वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सारा दोष चुनावी राजनीति का है
By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 23, 2019 12:12 PM2019-08-23T12:12:30+5:302019-08-23T12:12:30+5:30
कोई बड़ा आदमी या नेता गिरफ्तार होता है तो जेल में उसे कम से कम ‘बी’ श्रेणी में रखा जाता है. उसे घर से भी ज्यादा आराम जेल में मिलता है. अब से 62 साल पहले (1957 में) मैं पटियाला जेल में रहा और उसके बाद भी कई बार कई जेलों में रहा.
कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय गृह तथा वित्त मंत्नी पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी को इतना नाटकीय रूप देने की जरूरत क्या थी? यदि उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी तो कौन सा आसमान टूट रहा था? वे गिरफ्तार ही तो होते. कोई नेतागीरी करे और गिरफ्तारी से डरे, यह बात तो समझ के परे है. जब जनता पार्टी सरकार में उपप्रधानमंत्री चरण सिंह ने इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया था तो वे कहीं छिपती फिरी थीं क्या?
कोई बड़ा आदमी या नेता गिरफ्तार होता है तो जेल में उसे कम से कम ‘बी’ श्रेणी में रखा जाता है. उसे घर से भी ज्यादा आराम जेल में मिलता है. अब से 62 साल पहले (1957 में) मैं पटियाला जेल में रहा और उसके बाद भी कई बार कई जेलों में रहा. चिदंबरम शायद ऐसे पहले पूर्व वित्त मंत्नी हैं, जो सींखचों के पीछे गए हैं. वैसे तो आज शायद ही कोई ऐसा नेता मिल सके जो सींखचों के पीछे जाने लायक न हो.
चुनावी राजनीति होती ही ऐसी है कि वह किसी नेता को बेदाग नहीं रहने देती. जब उनके विरोधी सरकार में होते हैं, उनकी शामत आ जाती है. उनमें से कुछ ब्लैकमेल होते रहते हैं, कुछ सत्तारूढ़ दल के चरणों में चले जाते हैं और कुछ अपनी दुकान ही समेट लेते हैं. यदि चिदंबरम खुद होकर गिरफ्तार हो जाते और अदालत उन्हें निदरेष पाती तो यह अकेली घटना ही भाजपा सरकार को मुसीबत में डाल देती. यदि मोदी सरकार देश को सचमुच भ्रष्टाचार-मुक्त करना चाहती है तो उसे यह स्वच्छता-अभियान अपनी पार्टी से ही शुरू करना चाहिए.
हर विधायक और सांसद की जांच होनी चाहिए कि उनके पास इतनी चल-अचल संपत्ति कहां से आई? वे कोई उत्पादक काम नहीं करते. उन सबका यह ठाठ-बाट कैसे निभता रहता है? यह राजनीति है. यह कौटिल्य की झोपड़ी है. इसमें प्लेटो का ‘दार्शनिक राजा’ रहता है. वह अपना सिर हथेली पर धरकर चलता है. संत कबीर ने इस बारे में क्या खूब कहा है :
कबिरा यह घर प्रेम का, खाला का घर नाहिं/ सीस उतारे हाथि करि, सो पैठे घर मांहि.