विजय दर्डा का ब्लॉग: वेब सीरीज के बहाने घर में घुस आई पॉर्न फिल्में

By विजय दर्डा | Published: March 8, 2021 04:01 PM2021-03-08T16:01:57+5:302021-03-08T16:01:57+5:30

वेब सीरीज के नाम पर अब खुलेआम पॉर्न फिल्में भी परोसी जा रही हैं. यह चिंता की बात है. ऐसे में इससे निपटने के लिए सख्त कानून की जरूरत है.

Vijay Darda blog: how Porn movies entered our house with web series | विजय दर्डा का ब्लॉग: वेब सीरीज के बहाने घर में घुस आई पॉर्न फिल्में

वेब सीरीज के बहाने परोसी डा रही हैं पॉर्न फिल्में भी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और शीर्ष अदालत का यह कहना बिल्कुल सही है कि वेब सीरीज के नाम पर पॉर्न फिल्में परोसी जा रही हैं. अभी जो कानून है उसके तहत इन पर लगाम लगाना मुश्किल है. तो यह चिंता होना स्वाभाविक है कि हालात और कितने खराब होंगे? 

अब तो पॉर्न फिल्में वेब सीरीज के बहाने टीवी के माध्यम से घर के भीतर जा पहुंची हैं. निश्चित रूप से वेब पर बहुत अच्छी सीरीज भी आ रही हैं लेकिन इन दिनों चर्चा तो बस पॉर्न की ही है! पूरी दुनिया के साथ भारत में भी पॉर्न वेब सीरीज को देखने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. 

छोटे शहरों में भी हो रही है पॉर्न फिल्मों की शूटिंग

महानगरों की बात तो छोड़ दीजिए, अब तो छोटे शहरों में भी वेब सीरीज के नाम पर पॉर्न फिल्में शूट हो रही हैं. पिछले साल फरवरी में इंदौर में एक बड़ा मामला पकड़ा गया था. जब पुलिस ने जांच पड़ताल की तो पता चला कि जो दो युवक वेब सीरीज के नाम पर पॉर्न की शूटिंग कर रहे थे उनके तार अमेरिका, कनाडा, तुर्की, कुवैत, इंडोनेशिया, मलेशिया समेत दुनिया के 22 देशों की पॉर्न इंडस्ट्री से जुड़े हुए थे. 

इसके अलावा भी वेब सीरीज के नाम पर पॉर्न फिल्म बनाए जाने की न केवल सूचनाएं मिलती रही हैं बल्कि ये सारे  कंटेंट विभिन्न ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म पर अपलोड हुए हैं और लोग इन्हें देख भी रहे हैं. पहले लोग चोरी-छुपे मोबाइल पर या कम्प्यूटर डेस्क पर पॉर्न फिल्में देखते थे लेकिन अब तो टीवी के माध्यम से यह हर उस व्यक्ति के पास मौजूद है जिसके पास इंटरनेट और ओटीटी प्लेटफॉर्म का कनेक्शन है. इसलिए हालात अब और बदतर होंगे.

पॉर्न से पैदा होने वाली भयावहता को लेकर मैं हमेशा चिंतित रहा हूं इसीलिए राज्यसभा में अपने 18 साल के कार्यकाल के दौरान मैंने कई बार सवाल उठाए. लिखित रूप से भी प्रमाण दिए कि पॉर्न फिल्मों का हमारे युवा वर्ग पर कितना बुरा प्रभाव पड़ रहा है. 

अप्रैल 2013 में मैंने जैन आचार्य विजय रत्नसुंदरसूरी के साथ राज्यसभा में याचिका लगाई थी. याचिका में लिखा था कि पॉर्न साइट्स के कारण खासतौर पर किशोर ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. कम उम्र में यौन कर्म में लिप्त हो जाते हैं. 

याचिका में मांग की गई थी कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 में संशोधन कर कम्प्यूटर एवं मोबाइल पर  पॉर्नोग्राफी को अपराध घोषित किया जाए. पॉर्न निर्माताओं, वितरकों और दर्शकों के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया जाए. इंटरनेट सेवा प्रदाता ऐसी साइटों को ब्लॉक करें. 

कई साइटें ब्लॉक फिर भी पॉर्न इंडस्ट्री खोज ले रही है रास्ता 

निश्चित रूप से सरकार ने इस दिशा में पहल की. पॉर्न साइट्स को ब्लॉक करने का काम बाद के वर्षों में शुरु हुआ. अब तक 3000 से ज्यादा पॉर्न साइट्स को ब्लॉक किया जा चुका है लेकिन पॉर्न इंडस्ट्री के धुरंधर तत्काल रास्ता निकाल लेते हैं. आज भी हजारों की संख्या में ऐसी साइट्स मौजूद हैं. 

इसके लिए जिस तरह के सख्त कानून की जरूरत थी वह आज भी नहीं बना है. लोग बड़ी आसानी से साइट्स तलाश लेते हैं. अब वेब सीरीज को तो तलाशने की जरूरत भी नहीं पड़ती. और क्या सरकार को इस बात का अंदाजा नहीं है कि वेब सीरीज के नाम पर इन दिनों क्या परोसा जा रहा है? 

मामला जब केवल गाली-गलौज तक था तभी इस पर लगाम लगनी चाहिए थी. अब तो पॉर्न फिल्मों को ही वेब सीरीज नाम दिया जा रहा है. इसका फैलाव इसलिए भी हो रहा है क्योंकि मांग बहुत है. 

एक बदनाम और अब प्रतिबंधित पॉर्न वेबसाइट ने लॉकडाउन के पहले ही महीने में आंकड़ा जारी करके कहा था कि उसकी साइट्स पर पहुंचने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ी है. आंकड़ा करीब 20 प्रतिशत बढ़ा था. अब तो शायद आंकड़ा और भी आगे पहुंच चुका होगा. 

एक रिपोर्ट के अनुसार 15-16 साल की उम्र के 65 फीसदी और 11-16 साल की उम्र के 48 प्रतिशत भारतीय बच्चे ऑनलाइन पॉर्न की वजह से प्रभावित हैं. 28 प्रतिशत बच्चों को ब्राउजिंग के वक्त पॉर्न साइट्स के लिंक मिले जबकि 19 प्रतिशत बच्चों ने सीधे पॉर्न सर्च किया. 

पॉर्न इंडस्ट्री पहुंचा रहा है बड़ा नुकसान

कितने प्रतिशत कुल भारतीय पॉर्न देखते हैं, इसका सीधा आंकड़ा किसी के पास मौजूद नहीं है लेकिन यह तय है कि यह संख्या बहुत बड़ी है. यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि इस पॉर्न इंडस्ट्री ने भारतीय संस्कृति को भारी नुकसान पहुंचाया है. बच्चे अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं और इससे अपराध भी बढ़ रहा है. 

दिल्ली के एक स्कूल की घटना तो आपको याद होगी ही जब छोटे बच्चों ने अपनी साथी की ब्लू फिल्म बना ली थी. पॉर्न फिल्में यूरोप से शुरु हुई थीं और पाश्चात्य संस्कृति के लिए यह सामान्य बात है लेकिन भारतीय सनातन और मुस्लिम संस्कृति में यह अस्वीकार्य है. 

कहने का मतलब है कि पॉर्न हमारी संस्कृति पर हमला कर रहा है. यहां तक कि चीन भी पॉर्न फिल्मों के कारण परेशान है. दुनिया भर में फैले इस इंडस्ट्री का कारोबार खरबों डॉलर का है और इतना मजबूत है कि इस पर हाथ डालना कोई आसान काम नहीं है. 

अब जब वेब सीरीज के नाम पर इस तरह की चीजें मौजूद होंगी तो किसी को ज्यादा तलाश भी नहीं करनी पड़ेगी. सबकुछ पका-पकाया मौजूद होगा. इसलिए अब यह बहुत जरूरी है कि सरकार सख्ती बरते. और हां, आपको भी खयाल रखना होगा कि आपके बच्चे, और आप भी, आखिर क्या देख रहे हैं?

Web Title: Vijay Darda blog: how Porn movies entered our house with web series

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