वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः नेताओं को सुप्रीम कोर्ट का सबक
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 10, 2019 06:57 AM2019-02-10T06:57:02+5:302019-02-10T06:57:02+5:30
यदि विधायकों से वसूली होगी तो मायावती का बोझ भी जरा हल्का हो जाएगा. हमारे जनप्रतिनिधियों को बताया जाए कि राजनीति एक सेवाधाम है.
सर्वोच्च न्यायालय ने दो नेताओं को कल करारे झटके दिए हैं. एक उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्नी मायावती को और दूसरा बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्नी तेजस्वी यादव को. तेजस्वी से अदालत ने पटना का वह बंगला खाली करवा लिया है, जिसे अपनी सरकार हटने के बावजूद वे कब्जाए हुए थे. उन पर 50000 रु. जुर्माना भी ठोंका गया है. मायावती के खिलाफ 10 साल से चल रहे एक मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ सख्त टिप्पणियां की हैं.
उसने कहा है कि उन सब मूर्तियों का पैसा क्यों नहीं वसूला जाए, जो उन्होंने अपनी और अपने नेता कांशीराम आदि की मूर्तियां लगवाने पर खर्च किया है.
याचिका दायर करनेवाले का अंदाज है कि इन मूर्तियों पर 2000 करोड़ रु. खर्च हुआ है. यह पैसा सरकारी है. जनता का है. लखनऊ और नोएडा में लगी इन मूर्तियों के साथ-साथ मायावती ने अपनी बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिह्न् ‘हाथी’ के भी दर्जनों पुतले खड़े करवा दिए. मायावती की अपनी मूर्ति और इन पत्थर के हाथियों को चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने कपड़े से ढंकवा दिया था. अखिलेश यादव सरकार की तरफ से भी इस मूर्ति-कांड में हुए भ्रष्टाचार को लेकर अदालत के दरवाजे खटखटाए गए थे.
इस मामले पर 2 अप्रैल को अदालत दुबारा बहस करेगी. हो सकता है कि वह मायावती को कुछ ढील दे दे, क्योंकि मायावती ने इस खर्च को विधानसभा से पास करवा लिया था. मेरा कहना यह है कि इस मामले में अदालत ढील देने की बजाय नेताओं को जमकर कस डाले. जिन विधायकों ने इस फिजूलखर्च के समर्थन में हाथ उठाए थे, उनसे भी पैसे वसूल किए जाएं. उनकी पेंशन रोक दी जाए. यदि विधायकों से वसूली होगी तो मायावती का बोझ भी जरा हल्का हो जाएगा. हमारे जनप्रतिनिधियों को बताया जाए कि राजनीति एक सेवाधाम है.