विजय दर्डा का ब्लॉग: हमारे देश में व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों है?

By विजय दर्डा | Published: August 5, 2019 04:59 AM2019-08-05T04:59:16+5:302019-08-05T04:59:16+5:30

उन्नाव कांड की यह वीभत्स दास्तान जब मैं लिख रहा हूं तो ऐसा लग रहा है कि किसी आपराधिक फिल्म की यह पटकथा है. मैं आश्चर्यचकित हूं कि एक दबंग विधायक एक परिवार को तबाह कर देता है और हमारी सरकारी व्यवस्था उस लड़की की मदद नहीं कर पाती. मुझे लगता है कि मामला किसी दल से जुड़ा हुआ नहीं है, यह मानवता और व्यवस्था का प्रश्न है.

Vijay Darda blog on Unnao Rape Case: Why is the system so weak in our country? | विजय दर्डा का ब्लॉग: हमारे देश में व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों है?

उन्नाव रेप कांड के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर। (फाइल फोटो)

उन्नाव रेप कांड और उसके बाद का घटनाक्रम केवल एक अपराध की दास्तान नहीं है. यह दास्तान है एक ऐसी जर्जर व्यवस्था की जहां एक दबंग विधायक न केवल बलात्कार  का आरोपी है बल्कि उस पर यह भी आरोप है कि उसने लड़की के परिवार को तबाह कर दिया. पिता की हत्या हो गई. दुर्घटना के सहारे अब पीड़िता की हत्या की कोशिश हुई है. हत्या की आशंका इसलिए कि वह ट्रक ड्रायवर विधायक का करीबी बताया जा रहा है. मामला इतना गंभीर है कि देश के चीफ जस्टिस ने यह कहा कि इस देश में आखिर हो क्या रहा है? कुछ भी कानून के हिसाब से नहीं हो रहा. 

यह दास्तान वाकई रोंगटे खड़ी करती है. पहले सिलसिलेवार यह समझिए कि क्या, कब और कैसे हुआ! 4 जून 2017 को उन्नाव के पासएक गांव से 17 साल की एक लड़की का अपहरण हुआ. कई दिनों तक पुलिस हाथ-पांव मारती रही लेकिन कुछ पता नहीं चला. अंतत: वह लड़की 21 जून 2017 को पुलिस को मिली, लेकिन कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. 22 जून को मजिस्ट्रेट के सामने उसने जो कहानी बताई वह बेहद दर्दनाक थी, लेकिन पुलिस के तो जैसे हाथ-पांव ही फूल गए. लड़की ने कहा कि इन दस दिनों में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कुछ लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया है. 

कोई और होता तो पुलिस तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर लेती, लेकिन  कुलदीप सिंह सेंगर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा दबंग नाम है. ये जनाब कई दलों में रह चुके हैं. 2002 में ये पहली बार बसपा के टिकट पर उन्नाव सदर सीट से विधानसभा का चुनाव जीते थे. 2007 के चुनाव में ये समाजवादी पार्टी की गोद में जा बैठे और बांगरमऊ सीट से तथा 2012 में भगवंतनगर से जीते. 2017 में इन्होंने भाजपा का हाथ थामा और बांगरमऊ से विधानसभा पहुंच गए. जब उन्नाव रेप कांड में उनका नाम आया तो पुलिस ने बचाने की हर संभव कोशिश की, परंतु मजिस्ट्रेट के सामने लड़की के बयान के कारण रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी. लेकिन 1 जुलाई 2017 को कोर्ट के सामने जो चार्जशीट पेश की गई, उसमें विधायक सेंगर का नाम ही नहीं था. फरवरी 2018 में जब जिला न्यायालय ने हस्तक्षेप किया तब पुलिस ने सेंगर को आरोपी  बनाया, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई. स्वाभाविक तौर पर यह आरोप लगता रहा कि पुलिस उस विधायक का साथ दे रही थी. 

इस बीच एक और विचित्र घटना हुई. सेंगर के भाई ने लड़की के पिता के साथ मारपीट की, लेकिन पुलिस ने पिता के खिलाफ ही आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करके 4 अप्रैल 2018 को उन्हें जेल भेज दिया.  लड़की को पता चला कि उसके पिता को जेल में टॉर्चर किया जा रहा है तो उसने 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्महत्या की कोशिश की. उसे तो खैर बचा लिया गया, लेकिन जेल के भीतर 9 अप्रैल को लड़की के पिता की मौत हो गई. दबंगई का नंगा नाच चल रहा था और विधायक खुला घूम रहा था. 

किशोरी की आत्महत्या की कोशिश के बाद यह मामला पूरे देश के मीडिया में सुर्खियों में आया. इसके बाद सीबीआई ने जांच शुरू की और 13 अप्रैल को विधायक सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया. आश्चर्यजनक रूप से इस मामले के मुख्य गवाह यूनुस की 18 अगस्त 2018 को मौत हो गई. परेशान हाल लड़की ने 12 जुलाई 2019 को चीफ जस्टिस को पत्र लिखा कि उसके पूरे परिवार को जान का खतरा है लेकिन पत्र उनके पास तत्काल नहीं पहुंचा. जिसकी आशंका थी, 28 जुलाई को वही हुआ. लड़की अपनी चाची, मौसी और अपने वकील के साथ रायबरेली गई थी. वहां एक ट्रक ने टारगेट करके कार को भीषण टक्कर मारी. चाची और मौसी की तत्काल मौत हो गई जबकि ड्राइव कर रहे वकील और लड़की अस्पताल में मौत से जूझ रहे हैं. जिस ट्रक से टक्कर मारी गई उसका नंबर प्लेट ग्रीस से पुता हुआ था और ड्रायवर के बारे में कहा जा रहा है कि वह सेंगर का करीबी है.  

और सबसे बड़ा आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि लड़की की सुरक्षा के लिए जो तीन पुलिसकर्मी तैनात थे वे उस दिन लड़की के साथ नहीं थे! सवाल उठना लाजिमी है कि क्या साजिश नहीं थी? साजिश की बू तो जरूर आ रही है. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमों का ट्रांसफर यूपी से  दिल्ली कर दिया है और 45 दिन में सारी सुनवाई पूरी करने को कहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि दोषियों को जल्दी ही सजा मिलेगी, लेकिन यह मसला यहीं खत्म नहीं होता. सवाल यह है कि हमारी व्यवस्था किसी दबंग के दबाव में क्यों होती है? कानून तो सबके लिए एक जैसा बना है तो पुलिस को भी एक जैसा ही बर्ताव करना चाहिए! दुर्भाग्य यह है कि ऐसा हो नहीं रहा है.

उन्नाव कांड की यह वीभत्स दास्तान जब मैं लिख रहा हूं तो ऐसा लग रहा है कि किसी आपराधिक फिल्म की यह पटकथा है. मैं आश्चर्यचकित हूं कि एक दबंग विधायक एक परिवार को तबाह कर देता है और हमारी सरकारी व्यवस्था उस लड़की की मदद नहीं कर पाती. मुझे लगता है कि मामला किसी दल से जुड़ा हुआ नहीं है, यह मानवता और व्यवस्था का प्रश्न है. उस व्यवस्था का प्रश्न है जिसके संविधान ने नागरिकों को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त किया हुआ है. यह उस व्यवस्था का प्रश्न है, जिस व्यवस्था के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अत्यंत जागरूक हैं. ऐसी स्थिति में यदि ऐसी घटना होती है तो पूरे समाज के लिए यह अत्यंत गंभीर विचारणीय प्रश्न है. इसीलिए चीफ जस्टिस को कठोर टिप्पणी करनी पड़ रही है. सारे राजनीतिक दलों को इस विषय पर सोचना होगा कि देश कानून के हिसाब से कैसे चले और कोई कितना भी दबंग हो, कानून की धज्जियां न उड़ा पाए!

Web Title: Vijay Darda blog on Unnao Rape Case: Why is the system so weak in our country?

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