वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारत के पड़ोसी देशों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में चीन

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 7, 2019 12:56 PM2019-07-07T12:56:34+5:302019-07-07T12:56:34+5:30

बांग्लादेश को भी चीन ने तब तक (1975) मान्यता नहीं दी थी, जब तक वहां भारतप्रेमी शेख मुजीब जिंदा थे. जिया-उर-रहमान की सरकार से ही उसने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे. 

Ved Pratap Vaidik's blog: In an effort to attract neighboring countries of India, China | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारत के पड़ोसी देशों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में चीन

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारत के पड़ोसी देशों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में चीन

बांग्लादेश की प्रधानमंत्नी शेख हसीना ने अपनी चीन यात्ना के दौरान चीनी प्रधानमंत्नी ली केकियांग के साथ नौ समझौतों पर दस्तखत किए हैं. भारत में बजट का इतना शोरगुल था कि इस महत्वपूर्ण घटना पर हमारा ज्यादा ध्यान नहीं गया. 

हमारे पड़ोसी देश किसी भी महाशक्ति के साथ अपने द्विपक्षीय संबंध बढ़ाएं, इसमें भारत को कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए, लेकिन हमारे पड़ोसी देशों के साथ चीन जिस तरह से घनिष्ठता बढ़ा रहा है, उससे यह शंका पैदा होती है कि वह कहीं कोई साम्राज्यवादी जाल तो नहीं बिछा रहा है. 

उसने पाकिस्तान पर 60 बिलियन डॉलर न्यौछावर करने की घोषणा तो पहले ही कर रखी है, अब उसने बांग्लादेश को 31 बिलियन डॉलर यानी सवा दो लाख करोड़ रु. देने का भी निश्चय किया है. पाकिस्तान को यह राशि वह रेशम महापथ बनाने के लिए दे रहा है तो बांग्लादेश को वह बांग्लादेश-चीन-भारत और म्यांमार के बीच सड़क बनाने के लिए दे रहा है. 

जिन निर्माण कार्यो पर चीन अपना पैसा पानी की तरह बहा रहा है, उन निर्माण कार्यो की मूल योजना का भारत ने बहिष्कार किया हुआ है. उसके दो सम्मेलनों में भारत का कोई प्रतिनिधि गया ही नहीं. सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश ही नहीं, चीन की कोशिश है कि भारत के सभी पड़ोसी देश उसकी गिरफ्त में आ जाएं. उसने नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मालदीव आदि देशों पर जबर्दस्त डोरे डाले हैं. 

इन देशों में उसकी रणनीति इसलिए भी सफल हुई है कि इन देशों में ऐसी सरकारें आ गई थीं जो भारत के प्रति कम मैत्नीपूर्ण या उसकी विरोधी रहीं. जैसे मालदीव में यामीन सरकार, श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे सरकार और नेपाल में केपी ओली सरकार. 

बांग्लादेश को भी चीन ने तब तक (1975) मान्यता नहीं दी थी, जब तक वहां भारतप्रेमी शेख मुजीब जिंदा थे. जिया-उर-रहमान की सरकार से ही उसने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए थे. 

चीन ने न केवल बांग्लादेश के निर्माण का विरोध किया था बल्कि उसके संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश का भी विरोध किया था. इस समय चीन-बांग्ला व्यापार 10 बिलियन डॉलर का है, जिसमें चीन का पलड़ा 9 बिलियन डॉलर से भारी है. 

पूरा बांग्लादेश चीनी माल से पटा रहता है. बांग्ला फौज के पास चीनी हथियार ही सबसे ज्यादा हैं. वर्ष 2016 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ढाका में घोषणा की थी कि वे बांग्लादेश को 24 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देंगे. 

हालांकि बांग्लादेश चीन और भारत के बीच भारी संतुलन बनाने की कोशिश करता रहता है, क्योंकि वह भूला नहीं है कि भारत ने ही उसे बनवाया है. शेख हसीना ने इसी चीन यात्ना के दौरान एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के साथ अपने संबंधों को अत्यंत घनिष्ठ बताया है.
 

Web Title: Ved Pratap Vaidik's blog: In an effort to attract neighboring countries of India, China

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