विजय दर्डा का ब्लॉग: मोदीजी के क्यों मुरीद हो गए हैं पुतिन...?

By विजय दर्डा | Published: November 7, 2022 08:03 AM2022-11-07T08:03:35+5:302022-11-07T08:03:35+5:30

इसमें कोई संदेह नहीं कि दुनिया के पटल पर इस वक्त भारत बहुत मजबूत स्थिति में है. कोई भी देश भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता. निश्चित रूप से भारत की इस ताकत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कूटनीति और दृढ़ता से नया आयाम दिया है. इसलिए तो पुतिन भी उनकी तारीफ कर रहे हैं...!

Vijay Darda's blog: Why has Vladimir Putin become a fan of Narendra Modi? | विजय दर्डा का ब्लॉग: मोदीजी के क्यों मुरीद हो गए हैं पुतिन...?

नरेंद्र मोदी के मुरीद हुए व्लादिमीर पुतिन (फोटो- ट्विटर)

दुनिया जानती है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बेवजह कोई बात नहीं करते हैं. जो कहते हैं, उस पर हमेशा अडिग रहते हैं. उनके शब्द हमेशा सधे हुए होते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि किसी के बारे में कहा गया उनका एक शब्द भी कितना मायने रखता है. इसलिए जब उन्होंने मास्को स्थित वालदाई डिस्कशन क्लब में नीति विशेषज्ञों के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुले मन से तारीफ की तो पूरी दुनिया ने उनके बयान को बड़े गौर से सुना और उनके शब्दों के मायने समझने की कोशिश शुरू हो गई.

पुतिन के शब्दों पर गौर करिए. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी दुनिया के उन चुनिंदा और विरले राजनेताओं में से एक हैं जो तमाम दबावों के बावजूद अपने देश के हित को देखते हुए स्वतंत्र विदेश नीति तय करने की क्षमता रखते हैं. पुतिन ने रूस और भारत की ऐतिहासिक दोस्ती और भरोसे का जिक्र करते हुए कहा कि  भारत पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने की कई कोशिशें हुईं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आइस-ब्रेकर की तरह सफर जारी रखा. भारत ने विकास के मामले में जबरदस्त सफलता हासिल की है और उसका भविष्य स्वर्णिम है. 

पुतिन के इस बयान को इस संदर्भ में देखने की कोशिश की गई कि भारत अमेरिकी खेमे के ज्यादा करीब न जाए और रूस से उसकी निकटता बनी रहे. स्वाभाविक सी बात है कि विश्व के नए स्वरूप में भारत की जरूरत रूस को भी है और अमेरिका को भी है!

मैं पुतिन के बयान को बिल्कुल अलग संदर्भ में देखता हूं. राजनीति से अलग हटकर आप यदि पड़ताल करें तो पुतिन ने बात बिल्कुल सही कही है. ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब रूस पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. भारत रूस से कच्च तेल खरीदता है और प्रतिबंध का मतलब था खरीदी बंद करना. भारत की जगह कोई और देश होता तो डर जाता लेकिन भारत ने रूस से तेल की खरीदी जारी रखी. 

इतना ही नहीं जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने आंकड़े सामने रख दिए कि रूस से यूरोप जितना तेल एक दिन में खरीदता है उतना तो भारत एक महीने में लेता है. मिसाइल सिस्टम एस-400 की खरीदी भी भारत ने बेधड़क की. ये दोनों घटनाएं बताती हैं कि भारत ने अमेरिका की नहीं सुनी तो दूसरी ओर रूसी नाराजगी की परवाह न करते हुए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) में शामिल हो गया. 

दुनिया ने देखा कि तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया तो हालात पर चर्चा के लिए रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्‍स को स्वयं दिल्ली आना पड़ा.

यूक्रेन पर रूसी हमले के मामले में भी भारत ने अपना नजरिया बहुत स्पष्ट रखा. न रूस का आंख मूंद कर साथ दिया और न यूरोप तथा अमेरिका के खेमे में गया. जरूरत पड़ी तो पुतिन की आंख में आंख डाल कर मोदीजी ने कहा कि ये वक्त युद्ध का नहीं है. 

एक तरफ भारत ने इजराइल से संबंधों को प्रगाढ़ किया है तो दूसरी ओर अरब देशों के साथ भी प्रगाढ़ता बढ़ी है. अरब देशों में अब पाकिस्तान की नहीं बल्कि भारत की पूछ-परख होती है. ऐसे बहुत से प्रसंग हैं जो इस बात के परिचायक हैं कि भारत का रुतबा पूरी दुनिया में बढ़ रहा है. रुतबा बढ़ाने में निश्चय ही पीएम मोदी और उनकी टीम का बड़ा योगदान है. मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि विदेश मंत्री के रूप में एस. जयशंकर कंधे से कंधा मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दे रहे हैं.

पुतिन से पहले डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति रहते हुए मोदीजी की तारीफ कर चुके हैं. बराक ओबामा ने तो टाइम मैगजीन में मोदीजी पर एक आलेख भी लिखा था. दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की टाइम मैगजीन की लिस्ट में मोदीजी का नाम पांच बार शामिल हो चुका है. उन्हें भारत के अब तक के सबसे प्रभावशाली तीन नेतृत्वकर्ताओं जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ शुमार किया गया है. 

जवाहरलाल नेहरू ने आजादी के बाद के कठिन दौर में भारत को किसी भी गुट में शामिल होने से बचाया और विकास की नई इबारत लिखी. इंदिरा गांधी ने भारत की दृढ़ता से पूरी दुनिया का परिचय कराया. और अब मोदीजी ने भारत की ताकत को पूरी दुनिया में नए मुकाम पर पहुंचाया है.

अपने दौर में नेहरूजी ने दुनिया भर के नेताओं को अपना मुरीद बना लिया था. वे उनसे गले मिलते थे, कंधे पर हाथ रखते थे. यहां तक कि केवल नेहरू और जॉन एफ. केनेडी ही थे जिन्होंने ब्रिटेन की महारानी के सामने सिर नहीं झुकाया बल्कि हाथ मिलाया. नेहरूजी के समय भारत के पास नैतिक और वैचारिक ताकत थी और आज मोदीजी के समय नैतिक और वैचारिक ताकत के साथ ही आर्थिक ताकत भी है. 

मोदीजी इस ताकत को प्रदर्शित करने की कला में माहिर हैं. उनकी कूटनीति गजब की है. आज हर नेता मोदीजी से गले मिलना चाहता है. चाहे बराक ओबामा रहे हों, ट्रम्प रहे हों या फिर शी जिनपिंग या कोई और...मोदीजी ने दुनिया के कद्दावर नेताओं के साथ भी बराबरी के स्तर पर बात की है. ये खासियत तो उनमें है कि हर किसी को मोह लेते हैं. दुनिया भर के नेता यदि उनकी तारीफ करते हैं तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है. भारत महाशक्ति बनने की दौड़ में शामिल हो चुका है. सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा...!

Web Title: Vijay Darda's blog: Why has Vladimir Putin become a fan of Narendra Modi?

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे