विनोबा भावे का ‘भूदान’ आंदोलन के 70 वर्ष, जानें सबकुछ
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 15, 2021 05:11 PM2021-04-15T17:11:20+5:302021-04-15T17:13:14+5:30
15 अप्रैल 1951 को विनोबाजी ने तेलंगाना में शांति का संदेश फैलाने के उद्देश्य से नालगोंडा, वारंगल क्षेत्र में पदयात्र शुरू की, जो हिंसा से त्रस्त था. वहां हुई आगजनी, लूटपाट और हत्याएं देखकर वे व्याकुल थे.
विनोबा भावे का भूदान आंदोलन आधुनिक भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है. विनोबा भावे ने इसे एक वैचारिक आधार दिया.
इस आंदोलन का उद्देश्य भूमिहीनों की जरूरतों को ही पूरा करना नहीं था बल्कि भूमि और प्राकृतिक संपदा को सार्वजनिक मानने की प्रवृत्ति लोगों में पैदा करना था. सन् 1951 में सशस्त्र क्रांतिकारी कम्युनिस्टों ने तेलंगाना में जमींदार वर्ग पर हमला किया. हैदराबाद में सांप्रदायिक दंगों के अवसर पर प्रधानमंत्नी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विनोबा भावे को क्षेत्न का दौरा करने के लिए कहा.
अप्रैल 1951 में हैदराबाद के पास शिवरामपल्ली में सवरेदय समाज का तीसरा सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन के बाद 15 अप्रैल 1951 को विनोबाजी ने तेलंगाना में शांति का संदेश फैलाने के उद्देश्य से नालगोंडा, वारंगल क्षेत्न में पदयात्र शुरू की, जो हिंसा से त्नस्त था. वहां हुई आगजनी, लूटपाट और हत्याएं देखकर वे व्याकुल थे.
उन्होंने महसूस किया कि इस सब के मूल में सामाजिक असमानता और गरीबी है. 18 अप्रैल 1951 को जब विनोबाजी नलगोंडा जिले के पोचमपल्ली गांव का दौरा कर रहे थे, उन्होंने कुछ पिछड़े गरीब लोगों से मुलाकात की. विनोबा ने उनकी कठिनाइयों के बारे में पूछा. नागरिकों ने कहा कि अगर हमें जमीन मिलती है तो हमारी समस्या हल हो जाएगी. इस क्षेत्र की एकमात्र समस्या भूमि की है.
इस गांव की आबादी तीन हजार है और उनमें से ढाई हजार भूमिहीन हैं. लोगों ने कहा, अगर हमें 80 एकड़ जमीन मिल जाए तो हमारी समस्याएं हल हो जाएंगी. विनोबा ने कहा, यदि आपको जमीन मिलती है तो आप सभी को एक साथ मिलकर काम करना होगा. सभी को अलग-अलग जमीन नहीं मिलेगी. जब चर्चा चल रही थी, गांव के रामचंद्र रेड्डी नाम के एक समर्थ किसान ने 100 एकड़ भूमि देने की घोषणा की.
इस घटना से भूदान आंदोलन शुरू हुआ. शांतियात्ना भूदानयात्ना में तब्दील हो गई. इस घटना के बाद अन्य सवरेदयी कार्यकर्ताओं ने भी विभिन्न राज्यों में पदयात्र शुरू की. दो महीने की तेलंगाना यात्ना के दौरान 13000 एकड़ भूमि दान में मिली. 1951 से 1969 तक 18 वर्षो तक भूदान पदयात्र जारी रही. विनोबा भावे ने 20 राज्यों का दौरा किया.
भूदान में कुल 4381871 एकड़ भूमि दान में मिली थी. महाराष्ट्र में भूदान आंदोलन के माध्यम से लगभग 1.5 लाख एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था, जिसमें से एक लाख एकड़ भूमि भूमिहीनों में वितरित की गई. सामाजिक क्षेत्न में उनके कार्यो के लिए विनोबा भावे को सन् 1958 में फिलीपींस ने 20000 डॉलर की राशि का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया. विनोबा ने पूरी पुरस्कार राशि को भूदान आंदोलन को दान कर दिया. आज ऐसा नेता मिलना दुर्लभ है जो सिद्धांतों के प्रति ईमानदार और निस्वार्थ भाव से प्रतिबद्ध हो.
लोकमत संदर्भ विभाग, नागपुर