विजय दर्डा का ब्लॉग: बलात्कार! कानून!! और राजनीति..!!!

By विजय दर्डा | Published: October 4, 2020 04:38 PM2020-10-04T16:38:41+5:302020-10-04T16:38:41+5:30

सवाल यह है कि हम सख्ती की उम्मीद किससे करें? कांग्रेस को तो लोगों ने सत्ता से हटा दिया. उम्मीद के साथ भाजपा को सत्ता में लेकर आए और उसी पार्टी के लोग इस तरह की हरकत करने लगें तो जनता क्या करे?

Vijay Darda's Blog: Rape! Law!! And politics .. !!! | विजय दर्डा का ब्लॉग: बलात्कार! कानून!! और राजनीति..!!!

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

हाथरस में जो कुछ भी हुआ वह पूरे समाज, पूरे उत्तरप्रदेश, पूरे देश और पूरी मानवीयता पर बड़ा कलंक है. दुर्भाग्य है कि इन क्रूरतम अपराधों को भी जाति और धर्म के नजरिये से देखने की कोशिश की जा रही है.

किसी दलित लड़की के साथ बलात्कार हुआ है तो क्या ऊंची जाति वालों का सरकार में बैठे लोग साथ देंगे? क्या पुलिस इस नजरिये से कार्रवाई करेगी कि अपराध करने वाला किस पार्टी का समर्थक था? बलात्कार की बात सामने आते ही दोषियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया? किस बात का इंतजार कर रही थी सरकार?

अभी एक सप्ताह के भीतर राजस्थान में बलात्कार और छेड़खानी की 11 घटनाएं हुईं लेकिन वहां तो सरकार ने कार्रवाई में कोई देरी नहीं की! वहां तो किसी शव को रात के अंधेरे में बिना मां-बाप की मर्जी के पुलिस ने नहीं जलाया! तो यह सब उत्तरप्रदेश में ही क्यों हुआ?

किसने डीएम को विरोध करने वालों को पैर से मारने का विशेषाधिकार दिया -

किसने डीएम को यह अधिकार दिया कि वह विरोध करने वालों को पैरों से ठोकर मारे? क्या कोई कमजोर वर्ग का है तो उसे दबा कर चुप कर देंगे? राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और डेरेक ओ’ब्रायन के साथ बेरहमी से धक्कामुक्की और बदतमीजी करने की हिम्मत कैसे हुई? क्या शासन के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति की अनुमति के बिना यह सब संभव है?

बिल्कुल संभव नहीं है. यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप न किया होता और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से यह न पूछा होता कि यह सब क्या हो रहा है तो शायद कोई कार्रवाई भी नहीं होती!

पीएम के हस्तक्षेप के बाद ही यूपी सरकार ने एसआईटी का गठन किया और अब सीबीआई जांच की सिफारिश की है. लेकिन न्यायिक जांच के आदेश देते तो पीड़ित परिवार को ज्यादा विश्वास होता.  लड़की के परिवार के लिए कुछ मुआवजे की घोषणा भी की है. सवाल यह है कि क्या बलात्कार का कोई मुआवजा हो सकता है?

नैतिक तौर पर योगी आदित्यनाथ को भी इस्तीफा दे देना चाहिए था-

मुझे वह प्रकरण याद आ रहा है जब लाल बहादुर शास्त्री ने एक रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उत्तरप्रदेश में इतनी बड़ी घटना के बाद तो नैतिक तौर पर योगी आदित्यनाथ को भी इस्तीफा दे देना चाहिए था या पार्टी को उनसे इस्तीफा ले लेना चाहिए था. लेकिन योगी आदित्यनाथ से किसी नैतिकता की उम्मीद तो उसी दिन खत्म हो गई थी जब मीडिया ने उनसे पूछा कि क्या आप बाबरी मस्जिद के शिलान्यास समारोह में जाएंगे तो उन्होंने कहा कि सवाल ही नहीं उठता!

मैं नहीं जाऊंगा! सवाल है कि वे सीना ठोक कर ऐसा बोलने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं? यह तो सीधे-सीधे संविधान का उल्लंघन है. बाबासाहब आंबेडकर के दिए संविधान पर ही हमारा देश चलता है. उसी के कारण उन्हें सीएम का पद भी मिला हुआ है.  

इस घटना के बाद अब मैं कहने का साहस भी नहीं कर सकता कि उत्तरप्रदेश में लोकतांत्रिक शासन है. हाल ही में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ और लोग राम राज की कल्पना कर रहे हैं, वहां इस तरह लड़कियां दरिंदों की हवस का शिकार बन रही हैं? पिछले साल बलात्कार के तीन हजार मामले यूपी में दर्ज हुए जो देश के आंकड़ों का 10 प्रतिशत है. 270 नाबालिगों के साथ भी बलात्कार हुए थे.

केवल यूपी में ही बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं, ऐसा नहीं है. राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में हो रही हैं. पूरे देश में हर रोज बलात्कार की 90 घटनाएं होती हैं. प्रश्न यह है कि हम उस घटना की तरफ कैसे देखते हैं? ऐसे अपराध को धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, राजनीति के नाम पर देखना ठीक नहीं है. उसे केवल कानून की नजर से देखा जाना चाहिए और इन दरिंदों का साथ देने वालों को कुचल डालना चाहिए.

अपराध को धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, राजनीति के नाम पर देखना ठीक नहीं-

इसी उत्तरप्रदेश में भाजपा के विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर ने 17 साल की एक दलित बच्ची के साथ बलात्कार किया था लेकिन गिरफ्तारी एक साल बाद हुई. क्यों? क्योंकि यह अपराधियों को बचाने की मानसिकता का मसला है. 

सेंगर भाजपा में आने से पहले बसपा, सपा और कांग्रेस में भी रह चुका था. हर पार्टी अपराधियों का साथ देती है जिससे उनके हौसले बुलंद रहते हैं. एक तरफ हम दुनिया में अपनी साख बना रहे हैं तो दूसरी ओर ऐसी घटनाओं से हमारी नाक नीची हो रही है. दुनिया हम पर हंस रही है.

हैदराबाद में जब एक डॉक्टर लड़की के साथ बलात्कार की घटना हुई तो प्रचारित किया गया कि चारों आरोपी मुसलमान थे. बाद में सच्चई सामने आई कि केवल एक अपराधी मुस्लिम था बाकी तीन तो हिंदू थे.

जम्मू के कठुआ में बकरवाल समुदाय की आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ. पुजारी सांझीराम सहित 7 लोगों पर आरोप था. उस समय के फॉरेस्ट मिनिस्टर लालसिंह और उद्योग मंत्री चंद्रप्रकाश ने हिंदू एकता मंच बनाकर अपराधियों के समर्थन में मोर्चे निकाले. बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने एसआईटी का गठन किया और राज्य से बाहर मुकदमा चला तब 7 में से 6 आरोपियों को सजा हुई. ऐसे और भी बहुत से उदाहरण हैं.

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सवाल यह है कि हम सख्ती की उम्मीद किससे करें?

सवाल यह है कि हम सख्ती की उम्मीद किससे करें? कांग्रेस को तो लोगों ने सत्ता से हटा दिया. उम्मीद के साथ भाजपा को सत्ता में लेकर आए और उसी पार्टी के लोग इस तरह की हरकत करने लगें तो जनता क्या करे?

मुझे याद है कि निर्भया कांड के बाद बलात्कार के आरोपियों को सख्त सजा के लिए संसद रात में भी चली थी और एक सख्त कानून पारित किया था. उसमें फांसी का भी प्रावधान है. सवाल यह है कि जब सिंगापुर में थूकने और यूएई में चोरी करने से लोगों को डर लगता है तो हमारे यहां फांसी का भी डर क्यों नहीं है? मैं मानता हूं कि सीएम, गृह मंत्री या पुलिस का कोई जवान हर जगह तैनात नहीं रह सकता लेकिन उसका खौफ तो मौजूद रह सकता है!

फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित कीजिए और बलात्कारियों को सरेआम फांसी दीजिए ताकि दूसरों के भीतर खौफ पैदा हो कि बलात्कार करेंगे तो इसी तरह फांसी पर लटकाए जाएंगे! और हां, देश भर में पुलिस को यह जरूर सोचना होगा कि बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए जाने की दर केवल 27 प्रतिशत के आसपास ही क्यों है? आखिर हमारी बेटियां  और बहनें कब तक कुचली जाती रहेंगी?

बहरहाल, मेरे जेहन में साहिर लुधियानवी के गीत की ये पंक्तियां गूंज रही हैं..

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी/यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी/पयंबर की उम्मत, जुलेख़ा की बेटी/जिन्हें नाज है हिंद पर वो कहां हैं? जरा मुल्क के रहबरों को बुलाओ/ये कूचे, ये गलियां, ये मंजर दिखाओ/जिन्हें नाज है हिंद पर उनको लाओ/जिन्हें नाज है हिंद पर वो कहां हैं?

Web Title: Vijay Darda's Blog: Rape! Law!! And politics .. !!!

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