वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सरकार और आंदोलन कर रहे किसान जरूर बातचीत करें

By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 27, 2021 05:00 PM2021-05-27T17:00:26+5:302021-05-27T17:01:39+5:30

इस समय सरकार का पूरा ध्यान कोरोना-युद्ध में लगा हुआ है लेकिन उसका यह कर्तव्य है कि वह किसान-नेताओं की बात भी ध्यान से सुने और जल्दी सुने.

Ved Pratap Vaidik blog: Narendra Modi Government and farmers must talk | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: सरकार और आंदोलन कर रहे किसान जरूर बातचीत करें

किसान आंदोलन खत्म कराने के लिए खोजे जाएं रास्ते (फाइल फोटो)

किसान आंदोलन को चलते हुए छह महीने पूरे हो गए हैं. ऐसा लगता था कि शाहीन बाग आंदोलन की तरह यह भी कोरोना के रेले में बह जाएगा लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तरप्रदेश के किसानों का हौसला है कि अब तक वे अपनी टेक पर टिके हुए हैं. उन्होंने आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर विरोध-दिवस आयोजित किया है. 

हालांकि अभी तक जो खबरें आई हैं, उनसे ऐसा लगता है कि यह आंदोलन सिर्फ ढाई प्रांतों में सिकुड़कर रह गया है, पंजाब, हरियाणा और आधा उत्तरप्रदेश. इन प्रदेशों के भी सारे किसानों में यह फैल पाया है नहीं, यह भी नहीं कहा जा सकता. यह आंदोलन चौधरी चरण सिंह के प्रदर्शन के मुकाबले भी फीका ही रहा है. 

उनके आह्वान पर दिल्ली में लाखों किसान इंडिया गेट पर जमा हो गए थे. दूसरे शब्दों में, शक पैदा होता है कि यह आंदोलन सिर्फ समृद्ध किसानों तक ही तो सीमित नहीं है?

यह आंदोलन जिन तीन नए कृषि-कानूनों का विरोध कर रहा है, यदि देश के सारे किसान उसके साथ होते तो अभी तक सरकार घुटने टेक चुकी होती. लेकिन सरकार ने काफी संयम से काम लिया है. उसने किसान-नेताओं से कई बार खुलकर बात की है. अभी भी उसने बातचीत के दरवाजे बंद नहीं किए हैं.

किसान नेताओं को अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने का पूरा अधिकार है लेकिन आज उन्होंने जिस तरह से छोटे-मोटे विरोध-प्रदर्शन किए हैं, उनमें कोरोना की सख्तियों का उल्लंघन हुआ है. सैकड़ों लोगों ने न तो शारीरिक दूरी रखी और न ही मुखपट्टी लगाई. पिछले कई हफ्तों से वे गांवों और कस्बों के रास्तों पर भी कब्जा किए हुए हैं. 

इसलिए आम जनता की सहानुभूति भी उनके साथ कम होती जा रही है. कई प्रदर्शनकारी किसान पहले भयंकर ठंड में अपने प्राण गंवा चुके हैं और अब गर्मी में कई लोग बेहाल हो रहे हैं. किसानों को उकसाने वाले हमारे नेताओं को किसानों की जिंदगी से कुछ लेना-देना नहीं है. 

सरकार का पूरा ध्यान कोरोना-युद्ध में लगा हुआ है लेकिन उसका यह कर्तव्य है कि वह किसान-नेताओं की बात भी ध्यान से सुने और जल्दी सुने. देश के किसानों ने इस वर्ष अपूर्व उपज पैदा की है, जबकि शेष सारे उद्योग-धंधे ठप पड़े हुए हैं. सरकार और किसान नेताओं के बीच संवाद फिर से शुरू करने का यह सही वक्त है.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: Narendra Modi Government and farmers must talk

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