विजय दर्डा का ब्लॉग: कमाल की काबिलियत है हमारे वैज्ञानिकों में

By विजय दर्डा | Published: July 22, 2019 05:36 AM2019-07-22T05:36:40+5:302019-07-22T05:36:40+5:30

हम बैलगाड़ी से चले थे और हमारे वैज्ञानिकों ने एक साथ 104 सैटेलाइट छोड़ने का कमाल भी दिखा दिया. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है, यदि हमने चांद पर किसी भारतीय को उतार दिया तो यह बहुत बड़ी बात होगी. 

Vijay Darda blog: Indian scientists have Amazing talent | विजय दर्डा का ब्लॉग: कमाल की काबिलियत है हमारे वैज्ञानिकों में

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

पंद्रह जुलाई को चंद्रयान-2 की रवानगी देखने के लिए जब हिंदुस्तान में बहुत से लोग जग रहे थे, तब मैं ऑस्ट्रिया में था और वहां आधी रात भी नहीं हुई थी. मैं टीवी का रुख करता तब तक खबर मिली कि रवानगी टल गई है. दरअसल इसकी लॉन्चिंग अक्तूबर 2018 में ही होनी थी लेकिन टल गई. फिर 3 जनवरी, उसके बाद 31 जनवरी और अंतत: 15 जुलाई की तारीख तय हुई थी. उस दिन भी लॉन्चिंग टल गई तो निश्चय ही ज्यादातर लोगों को तात्कालिक निराशा हुई लेकिन मैं बिल्कुल ही निराश नहीं हुआ क्योंकि मुझे पूरा भरोसा था कि हमारे वैज्ञानिक जल्दी ही मुश्किल का हल निकाल लेंगे.

इस भरोसे का कारण यह था कि मैंने ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी के सदस्य के रूप में श्रीहरिकोटा में इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत और समर्पण को बड़े करीब से देखा है. कोई पांच साल पहले मुझे यह मौका मिला था. एयरकंडीशंड कमरे में भी उनके माथे पर मैंने पसीना देखा है. वैज्ञानिकों से मेरी लंबी बातचीत हुई थी कि हर लॉन्चिंग उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है और कितने टेंशन से भरी होती है. उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज 22 जुलाई को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग शेड्यूल हो पाई है.

निश्चय ही 3877 किलो के चंद्रयान-2 की सफलता हमें सातवें आसमान के पार पहुंचा देगी. चंद्रयान-1 तो केवल चांद की कक्षा में घूमकर आया. चंद्रयान-2 के माध्यम से इसरो चांद की सतह पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ को उतारेगा. सितंबर में वहां पहुंचने के बाद लैंडर पता लगाएगा कि क्या चांद पर भूकंप आते हैं? रोवर खनिज तत्वों की खोज करेगा. ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा बनाएगा. यह चंद्रयान-2 जो जानकारियां उपलब्ध कराएगा वे अत्यंत महत्वपूर्ण होंगी.

चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का यह मौका इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि चांद पर मानव के पहले कदम के पचास साल अभी दो दिन पहले ही पूरे हुए हैं. 20 जुलाई 1969 को अमेरिकी नागरिक नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा था. बहुत जल्दी भारतीय वैज्ञानिक भी यह कमाल दिखाने वाले हैं. मंगलयान के रूप में तो हमारे वैज्ञानिकों ने दुनिया को अचंभित किया ही था, चंद्रयान-2 भी कमाल ही करने जा रहा है. दुनिया के विकसित देशों ने भी यह कमाल अभी तक नहीं किया है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला भारत पहला देश होगा.

भारत की उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हमने पहला उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ रूसी रॉकेट से छोड़ा था. पहले कम्युनिकेशन सैटेलाइट ‘एप्पल’ में भी विदेशी सहयोग ही था. बैलगाड़ी पर लदे एप्पल की तस्वीर तो पूरी दुनिया में फेमस हुई थी. कहने का आशय यह है कि हम बैलगाड़ी से चले थे और हमारे वैज्ञानिकों ने एक साथ 104 सैटेलाइट छोड़ने का कमाल भी दिखा दिया. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है, यदि हमने चांद पर किसी भारतीय को उतार दिया तो यह बहुत बड़ी बात होगी. 

मुझे उम्मीद है कि यह कमाल भी हमारे वैज्ञानिक जरूर दिखाएंगे. इसकी तैयारियां शुरू भी हो चुकी हैं.

इसमें कोई संदेह नहीं कि इन सारी उपलब्धियों का श्रेय हमारे महान वैज्ञानिकों को तो जाता ही है, हमारे नेतृत्वकर्ताओं का भी इसमें जबर्दस्त सहयोग रहा है. देश की आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने ढेर सारी चुनौतियां थीं लेकिन उन चुनौतियों के बीच भी उन्होंने अंतरिक्ष को आंखों से ओझल नहीं होने दिया. सौभाग्य से उस समय महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई मौजूद थे जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में खुद बड़ा सपना देख रहे थे. दोनों के मिलन का परिणाम ही था कि  1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति वजूद में आई. 

कोई सात साल बाद 15 अगस्त 1969 को इसरो की स्थापना हुई. साराभाई कितने दूरदर्शी थे इसका मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा. उस समय भारत में टेलीविजन आम लोगों की पहुंच में नहीं आया था तब उन्होंने सपना देखा कि किसी दिन टीवी के माध्यम से गांव में शिक्षा और जानकारियों का प्रचार-प्रसार होगा. इसके लिए उपग्रह स्थापित करना होगा. उनके एक साथी वैज्ञानिक ने पूछा कि यह कैसे होगा तो उन्होंने विश्वास के साथ कहा कि भारत उपग्रह भी स्थापित कर लेगा और गांव-गांव तक टीवी भी पहुंचा लेगा. हमें मेहनत कुछ ज्यादा करनी होगी! 

आज साराभाई का सपना सच हो चुका है. हर घर में टीवी है, शिक्षा है. अंतरिक्ष की दुनिया में भारत एक सशक्त हस्ताक्षर है. मैं इस मुबारक मौके पर देश के वैज्ञानिकों को बधाई देना चाहता हूं और नई पीढ़ी से यह आग्रह भी करना चाहता हूं कि वह विज्ञान के क्षेत्र में और तेजी से बढ़े. इसमें कोई संदेह नहीं कि विज्ञान ही प्रगति का सबसे सशक्त माध्यम है. दुनिया के जिन देशों ने भी विज्ञान को अपनी कार्यशैली में बेहतर तरीके से शामिल किया है वे शीर्ष पर हैं. हमें भी शीर्ष पर पहुंचना है और बहुत जल्दी पहुंचना है. 

मुख्यमंत्री फडणवीस को शुभकामनाएं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सोमवार को जीवन के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. पिछले पांच साल में उन्होंने अपने भीतर मौजूद नेतृत्व के गुणों को साबित किया है. महाराष्ट्र के नवनिर्माण के लिए मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी का संकल्प भी उन्होंने व्यक्त किया है. महाराष्ट्र की समस्याओं की बेहतर समझ रखने वाले और उनका हल खोजकर उनका प्रभावी क्रियान्वयन कर सकने वाले नेता की छवि स्थापित करने में फडणवीस कामयाब रहे हैं. 

फडणवीस को पांच वर्ष के कार्यकाल में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इन्हें अवसर की तरह देखा. किसी भी समस्या को बिना किसी पूर्वाग्रह के हल करना उनका स्वभाव है और यह उन्हें माता-पिता से संस्कारों के जरिये मिला है. उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं.

Web Title: Vijay Darda blog: Indian scientists have Amazing talent

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