वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः खट्टर की सराहनीय पहल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 4, 2019 07:35 PM2019-01-04T19:35:14+5:302019-01-04T19:35:14+5:30
पंजाब में चले हिंदी आंदोलन के कारण हरियाणा का जन्म हुआ. हिंदी के नाम पर बने इस प्रदेश का सारा काम हिंदी में नहीं होगा तो किस प्रांत में होगा?
हरियाणा के मुख्यमंत्नी मनोहरलाल खट्टर ने अपने प्रदेश में एक ऐसा काम कर दिखाया है, जिसका अनुकरण देश के सभी हिंदी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को करना चाहिए. उन्होंने आदेश जारी किया है कि हरियाणा का सरकारी कामकाज अब हिंदी में होगा. खट्टर के इस हिंदी-प्रेम से कई अफसर घबराए हुए हैं. ऐसे आदेश पहले भी कई मुख्यमंत्रियों ने जारी किए हैं लेकिन उनका पालन कम और उल्लंघन ज्यादा होता रहा है.
हरियाणा में ही नहीं, सभी हिंदी राज्यों में सरकारी फाइलों में ज्यादातर लिखा-पढ़ी अंग्रेजी में ही होती है. विधानसभाओं में सारे कानून अंग्रेजी में बनते हैं. ऊंची अदालतों में फैसले और बहस का माध्यम भी प्राय: अंग्रेजी ही होता है. सार्वजनिक घोषणाओं और विज्ञापनों में भी अंग्रेजी का बोलबाला रहता है. स्कूलों और कॉलेजों में अंग्रेजी अनिवार्य है. उच्च शिक्षा और शोध-कार्य भी अंग्रेजी में ही होते हैं.
सरकारी दफ्तरों और शहरों में नामपट भी प्राय: अंग्रेजी में ही टंगे होते हैं. पता नहीं, खट्टरजी कितनी सख्ती से पेश आएंगे और ऊपर बताए सभी स्थानों पर हिंदी चलवाएंगे? हरियाणा का पूर्ण हिंदीकरण हो जाए तो देश के सभी प्रांतों को स्वभाषा के इस्तेमाल की प्रेरणा मिलेगी.
पंजाब में चले हिंदी आंदोलन के कारण हरियाणा का जन्म हुआ. हिंदी के नाम पर बने इस प्रदेश का सारा काम हिंदी में नहीं होगा तो किस प्रांत
में होगा?
स्व. भैरोंसिंह शेखावत ने मुख्यमंत्नी के तौर पर 35-40 साल पहले राजस्थान में एक कठोर नियम बनाया था. वह यह कि राजस्थान के प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को हर दस्तावेज पर हिंदी में ही दस्तखत करने होंगे. इस नियम का पालन समस्त हिंदी-राज्यों के अलावा केंद्र सरकार में भी होना चाहिए. मैं किसी भी विदेशी भाषा का विरोधी नहीं हूं. लेकिन मैं अपनी भारतीय भाषा को नौकरानी बनाकर किसी विदेशी भाषा को महारानी बनाने के विरुद्ध हूं.