वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: हिंदी मत लादिए, लेकिन..

By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 4, 2019 07:16 AM2019-06-04T07:16:44+5:302019-06-04T07:16:44+5:30

पहले जनसंघ और फिर भाजपा पर हिंदी थोपने का आरोप तो लगता ही रहा है. अब से लगभग 30 साल पहले जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्नी मुलायम सिंह और मैं, मद्रास में तत्कालीन मुख्यमंत्नी करुणानिधि से मिलने गए तो उनका पहला सवाल यही था कि क्या आप हम पर हिंदी थोपने यहां आए हैं?

Ved Pratap Vaidik blog: Do not vote Hindi, but .. | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: हिंदी मत लादिए, लेकिन..

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: हिंदी मत लादिए, लेकिन..

त्रिभाषा-सूत्न के विवाद पर तीन-तीन मंत्रियों को सफाई देनी पड़ी है. उन्होंने कहा है कि यह तो शिक्षा समिति की रपट भर है. यह सरकार की नीति नहीं है. अभी इस पर सांगोपांग विचार होगा, तब यह लागू होगी. क्यों कहना पड़ा उन्हें ऐसा? इसलिए कि मोदी सरकार पर यदि हिंदी थोपने का ठप्पा जड़ दिया गया तो वह दक्षिण के राज्यों में चारों खाने चित हो जाएगी और बंगाल में भी उसे नाकों चने चबाने पड़ेंगे. 

पहले जनसंघ और फिर भाजपा पर हिंदी थोपने का आरोप तो लगता ही रहा है. अब से लगभग 30 साल पहले जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्नी मुलायम सिंह और मैं, मद्रास में तत्कालीन मुख्यमंत्नी करुणानिधि से मिलने गए तो उनका पहला सवाल यही था कि क्या आप हम पर हिंदी थोपने यहां आए हैं? हमने कहा, हम आप पर तमिल थोपने आए हैं. आप अपना सारा काम तमिल में कीजिए. ऐसा होगा तो हम तमिल सीखने को मजबूर होंगे और आप हिंदी सीखने को. हिंदी और सारी भारतीय भाषाओं के बीच बस एक ही दीवार है, अंग्रेजी की! गुलामी की यह दीवार गिरी कि सारी भाषाओं में सीधा संवाद कायम हो जाएगा.

शिक्षा की नई भाषा नीति में अंग्रेजी की इस दीवार पर जबर्दस्त हमले किए गए हैं. किसी सरकारी रपट में यह पहली बार कहा गया है कि अंग्रेजी की अनिवार्यता ने भारत को कितनी आर्थिक और बौद्धिक हानि पहुंचाई है. 

यह रपट एक तमिलभाषी वैज्ञानिक कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में तैयार हुई है और वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण व विदेश मंत्नी जयशंकर ने भी तमिलनाडु के नेताओं को आश्वस्त किया है. ये दोनों भी तमिल हैं और दोनों जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्याय के पढ़े हुए हैं. इसके बावजूद यह मामला तूल पकड़ रहा है तथा सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े.

 इसका हल सिर्फ एक ही है कि जो हिंदी न पढ़ना चाहे, उस पर हिंदी लादी न जाए. वह हिंदी न पढ़ें लेकिन अंग्रेजी को सभी जगह से हटा दें यानी शासन से, प्रशासन से, शिक्षा से, न्याय से, नौकरियों से! तब अंग्रेजी को अपनी कीमत खुद मालूम पड़ जाएगी और अंग्रेजीप्रेमी फिर क्या करेंगे? आपके कहे बिना ही सब लोग अपने आप हिंदी पढ़ेंगे. किस सरकार में इतना दम है कि वह यह नीति लागू करे! 
 

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: Do not vote Hindi, but ..

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे