विष्णुगुप्त का ब्लॉग: तिब्बत की आजादी का मुद्दा जोर-शोर से उठाएं

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 25, 2020 05:32 AM2020-06-25T05:32:20+5:302020-06-25T05:32:20+5:30

Vishnugupta's blog: Raise the issue of Tibet's independence vigorously | विष्णुगुप्त का ब्लॉग: तिब्बत की आजादी का मुद्दा जोर-शोर से उठाएं

तिब्बत की आजादी के प्रश्न को अब हमें उठाना ही चाहिए.

Highlights जार्ज फर्नांडीस बार-बार कहते थे कि हमारा असली दुश्मन पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन हैसिक्किम तो हमारा अभिन्न अंग है इसलिए इस पर चीन के दावे का प्रश्न ही कहां उठता था?

विष्णुगुप्त

चीन ने 1962 में न केवल भारत पर आक्रमण किया था बल्कि हमारी हजारों वर्ग किमी भूमि पर कब्जा कर लिया था और हमारे हजारों सैनिकों को मार डाला था. चीन की दादागीरी और गुंडागर्दी देखिए कि हमारी कब्जाई भूमि को वह छोड़ने के लिए तैयार नहीं है बल्कि वह लद्दाख और सिक्किम-अरुणाचल प्रदेश को भी अपना अंग मानने की धूर्तता करने से बाज नहीं आता है. दूसरी तरफ तिब्बत पर हमने चीन का कब्जा हो जाने दिया.

अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में शामिल और तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडीस बार-बार कहते थे कि हमारा असली दुश्मन पाकिस्तान नहीं बल्कि चीन है, चीन से ही भारत को असली खतरा है, पाकिस्तान की आतंकवाद और  युद्घक मानसिकता के पीछे चीन ही है. इसलिए चीन पर विश्वास करना भारत को महंगा पड़ेगा. अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में चीन के साथ एक समझौता किया था. उस समझौते में उन्होंने तिब्बत पर चीन का अधिकार मान लिया था और यह भी शर्त स्वीकार कर ली थी कि भारत भविष्य में कभी-भी तिब्बत की आजादी का प्रश्न नहीं उठाएगा. जब यह समझौता सामने आया था तब देश में हाहाकार मच गया था. राजनीतिज्ञों और सुरक्षा विशेषज्ञों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी और इसको देश की सुरक्षा के लिए घातक मान लिया गया था. उस समय तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने यह तर्क दिया था कि चूंकि सिक्किम को चीन ने भारत का अंग स्वीकार कर लिया है, इसलिए तिब्बत की आजादी का प्रश्न हमने छोड़ दिया.

सिक्किम तो हमारा अभिन्न अंग है इसलिए इस पर चीन के दावे का प्रश्न ही कहां उठता था? फिर चीन की कारस्तानी देखिए, विश्वासघाती चरित्र देखिए. अब फिर चीन सिक्किम को अपना अंग कहने लगा है. चीन के खिलाफ तिब्बत का मुद्दा हमारा अचूक हथियार होता था. जब भी चीन हमारे खिलाफ बोलता था,  जब भी चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बोलता था, तब भारत तिब्बत की आजादी का प्रश्न उठा कर चीन की बोलती बंद कर देता था. तिब्बत में घोर मानवाधिकार हनन का प्रश्न हम दुनिया के सामने लाकर चीन का असली चेहरा दिखा देते थे. राममनोहर लोहिया और समाजवादी तबका चीन के खिलाफ हमेशा सक्रिय रहते थे और तिब्बत की आजादी का प्रश्न उठाते रहते थे. राममनोहर लोहिया की मृत्यु के बाद जार्ज फर्नांडीस तिब्बत की आजादी की मशाल जलाते रहे थे.  

चीन ने एक तरह से विश्वासघात किया है. इसलिए तिब्बत की आजादी के प्रश्न को अब हमें उठाना ही चाहिए. तिब्बत में घोर मानवाधिकार हनन के प्रश्न को भी उठाना चाहिए.

Web Title: Vishnugupta's blog: Raise the issue of Tibet's independence vigorously

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