वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: एक विलक्षण नेता थे मनोहर पर्रिकर
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 19, 2019 07:38 AM2019-03-19T07:38:10+5:302019-03-19T07:38:10+5:30
एक छोटे से व्यापारी के लड़के ने मुंबई से आईआईटी की डिग्री ली और गोवा आकर जूट के थैले बनाने शुरू किए। अपनी कार्यकुशलता, मेहनत और प्रामाणिकता के दम पर शीघ्र ही उन्होंने एक फैक्ट्री कायम कर ली। गोवा के संघ-प्रमुख सुभाष वेलिंगकर के आशीर्वाद से उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया और फिर कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। सुभाषजी से मतभेद भी हुआ लेकिन उनके सम्मान में पर्रिकर ने कभी कोई कमी नहीं रखी।
गोवा देश के सबसे छोटे राज्यों में से है लेकिन उसने देश को एक बड़ा नेता दिया है। यूं तो मनोहर पर्रिकर देशभर में जाने गए रक्षा मंत्नी बनने के बाद, लेकिन चार बार वे गोवा के मुख्यमंत्नी बने अपने दम पर! वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक थे। उनकी सादगी, उनकी ईमानदारी, उनकी अनौपचारिकता के कई किस्से गोवा में वैसे ही प्रसिद्ध हैं, जैसे 60-70 साल पहले कई गांधीवादी कांग्रेसी नेताओं के होते थे। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वे काजल की कोठरी में 30 साल से भी ज्यादा बैठे लेकिन बेदाग निकल गए। देश की कौनसी पार्टी में कितने नेता हैं, जिनकी तुलना आप पर्रिकर से कर सकें?
एक छोटे से व्यापारी के लड़के ने मुंबई से आईआईटी की डिग्री ली और गोवा आकर जूट के थैले बनाने शुरू किए। अपनी कार्यकुशलता, मेहनत और प्रामाणिकता के दम पर शीघ्र ही उन्होंने एक फैक्ट्री कायम कर ली। गोवा के संघ-प्रमुख सुभाष वेलिंगकर के आशीर्वाद से उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया और फिर कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। सुभाषजी से मतभेद भी हुआ लेकिन उनके सम्मान में पर्रिकर ने कभी कोई कमी नहीं रखी।
पर्रिकर ने हिंदुत्व को वह उदारवादी आयाम दिया, जो भारत में किसी भी नेता की सफलता के लिए अनिवार्य है। उनके व्यापार में भागीदार एक मुसलमान सज्जन थे और गोवा के ईसाई संप्रदाय को पर्रिकर ने जिस कुशलता के साथ भाजपा से जोड़ा था, वह सराहनीय है। जाहिर है कि अपनी सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और साफगोई के चलते रक्षा जैसे मंत्नालय में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी। मुख्यमंत्नी के तौर पर गोवा के खनन माफिया को उन्होंने ठिकाने लगा दिया। क्या ही अच्छा हो कि उनकी प्रेरक जीवनी शीघ्र प्रकाशित हो ताकि भारत के नौजवानों को प्रेरणा मिल सके। मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि!