वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: देश के अंदर न बिगाड़ें माहौल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 10, 2019 08:45 PM2019-03-10T20:45:03+5:302019-03-10T20:45:03+5:30
पुलवामा-कांड के बाद सिर्फ जम्मू में ही नहीं, देश के कई गांवों और शहरों में आम लोग इतने अधिक गुस्से में आ चुके थे कि उनके डर के मारे सैकड़ों कश्मीरी लोग अपने काम-धंधे बंद करके कश्मीर वापस लौट गए थे.
मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने दो दिन देर से ही सही, मेवे बेचने वाले दो कश्मीरी लड़कों से लखनऊ में हुए र्दुव्यवहार के खिलाफ जोरदार अपील की है. यदि ऐसी ही अपील देश की जनता के नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत भी करें तो उसका असर कहीं ज्यादा और जल्दी होगा.
पुलवामा-कांड के बाद सिर्फ जम्मू में ही नहीं, देश के कई गांवों और शहरों में आम लोग इतने अधिक गुस्से में आ चुके थे कि उनके डर के मारे सैकड़ों कश्मीरी लोग अपने काम-धंधे बंद करके कश्मीर वापस लौट गए थे. लोगों का गुस्सा स्वाभाविक था, क्योंकि पुलवामा में हमारे 40 जवानों की जान लेनेवाला युवक कश्मीरी ही था. लेकिन यह मान बैठना उचित नहीं है कि हर कश्मीरी व्यक्ति उस दहशतगर्द के साथ सहानुभूति रखता है.
कश्मीर के ज्यादातर लोग आतंकवाद और हिंसा को पसंद नहीं करते लेकिन वे क्या करें? मोदी ने कहा है कि ‘ये कश्मीरी लोग हमारे अपने हैं. जो कुछ सिरफिरे लोग हमारे इन भाइयों पर हमला बोल रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं.’
गृह मंत्नी राजनाथ सिंह ने एक सभा में घोषणा की कि देश के विभिन्न शहरों में पढ़ रहे कश्मीरी नौजवानों के साथ हमें अपनेपन और प्रेम का व्यवहार करना चाहिए. उन्होंने पिछले हफ्ते ही सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर निर्देश दिया था कि कश्मीरियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए.
इन दोनों नेताओं ने बहुत सामयिक अपील जारी की है लेकिन इस स्तंभ को पढ़नेवाले हजारों-लाखों पाठकों से मेरा अनुरोध है कि कुछ लोगों के खिलाफ वे जो बेलगाम और गुस्साए हुए संदेश व्हाट्सएप, ईमेल, फेसबुक और इंस्टाग्राम आदि पर भेजते हैं, वे कृपया थोड़े संयम का परिचय दें.
यदि वे भारत के अंदर बारूदी माहौल बनाने की कोशिश करेंगे तो वे आतंकवाद की मदद ही करेंगे. अनर्गल बोलने और लिखने से हम आतंकवाद का मुकाबला नहीं कर सकते. इस समय देश को चट्टानी एकता की जरूरत है.