वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: जनता को समझ नहीं आ रहा है कि वो 2019 में किसे जिताए?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 22, 2018 06:54 PM2018-09-22T18:54:58+5:302018-09-22T18:54:58+5:30
लोग यह भी पूछ रहे हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को हिंदुत्व की विचारधारा को नरम करने की जरूरत अभी ही क्यों आन पड़ी?
तीन तलाक के विधेयक को कानून का रूप देने के लिए सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिया. लोग पूछ रहे हैं कि सरकार को ऐसी क्या जल्दी पड़ी थी कि उसने अध्यादेश जारी कर दिया?
इसी सवाल के साथ लगे हाथ लोग यह भी पूछ रहे हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को हिंदुत्व की विचारधारा को नरम करने की जरूरत अभी ही क्यों आन पड़ी?
इसी मौके पर अयोध्या के राम मंदिर पर उन्होंने दो ग्रंथों का विमोचन क्यों किया?
क्या वजह है कि इन ग्रंथों के विमोचन के अवसर पर भागवत के साथ केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ही बोले?
इन सब अटपटे कामों की व्याख्या लोग यों कर रहे हैं कि यह दिसंबर में होनेवाले राज्यों के चुनाव की तैयारी है और इसका फायदा भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उठाना चाहती है.
यह आरोप सही भी हों तो इसमें बुराई क्या है? भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है. उसे चुनाव जीतना है. उसके लिए उसे जो भी रणनीति अपनानी पड़ेगी, वह अपनाएगी.
दरी के नीचे सरका विकास का मुद्दा
यह ठीक है कि विकास का मुद्दा दरी के नीचे सरक गया है और भाजपा को अब कुछ गर्मागर्म मुद्दों की तलाश है लेकिन यहां मैं इतना कह दूं कि नरेंद्र मोदी को विकास के मुद्दे पर जीत नहीं मिली थी.
उस जीत के पीछे भ्रष्टाचार का मुद्दा भी था. यदि इस समय मोदी के पास कोई मुद्दा नहीं है तो विपक्ष के पास कौन सा मुद्दा है?
सच्चाई तो यह है कि भारत की आज की राजनीति बिल्कुल दिशाहीन है. देश में न तो कोई नेता हैं और न ही नीति है.
हां, एक-दूसरे पर भद्दे से भद्दे आरोप जरूर उछाले जा रहे हैं. भारत की जनता क्या करे ? वह हतप्रभ है. उसे पल्ले नहीं पड़ रहा है कि 2019 में वह किसे जिताए?