वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: नीतीश कुमार ने रास्ता दिखाया
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 28, 2020 05:53 AM2020-02-28T05:53:19+5:302020-02-28T05:53:19+5:30
बिहार विधानसभा ने जो प्रस्ताव पारित किया है, उसमें 2014 में बने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की तर्ज पर ही बिहार में अब 2020 में जनगणना होगी.
बिहार के मुख्यमंत्नी नीतीश कुमार ने ऐसा काम कर दिखाया है, जो उन्हें नेताओं का नेता बना देता है. पिछले कुछ दिनों से उनकी छवि गठबंधन-बदलू नेता की बन रही थी लेकिन उन्होंने बिहार की विधानसभा से राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करवाकर एक चमत्कार-सा कर दिया है. वह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ है.
यह वही नागरिकता रजिस्टर है, जिसके कारण दिल्ली में दंगे हो रहे हैं, सारे देश में सैकड़ों शाहीन बाग उग आए हैं और सारी दुनिया में भारत की छवि धूमिल हो रही है. इसी रजिस्टर के प्रस्ताव ने सारे देश में गलतफहमी का अंबार खड़ा कर दिया है. संसद में गृह मंत्नी के बयानों और संसद के बाहर दिए गए भाजपा नेताओं के उग्र भाषणों से गलतफहमी को बल मिला है. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के इस आश्वासन के बावजूद कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर जैसी किसी योजना पर सरकार ने विचार ही नहीं किया है, सारे देश में हंगामा मचा हुआ है.
बिहार विधानसभा ने जो प्रस्ताव पारित किया है, उसमें 2014 में बने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की तर्ज पर ही बिहार में अब 2020 में जनगणना होगी. यही प्रस्ताव अब चाहें तो देश की सभी विधानसभाएं पारित कर सकती हैं.
इस प्रस्ताव के द्वारा बिहार के 17 प्रतिशत मुसलमानों के वोट नीतीश ने अपनी जेब में डाल लिए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्नी अरविंद केजरीवाल चाहें तो दिल्ली में बिहार दोहरा सकते हैं. उन्होंने चुनाव में जो सावधानी दिखाई, यह उसका अगला रूप है. जहां तक पड़ोसी शरणार्थियों का सवाल है, उस कानून में भी संशोधन की मांग नीतीश करते तो बेहतर होता. जैसे नीतीश ने नया रास्ता दिखाया, मैं सोचता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय भी मोदी सरकार को इस दलदल से जरूर बाहर निकाल लेगा.