है। ग्लोबल वार्मिग के कारण वर्षा का पैटर्न बदल रहा है। पूर्व में जो पानी तीन माह में धीरे-धीरे बरसता था अब वह कम ही दिनों में तेजी से बरस रहा है। जब पानी तेजी से बरस रहा होता है उस समय नदियों को अधिक पानी समुद्र तक पहुंचाना पड़ता है जिसके लिए उनकी क्षमता कम पड़ रही है इसलिए बाढ़ आ रही है।
जाहिर है कि ग्लोबल वार्मिग के चलते नदी की पानी वहन करने की क्षमता को बढ़ाना होगा। लेकिन हमने इसके विपरीत नदी की वहन शक्ति को कई तरह से कमजोर किया है जिससे बाढ़ का प्रकोप ज्यादा हो गया है। देश की कई शहरी नदियों में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट योजनाएं लागू की जा रही हैं। इन योजनाओं में नदी के दोनों तरफ खड़ी दीवारें बना दी जाती हैं जिससे नदी का पानी एक निर्धारित क्षेत्र में ही बहता है। इन खड़ी दीवारों से नदी का पाट छोटा हो जाता है।
सामान्य रूप से नदी का पाट वी शेप में होता है। जैसे जैसे जलस्तर बढ़ता है वैसे वैसे पानी को फैलने का स्थान अधिक मिलता है और नदी की पानी वहन करने की कुल शक्ति बढ़ती जाती है। लेकिन हमने बगल में दीवारें बनाकर नदी को यू शेप में बदल दिया है। बाढ़ आने का दूसरा कारण बड़े बांधों का बनाना है। बड़े बांध वर्षा के पानी को रोक लेते हैं और बांध के नीचे बाढ़ का प्रकोप कम हो जाता है। लेकिन यह तात्कालिक प्रभाव मात्र है। दीर्घ काल में बाढ़ को रोकने का प्रभाव अलग पड़ता है।
नदी का स्वभाव होता है कि अपने साथ ऊपर से गाद लाती है और इस गाद को अपने पेटे में धीरे धीरे जमा करती जाती है। चार पांच साल बाद जब बड़ी बाढ़ आती है तब एक झटके में इस जमा गाद को नदी समुद्र तक पहुंचा देती है और अपने पेटे को पुन: खाली कर देती है।
बड़े बांध बनाने से यह बड़ी बाढ़ आना अब बंद हो गया है। जो गाद नदी लेकर आती है वह पेटे में जमती जाती है और नदी का पेटा उठता जा रहा है। नदी का पेटा ऊंचा होने से छोटी बाढ़ भी चारों ओर फैल जाती है और ज्यादा क्षति पहुंचाती है।