वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः हंगामों से खराब न हो संसद की छवि

By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 2, 2021 10:38 AM2021-12-02T10:38:11+5:302021-12-02T10:38:22+5:30

वर्तमान स्थिति में यदि ऐसा हुआ तो क्या इसका दोष विपक्ष के माथे नहीं आएगा? विपक्षी सदस्यों ने पिछले सत्र में जो हंगामा राज्यसभा में मचाया था, वह काफी शर्मिदगी पैदा करनेवाला था।

vedpratap vaidik blog the image of parliament should not be spoiled by the uproar | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः हंगामों से खराब न हो संसद की छवि

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः हंगामों से खराब न हो संसद की छवि

सरकार ने कृषि-कानून हड़बड़ी में वापस ले लिया और राज्यसभा के 12 सदस्यों को वर्तमान सत्र के लिए मुअत्तिल भी कर दिया। इन दोनों मुद्दों को लेकर विपक्षी दल यदि संसद के वर्तमान सत्र का पूर्ण बहिष्कार कर दें तो आश्चर्य नहीं होगा। हालांकि कुछ विपक्षी सांसदों की राय है कि बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। मैं भी सोचता हूं कि संसद के दोनों सदनों का यदि विपक्ष बहिष्कार करेगा तो उसका तो कोई फायदा नहीं होगा बल्कि सत्तारूढ़ दल को ज्यादा आसानी होगी। वे अपने पेश किए गए विधेयकों को बिना बहस के कानून बनवा लेंगे। इस सरकार ने नौकरशाहों को पूरी छूट दे रखी है कि वे जैसे चाहें, वैसे विधेयक बनाकर पेश कर दें। नतीजा क्या होगा? कुछ कानून तो शायद अच्छे बन जाएंगे लेकिन कुछ कानून कृषि-कानूनों की तरह बड़े सिरदर्द भी बन सकते हैं।

वर्तमान स्थिति में यदि ऐसा हुआ तो क्या इसका दोष विपक्ष के माथे नहीं आएगा? विपक्षी सदस्यों ने पिछले सत्र में जो हंगामा राज्यसभा में मचाया था, वह काफी शर्मिदगी पैदा करनेवाला था। कुछ विरोधी सदस्यों ने सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट भी की। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इतने परेशान हुए कि उनकी आंखों में आंसू भर आए। पिछले 60 साल से मैं भी संसद को देख रहा हूं। ऐसा दृश्य मैंने पहले कभी नहीं देखा और इस बार तो उस दृश्य को टीवी चैनलों पर सारा देश देख रहा था। सत्ता पक्ष ने कोशिश भी की कि अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के पहले विरोधी दलों से परामर्श किया जाए लेकिन उसका भी उन्होंने बहिष्कार कर दिया। ऐसे में हंगामा करने वाले 12 सदस्यों को मुअत्तिल कर दिया गया। राज्यसभा के नियम-256 के मुताबिक ऐसी कार्रवाई सत्र के चालू रहते ही की जाती है, जो अब से पहले 13 बार की गई है लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस सत्र में किए गए दोष की सजा अगले सत्र में दी जाए। 

पिछले सत्र में हुए इस हंगामे के कारण इस सत्र को बेमजा कर देना ठीक नहीं है। हंगामा करने वाले सांसदों को चाहिए कि राज्यसभा के सभापति व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से उन्हें दुखी करने के लिए क्षमा मांगें और भविष्य में मर्यादा-पालन का वादा करें ताकि संसद के दोनों सदन इस बार सुचारु रूप से चल सकें। यदि दोनों सदनों का विपक्षी दल बहिष्कार करेंगे तो वे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को पहले से भी अधिक क्षीण करने के दोषी होंगे। यदि विरोधी दल घर बैठ जाएंगे तो भाजपा सरकार की गाड़ी बिना ब्रेक की हो जाएगी। इसके वैसा हो जाने में विरोधी दल अपना फायदा देख रहे हो सकते हैं लेकिन यह देश के लिए घातक होगा। विरोधी दलों को चाहिए कि विकट स्थिति में लोकतंत्न के स्वास्थ्य की रक्षा करें।

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