वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत सीखे अबुधाबी से

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 12, 2019 11:07 AM2019-02-12T11:07:57+5:302019-02-12T11:07:57+5:30

संयुक्त अरब अमीरात की जनसंख्या 90 लाख है. उसमें 26 लाख तो भारतीय हैं और 12 लाख पाकिस्तानी हैं. इन भारतीयों और पाकिस्तानियों में कई पढ़े-लिखे और अमीर भी हैं लेकिन ज्यादातर मजदूर और कम पढ़े-लिखे लोग हैं.

Ved Pratap Vaidik's blog: India should learn from Abu Dhabi | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत सीखे अबुधाबी से

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः भारत सीखे अबुधाबी से

संयुक्त अरब अमीरात यानी दुबई और अबुधाबी ने अब अपनी अदालतों में हिंदी को भी मान्यता दे दी है. अरबी और अंग्रेजी तो वहां पहले से ही चलती हैं. हिंदी को मान्यता मिलने का मतलब उर्दू को भी मान्यता मिलना है. हिंदी और उर्दू में सिर्फ लिपि का ही तो फर्क है. इसका अर्थ है कि इस अरब देश ने वहां रहनेवाले सारे भारतीय और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए अपने इंसाफ के दरवाजे खोल दिए हैं.

अमीरात की जनसंख्या 90 लाख है. उसमें 26 लाख तो भारतीय हैं और 12 लाख पाकिस्तानी हैं. इन भारतीयों और पाकिस्तानियों में कई पढ़े-लिखे और अमीर भी हैं लेकिन ज्यादातर मजदूर और कम पढ़े-लिखे लोग हैं.  इन लोगों के लिए अरबी और अंग्रेजी के सहारे न्याय पाना बड़ा मुश्किल होता है. इन्हें पता ही नहीं चलता कि अदालत में वकील क्या बहस कर रहे हैं और जजों ने जो फैसला दिया है, उसके तथ्य और तर्क क्या हैं. ऐसी स्थिति में कई बेकसूर लोगों को सजा भुगतनी होती है, जुर्माना देना पड़ता है और कभी-कभी उन्हें देश-निकाला भी दे दिया जाता है.

ऐसे में यह जो नई व्यवस्था वहां कायम हुई है, उसका भारत और पाकिस्तान, दोनों को स्वागत करना चाहिए. स्वागत ही नहीं करना चाहिए, सीख भी लेनी चाहिए. भारत की अदालतों में आजादी के 70 साल बाद भी भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल नहीं होता. वहां मुकदमों की बहस अंग्रेजी में ही होती है और फैसले भी अंग्रेजी में ही आते हैं. अभी सुना है कि उनके हिंदी अनुवाद की बात चल रही है. सच्चाई तो यह है कि देश में कानून की पढ़ाई हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में होनी चाहिए. अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं की सहायता जरूर ली जाए लेकिन कानून की पढ़ाई के माध्यम के तौर पर अंग्रेजी को प्रतिबंधित करना चाहिए.

इसके लिए नेताओं से आप ज्यादा उम्मीद न करें. यह काम तो देश के विद्वान वकीलों, जजों और कानून के प्रोफेसरों को करना होगा. जो काम भारत में सबसे पहले होना चाहिए था, वह काम संयुक्त अरब अमीरात कर रहा है.

Web Title: Ved Pratap Vaidik's blog: India should learn from Abu Dhabi

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